পাতা:প্রবাসী (পঞ্চবিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/৫৩৯

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

& eos প্রবাসী—মাঘ, ১৩৩২ [२eं प्ठांशं, श्व क्ष७ कबिरठ श्रृंiब न । देशबा दखडक्छ, छैशंबारे नांवकब्र१ कबिष्ठ गनर्ष 4क्र छैiशंबांश् वf ७ अक्ब cषांनं नाप्नब गब्रय क्रण (eidos, এইডস)প্রকাশ করিয়া থাকেন (৩৯,ই)। 4इरल 'aहेछन' भक वादशङ हरेब्रांप्रू ; देहांब्र जर्षभब्रवव्रणं । *ारे इश्कँ मृडेटल बूक यांश्छरह cष, छैनींद्र छरकश्चनांcणच । षांह। भूडिांप्त छरकश्च निक कtब, छांशद्र ब्रगरे जांश्नक्रश्नं । चtर्न बां 'बषिचर्ण' 'नांकू अवर 'नांब' •ब्रमब्रभं षांबन कबिष्ठ वर्डबांन ब्रश्ब्रिांtझ. আর মানৰ সেই-রূপের অমুকরণে পৃথিবীতে মাকু ও নাম স্থা করিতেছে, ७-यकांब कब्रन कब्र निष्ठांउहे जायौख्रिक । '&हेछन् *क थांनर्ण * *ff (A Kiel) 'dboft (telos, final cause, wurstz" ৰ উদেপ্তরূপ কারণ) বলিয়াছেন, এইডস তাছাই । ১• । ধেম্পসিআন । छि जन्नैिम नांवक अकबन औtनांक ८गाङ्गरं गुरू caत्र-उष क्षिक বে উপদেশ দিয়াছিলেন, তাছা 'সেমৃগসিজন নামক গ্রন্থে বর্ণিত আছে (२०२-२०s) । 'अहेछन्। रुद्रनग्न म्ात्र बाँ३ बःछत्र पनिले मषक । इङब्रार ঐ উপদেশের সারাংশ এখানে দেওয়া আৰপ্তক। উপদেশ এই— यषन नइन इश्ङई श्लब बख अर्नन कब्रिrछ श्र, छैनबूल निक्र थीe श्रण हैश श्tङ३ tनाछन फ़िछांद्र छेढष इशव । उषन यांश्ष निन्छ নিজেই বুঝিৰে যে বিভিন্ন রূপের সৌন্ধৰ্ব একই এবং তখন সে সমুদায় রূপেই অনুরক্ত হইৰে। ইহার পরে সে বুধিবে বে বাহুরূপের সৌজধ্য অপেক্ষ আধায়িক গেীজধ্য প্রকৃষ্ট। তাহার পরে সে কৰ্ম্মক্ষেত্রে ও निषिङ्ग षट्श्ा ॰गोचर्षी धर्मन बंक्षिप्य ववद् बिंब ८१ 3-मयूरप्ािङ्ग cगोचर्मरे वरूछांठीह । छांशब गcद्र ०म वगाब छांन-नबूजब क्रिक আকৃষ্ট হইরা তাহার দেীগধ ধান করিবে এবংজ্ঞানের প্রতি বিপুল প্রেমবশতঃ বহু শোভন মহৎ ভাব এবং চিত্তার স্থষ্টি করিবে । অবশেষে তাহার निकt cनई 4क छांन-मयूज यठिछांछ इहैव । श्हाई cनौनरी-ठष । সৌন্দর্ঘ্যের আশ্চর্ঘ্য পরম রূপ দর্শনই সমুম্বার সাধনার শেষ ফল। ইহা "নিত্যসং, উৎপত্তিরহিত ও বিনাশরস্থিত, বৃদ্ধিরহিত ও কুসিরহিত, 婚●婚峰叠瞳q-g at utofața sfē Rifrē (auto kath 'auto metlı’ ullon) अरुक्रण (याँ जडौिग्न), निछ।“छे९vउिबैज ७ निम्न बखनबूझ देशंद्र जश्नंठांगै" (२७०-३ss) ['च इ &द१ जांभंबांब्र मश्ठि अवहिठ' 4दे अरt१ब्र इरण अंइकांद्र वश्वांग कब्रिग्नांtइन-७थूश्नब्र गब्रभ क्रमब्र', »व छांनं शृ: sve ] 4इtण cजोनाईjब्र गंब्रव ब्ररशं★ कश्व! वण श्रेण। &हे अंtइब्र भएछ &हे ओब्रब cनीचर्वी नमूनांद्र बखाठई निश्ठि : नमूनांब दखई ईशंद्र जश्नडांत्री झड़ेब्र! ब्रशिब्लांटङ्ग । बांबूब मांषबबाण *ोर्षिद दखद्र ज८मोबाईब कििष्क अक হইয় কেবল বিশুদ্ধ সৌদর্ঘ্যের দিকে দৃষ্টিপাত করিতে পারে। शंब्रअब्रtणन्न भशिष्ठ dरे अनंष्ठद्र कि मचक, aविशtग्न झूै प्रख् जांटाइ -(४) थांभर्नवांन शां जत्रूङ्कछिबांक (शांब्रांtछहैं★षां), वर्षीं९ wब्रबङ्गणं चठञ्जष्ठांtद जबहिष्ठ 4वर •iर्षिर्व दख छांशांब जत्रूक्ब्रt१ ऋ? ॥ (१) अश्व्Tr, wofsz Tb (methoxis, parousia, koinönia) Eiffs जोनर्णब्राणं €थ८sाक वखरठ जब्रांषिक-°ब्रिभांt१ वर्डबांन। झ३ atइ sई रिष्ठीव्र मउरे श्रृंशैठ श्रेब्रांश् । श्छद्रांt cष बांदेrठरह, अ३ *ब्रब tनौवर्ष cणांtक बां जटलांटक जबहिष्ठ किचl cजांकांप्लांकांउँौठठांtद जबहिष्ठ ८कांन क्ख बांग्रंगांर्ष (thing) बप्र । अव ऐशंप्क छिडांब दिवौकूठ कब्र वांछ, बरें जरर्ष वल यांहेtछ *ांद्रङ्ग हैह रुख बां विषब्र। यछजिठ जtर्ष ऐश रुख वां ग्रंशंद नाए (*इtण प्रांलनिक जरर्ष**षांप' +च वाक्झछ श्रॆण ना) । teiaאה ונג

  • रे अtइ नांनांकांrव ‘बश्छनृ दांव वाशांठ श्ब्रांप्छ । (क) cधानीन् अंtइब्र छांद्र * अtse 'याङन कूठिषांप' श्रीeद्री बांद्र । (१२१ध्) । धरे इठिबांग्शन यून ‘dदेख्न्वांव । भान कब्र, झरेष७ बsि দেখিয়া বলিলাম ইহার সমান। প্লেটো বলেন অভয়ে সমানত্বের আদর্শ क्ष्णि, cनदेबछरे कनिष्ठ शांब्रिजांबदेहांब्रजयांन । जखtब्रजांबर्न न पकिरण *थकब्र विकांद्र कब्र गजब श्रेष्ठ न। किरू शृषिरौष्ठ &रे जांब* लांछ कब्र मछद नरश् । शूर्तिबाच बरें छांन जाछ श्रेबांझ्णि अवर मांश्च अरे छांन लश्ब्रांरे बग्रजश्न करन। अश् छान शूखांकाप्न थारक । इंझे मत्रांन रुख tप्रशिबांबांब३ tनहे गवांनtछद्र कूछि छांशं९ इन्न ॥ ८कवण अनिंठ श्रांप्जद्र ठषविवरग्रहे cय देश मीठा डांश नटश्-छiब्रषर्ष *इष्ठि यtठाक विडांtश्रहे भांकूव नूबित्रणरू जांबर्न चांद्रा मठांगडा निहि कब्रिह थाटक । हेहाँदें थांख्न कूडि ठछ ।

4इप्न ●यंषंम दखवा ७ई cय, अखtद्र cद यूठि छां★ठ इब्र,७lशं বভবিশেষের স্মৃতি নহে, ইহা জ্ঞানলাভের উপায়ের স্মৃতি । কারশস্ত্রে ও জ্ঞানজগতে যে সমুদায় স্বতঃসিদ্ধ উপায় অবলম্বন কaিয় জমির সত্যসত্য নির্ণয় করি, স্মৃতিতে জ{গ্রং হয় সেই উপায়। দ্বিতীয় বক্তব্য এই—সমানজাদির এই যে আদর্শ ইছ লোকালোকে অবস্থিত ব: লোকালোকাতীতভাবে অবস্থিত কোন স্বতন্ত্র বভ (thing) নহে, ইহা अखब्रइ जांघर्ष । (१) es-ev श्रtrनञ आitणांका क्षिद्र बखद्र ठरु (उ९+फ़्) ऊर्ष९ чан чарi i Archer-Ilind stva sтом ideas ste ideal world ७ब्र कष बणां श्रेंग्रांप्इ (se, छि ; जैक, श्रृं: २०) । l}urntte বলেন এন্থলের আলোচ্য বিষয় 'theory of ideas? অর্থাৎ এইডস वृ;" | প্লেটে এই অংশে বদ্ধর স্বরূপকে onsia (উসির, ৬৪, ডি ৮, ডি) श्रृंच छांब्रां वृTछ कब्रेिब्रां८इन । বভয় প্রকৃতরূপ ব্যক্ত করিবার জন্য প্লেটাে বিশেষ ভাষা ব্যবহার *firsa, coa auto kath’ auto (so wroto-: *tol निप्ल वांश), a॥to n okti (मॉर्फे इ ७न्फैं-fक छांशं श्न बांश) हेठाॉमि (१८,छि) । ७झेनबूषांद्र छांकई बख ब्र 'dहेछन् । এই যে আদর্শরূপের কথা বলা হইল ইহা কি-প্রকারে জানা বায় ? cमंफ्रें सtजन (es)-"देविइ चांब्रां नरश्-८कबल क्लेिख शोब्रा" (with | thought alone, Burnet, tivi) 1 ontbt ste wn stiksart 2 *ब्रन्थाब्रविzब्रांशै। डेविाङ्गअग्रtठ शांकिब्र वखञ्च दखङ्ग जांना शांब नाँ : ! वन वङरे ऐठिाइझ विषञ्चनभूशक अठिजब कछ, छठ३८न रखब यकृठ রূপ দেখিতে সমর্থ হয় (৬৪)। cमंd *क इtण (es, मि) यजिब्रांtइन cष यकृठब्र" मूङि च बिछांब्र बांब्रां छांनी खांब्र । खैiहॉग्न डांक 'to logizöäthai'. रंदर्भ खार्थं reasoning offs froš (Lutosławski, * **) Burnet, Williamson, Faronside and Kerin, Wagner egfs Pvtvirta sv. Church, Cary, Blagrave agfè षत्रिीलिं।। 4ंश् चfश् चाविशांप्ङ् । चीमारि्ङ्ग ॰ष्कीक्व चक्री। “शनम्--शांशंषिा,* शृ: ६७• । DD DB GS DBB BBB BBBB BBBB DDS DDDD S इडब्ली बाँध्न । i 輸 t थकृठ कष बरे, बख वl छ*नबूझ्द्र बtश cव गांषांशन छांव ब्रहिब्रांप्इ छांशरे रेशंऋि*ब्र यकृठ ब्रान् ॥ Natorp श्वक्र Stowart 4-जबूपब्रिह* 71