পাতা:প্রবাসী (একত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৭৪০

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৫ম সংখ্যা 3 চলে যাওয়াই শৰ । চিঠি হচ্চে লেখায় জঙ্কৰে ৰকে বাওর। এই BBB DHHHHHH BDD DDD DBS BHHD DDDDD DDDD DDD ধিন প্রয়োজনে মাৰে মাৰে এক-একবার করে চলে ফিরে জাগে, वांखांद्र कब्रदोब्र अtना अग्न, मकी कब्रवीब्र अtछख मञ्च, किबग्न छणांtङहै সে মিলে জামল গায় বলে। তেমনি নিজের খকুমিতেই মম জীবনथt*द्ध हखि गां★ । छारे वकूपांत्र अषकाल काँश्, cणांक छाएँ। पउ खाग्न अरब cणांक कोई थtबक, वकीब्र छrमा ●क-जीवअब **ाज मिथtछ cनरै 4क-बांश छब cणां८कब्र जॉरुलाक इग्न, किक छांद्रांब्रि লেখায় ৰেল সে বালাইও রক্ষা নেই। কবি আপনাকে একেবারে ছেড়ে দিয়েছেন স্থাপনার ভিাগ্রোতের মুখে, জার ক্ষেসে চলেছেন बिक्रक्प्लग्न जल्लामा चनौबाग्न । ठाई अ३ भूखकथानिष्ठ (कोप्ना जाधिक बिक्षा बिरन थाप्नाध्मा भूबदल गांaब्रा शाश्व न, अषक cनहे ●बन विषब्र७ नोखा कौन हtव । बद्र-बांद्रेौब्र cथबठरु tषक जांब्रख করে কবির জালোচম ভারতের প্রাচীন কীৰ্ত্তি দূরদূরান্তে নিজের সংস্কৃতি ॐयक्रॉब्र गर्दछ शिt, cभtबtछ् । माहिङा अर्लन ममांबटस् ब्राड्रेडस्र aङ्कठि সকল প্রধান বিষয়ের আলোচনা এর মধ্যে পাওয়া বাবে । অধিকন্তু স্বাভাযাত্রীর পরের মধ্যে সেই দেশের প্রাকৃতিক দৃশ্য নরনারীর বেশভূষা রীতিনীতি আচার ধৰ্ম্ম প্রভৃতি বহু ৰিলয়ের জালোচনা পাওয়া বাবে । कवि निरब्रह *१एक वरणरश्म-“जांबाब्र भन शांन•हेबिलानी भन नब्र, tझ हिङ्गविणांनौ ।” इउब्रां६ १ब्र भ८क्षा फ़ेिखकब्र कविब्र अकिङ वठ्ठ फ़ि4गब्र”ब्रां भार्टकरमब्र मनtरू● भूझ e भननलौल क'cब्र छून्व । •ाञ्च e खांब्राब्रि जिथtठ निश८ड कविब्र भtन भtt१ जांएक कविद्यु शथन ठस्रtक बठिक्कम कzब्र टबल हtग्न छैर¢¢इ उथम उँीब्र अtनग्न फ़ेिछु। কৰিতার জাকার ধারণ করেছে । এজস্থ্য গদ্য রচনার মধ্যে মধ্যে কয়েকটি কবিতাও এই পুস্তকে স্থান পেয়েছে এবং সেগুলি এখনও ' {श्’trन1 ख्रश्वेिGलि:sitश् झेन श्रद्मिनि । শ্ৰীচারুচন্দ্র বন্দ্যোপাধ্যায় ভ্রমণের নেশী—ঞ্জমণীন্দ্রনাথ মুন্তোষী ; প্রকাশক এম, সি, সরকার এও সঙ্গ, ১৫ কলেজ স্কোয়ার, কলিকাতা ; স্বাম দেড়টাক । “कि कब्र शांब्र' काष्ठकाँÉ यूबाकङ्ग ७ई ठांबब झहेरठ $रूछ। উৎপত্তি হুইল—কনসার্ট পার্টির নয়, থিয়েটার পাটির নয়, এমন কি DDB SBHHBBB DSMD uBBBB BBBS BBB BggHH এই যুগে অসাধারণত্ব নাই—টিকেট কাটির কোনওরূপে গুইতে -नाब्रिएल (कॉथ cमनिज्ञ1 cप्रथी योग्न अख७ *-*ांटकक जाईल नांग्र! গিয়াছে। কিন্তু ক্যালকাটা হুইলাসে’র মত চাক ঠেলিয়া কাশীধাম, পূীধাম, aঞ্জ দার্জিলিংখাম বা কাশ্মীর পৌছানো এখনও নুতন खिनिय । cनलोच्च न थग्नेिहल tकह जॉर्केकांद्र खङ्गल व कर्नूनाली 4-छrtव जटिङ्गझ कब्रिप्ठ बच्च न1; पीछे गैंh ५ छछtज दबाझ्छीब्र हांङ aङ्गाश्वाड़ गएब्र७ भाळूtवद्र शवृकिब्र छैनन्न हब्र । ठाझाब्र भद्रिवté, अ३ अशा टउद्रणक्रिय जीबांच् ७ कात्रौञ*१ड न भूनिद्रा झाक्लिष्णन লী । cबनी भाषांड*ड cईiब्राप्s । *रे णिनिकोडूर्ववर्धिङ, जबज ७ न्ब्रन কাহিনীটি পড়িতে পড়িতে দুই-একজন অত্যন্ত কুনো টিটোটেলয়ের बन७ छ*ण इक्वेटष्ठ नोtā--किड ॐड कडे ७ जब्रविषङ्ग कषों हेहाद्दल बारह cष, cन नथ tवनौ** षोक्वि बो। भरथन नकृना cवविद्वारे छंiशाद्री हच शश्वन ७ ईड1गो# कद्विघ्नी बनाबच जाछ कऋिदन । গ্ৰীগোপাল হালদার

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হীরের ফুল—আগত ও প্রকাশক মোহাত্মা নোঙ্গে । •sis क्लष्ा। चांबिका।। ८षछि । *० भू** बाबदा चन । ... " - - वूनलवांनी भूब्रॉन छ ऐछिदान इरउ विक्त्र निक्षैiङम कविडौं अइकांब cझ्प्णप्रब खछ वह ब३षावि निषिब्राप्इन। बरिषiनित्र छांश ● कोहिमौछणि छांज ! इiञ1°ब्लिकॉम्न ! t i BBBBBBSBBB DDu TDD S LDDDDD S बैबूबनीcबाइन cोधूी । त्रिब्रिछि । ७० शृ♚1 । कांब जfके थांबा । । देशांटङ •र्गीक शांब्र जांदइ । शषों (२) बिंबn-नांनईौञ्च व4नक्रिरब . वर्षtवाजमाग्न विभक बTाथn; (२) पाँबाशांउफच ? (७) cवtrषांपtात्र छांश ? . (s) वाॉकब्रन ब्रश्ना : (s' cनश्ठस् ॥ नदछजिई शछिद्रनाञ्चक कुछव । भूषकषांनिष्ठ cनषट्कब्र शनाब्रन ऋटिब्र क्रमठांब नबिछद्र नाeधां বায় । 8दछग्नखौ-कावाश्वश् । अप्नडा वदिबदबtषव वडण. मांश्छिानब्रवठी, दि-७ । चकां★रू बैशषांरखcनषब्र म७ण, ब्रभूमीथनूद्र বসিরহাট। পৃষ্ঠাসংখ্যা। ১-৪ ধাম একটাক্ষা। - अप्नकशनि बॉनांविशद्धक कविठोब नम४ । कविसांखजिब्र অধিকাংশই ভাল, ছন্দেও বৈচিত্ৰ্য আছে । ৰছিন্ন ছাপা স্বাক্ষর। धणांप्प्लेब्र छैनtब्रञ्च झांत्री इक्षिामि वहिब्रू छैणबूड इह नारें। श्रग्निश्रद्धेौक्र-वैबानविशन्नैौ भ७ण, क्-ि4न अतौड BBHHHH BBDD DD DDBBS ggSB BBBBZS DDDHHS शृèा नरशT s*२ । १rब cजफ़र्छाक । अब्र*थकां* कलिकाठांब्र cबाग शोकिब्र जारेन नtछू, जयडि <ाङ्गैौ श्रानिब्राझ्णि । बाक्लोष्ठ छाशाब्र cबोशिश्च विषब1णिनफूड cवाब छेषाब्र मश्छि छांशाब्र नब्रिकब्र इग्न अवर cनई नबिछब्र बरब «वनंiछ বন্ধুত্বে পরিণত হয়। উৰাৱ সহিত জঙ্গণের গ্ৰী লীহারবাসিনীয় गशैच्च मञ्चार्क श्ञि । पञ्चाष्ट्रोप्न बौशम्बद्र वृपूाङ्ग श्रृङ्ग छेवा बोहोरब्रड শিশুপুত্র ও অরুণের সেবার জীবন উৎসর্গ করে। গ্রন্থের শেষে অক্ষণ बिषवा छेषारक विवाह कब्रिवीब्र यछाद कब्रिrण छदा बजिक, “सधू কালৰেসে যখন প্রাণে এত স্থখ, এত তৃপ্তি, তখন নিরর্থক ষ্ণেন এই উৎসর্গ-কৱ দেহটাকে তোমার ভোগে লাগিয়ে প্রাণে অশাভিয় জাগুন ৰেলে তুলি ?” ইত্যাদি । अहकांद्र cमश्नचकशैन cयप्नब्र छिब बैंकि८ठ थब्रान नॉरेहादइन, ठाशप्ठ मक्ण-छाथ श्ब्राप्इम । बश्वन शोणी उ वैशिाश् लांब ।। ঞ্জীরবীন্দ্রনাথ মৈত্র গম্ভীরনাথ উপদেশামৃত—ময়মনসিংহ জানামোছন काणप्खच्न क्र्वनाशाणक बैबक्रङ्गकूबाद्र राणाणाशाब, अन्७ योउ। ফেণী বরদা প্রেসে মুদ্রিত। মূল্য ১u• টাকা । अइथानि गडौबनाएकत्र अलि अइकोtब्रह छन्,निक उलि-अकांह নিদর্শন আলোচ্য পুস্তকে একটি “প্রস্তাবনা আছে ও थाझेल्ले जषाitछ , জাটটি উপদেশ জালোচিত হইয়াছে। শেষ 'सङ्गठन्त” जांप्लाज़्नैी कaिब्रांप्इन । “अजारमrड क्बिग उगणनावणि गश्रीड श्रेशप्इ अक्कन :

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जशाहब अशकात्र : उistáरे दिवान विज्ञाप्श्व । चाब्रकणिनि हऐप्ड छैनप्शन गरइंहक }}: ੰ छिवि =*है जिषिद्वारहन-"५३ ब्राज्ञकणिभित्र बरक्ष७ cषांकिंद्रfoबt;

  • બુદેં