পাতা:প্রবাসী (চতুর্বিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/৩৯১

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*©ዓ8 প্ৰৰাণী—পৌষ, ১ రి) [ २8न छां★, २घ्र थ७ BBDDDDDD DDD DDB BBBBBBBBBD DDDSDDDSDD DBBD BBBBBBB श्रृंघ्रिङ हिब्राप्छु * এই সমস্তার সমাধানু হইৰে। ভারতের সভ্যতা খুব প্রাচীন কিন্তু ७ठांद९ कांन. जांभन्न cयौर्षापूरणब्र ( जाश्मtनिक ७०० भूः भूः श्रण ) भूर्विकांब किडू निम*न-स५॥ निल। दां श्रछ जांक्षारब्र णिशि७ लिनि. সিন্ধুদেশে খনিত ধ্বংসাবশেষে প্রাপ্ত ছোট ছোট মাটির পাত্র मन्निब्रांधिद्र श्वःनांबटनव. भूज ७ डरको4 भूद्धिं थङ्ठ नाझे नाहे । सजिएक भिनब्र-बाबिलप्नब्र वाकौन मृcत्रल ३थांबङ, मूखेिं थङ्गछि धूः नू: ०००० ब९नtब्रव्र ७ छोझाब्र भूगर्दद कीcजब्र७ गt७ग्न जिग्रारक । c*ौर्षापूरणब्र cष निवर्लन जामद्रा ग३, ठांश चांद्रा दूक याञ्च cय, ठथन श्न्यूि मडाठl cवन স্বগঠিত হইয়া দ্বীড়াইয়াছিল। এই মৌর্ধ্যযুগেৰ পূৰ্ব্বেৱ কালের নিদর্শনহিসাবে আমরা এতদিন বাছা মাটি খুড়িয়া পাইয়াড়ি, সেগুলি সভ্যযুগের নঙ্গে - বৰ্ব্বহ বা অৰ্দ্ধসভ্য যুগের জিনিষ—যে যুগে মানুষ পাথরের জন্ম ব্যবহার করিত। ১৯২৩ সালে দক্ষিণভারতের তিনেভেলী জেলার জান্তিানদুর নামে একটি স্থানে কয়েকটি প্রাচীন সমাধি হইছে কতকগুলি জিনিষ বাহির হয়, যদ্বারা প্রাচীনকালের একটি উচ্চশ্রেণীর ভারতীয় সভ্যতার পরিচয় স্বামৰ পাই। এই সমাধিগুলিতে দেগা যায় যে, পোড়ামাটির নিৰ্ম্মিত সিন্ধুকের মতো শবাধাৰে মুৰু-দেহকে ইটুে মুড়ির বুকের কাছে पञांनिम्नां ८थाथिङ कब्र झझेठ ७ मरत्र मरछ यूरष्ठग्न जांकाब्र वायझां८ब्रव्र खछ cखa षाडूठ ४डब्राशैौ नाप्ज कब्रिब्र श्राझाई. cनब्र, बज ७ cनांबाब श्ररून यफूडि ब्रांथी झडेड । मtत्र नरत्र विखब्र ध्रुन्छ७e गी७ब्र जिब्राप्क–जात्र •ो७ब्रा जिब्राप्क cलाइोब्र अज्ञ । त्रनिडान्ध्रुत्वव्र ब्रुअक्रश्त्व করোটি মাপিয়া দেখা গিয়াতে যে তাঙ্কা সাধারণ গ্রাবিড় করোটিরই मठ्ठा । अिहे पूखि८छ आश्रिान्सूरक्द्र नछाडएक याकू जारी जाविस्त्रcमद्ररे मछाछा वशिष्ठा बनूश्थान कब॥ इ३बां८इ ॥ cप्रथां निष्ठारह cष *रें बिब्रह्म नव-म९कांद्र विवि छाब्रडव८éब्र वाहिरब ८भ८णीन्दछविइब्रि, १निब्रां