পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/১৩৩

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

गॅछ->ष्ठ ब कविड-भूखक জগৎ আচ্ছন্ন,বর্ষ হইতেছে, ছাড়িতেছে,ছাড়িতেছে शहैराडाइ,छव बाहे, उांब्रां बाँहै,जांकांप्नब्र बैौणियां माह-शृथियोब्र शैौनं नारे, यच्छ्छठ कृशम्बद्र ८लांछ नशीख बांहे, ८कदल अकरूांब्र, जझकांब्र। cरूदण अझकांब्र जांदइ,-चांब्र छूबि जांइ-ठषन বল দেখি, অন্ধকারে কি সুখ । সেই তপ্ত রৌদ্রaथशैक्षु कर्कलं =***ौक्लिड क८%ांब्र *८का अंकांब्बयांन অলঙ্ক সংসারের পরিবর্তে, সংসার আর ভূমি, জগতে जककांब्र ; चांद्र भूविठ कांमिनैौकूश्च जणनिटषकতরুণাতি বৃক্ষের পাতায় পাতায় ভূমি । বল দেখি ভাই, মুখ আছে কি না ? चांकि उ वणि चांदह । नश्tिण कि गांश्टन छूषि ঐ বস্তান্ধকারে, আমি এই সামাজিক অন্ধকারে এই ঘোর ছুদিনে ক্ষুত্র আলোকে আলোকিত করিতে ८कडे कब्रिडांभ ? जां८छ्-यककांटब्र बांडिब्रां जां८मांक আছে। কেহ দেখিবে না,অন্ধকারে তুমি জলিৰে— यांब्र वककitब्र बांधि छशिद, चानक चांजांष्ट्र জলিব। জীবনের তাৎপৰ্য্য বুঝিতে অতি কঠিন— चडि श्रृं, अठि खब्रकब्र क्रूण शरेब ८कन जण, ऋण হইয়া আমি কেন জলি ? তুমি তা ভাৰ কি ? আমি তাবি। তুমি যদি না ভাব, তুমি মুখী। আমি ভাবি -चांबिचत्रशै। छूबि७ शैफ़े-जाषि७ शैफ्रे, ক্ষুদ্রাধিক ক্ষুদ্র কীট-ভূমি স্বী—কোন পাপে जांषि चन्नर्थौ ? छूमि उांद कि, छूषि ८रून बनं९সবিতা স্বৰ্য্য হইলে না, এককালীন আকাশ ও সমু দ্রের শোভা ষে সুধাকর,কেন তাই হইলে না,কেন अंश्७णsश्। बूबाकफू नौशंब्रिको किङ्ग नो इहेब्र কেবল জোনাকি হইলে, ভাব কি ? যিনি এ সকज८क यश्छब कब्रिब्रां८इन, डिबिहे ८ठांथांब्र ऋबन করিয়াছেন, যিনিই উহাদিগকে আলোক দিয়া-ছেন,তিনিই তোমাকে আলোক দিয়াছেন—তিনি একের বেল বড় ছাদে, অন্তের বেলা ছোট ছাদে গড়িলেন কেন । অন্ধকারে এত বেড়াইলে, ভাবিয়া কিছু পাইয়াছ কি ? তুমি ভাব,ন ভাব,আমি ভাবি। আমি ভাবিয়া शिग्न कब्रिव्रांष्टि cय, बिषांठ cठांबांबू पञांभांब्र ८कदण चककांब्र ब्रांटबब्र बछ शांठांहेबांदइन। चांदणी थकरै रे@ -cठांबांब्र चांtण ७ ग्रर्षीब्र चांtण-डैडब्रहै जत्रनैौचंद्र-८eथब्रिप्ठ-छद्दद छूबि ८कबण बर्षांइ ब्रांटबन्न छछ, चांबि ८कदण वर्षीब्र ब्रांtखब्र छञ्च कैश् ि॥ এসে কাদি, বর্ষার সঙ্গে তোমার জাম্বার সঙ্গে निष्ठा-जषझ cकम ? जां८णांकबब्र नक्रब८«थांचबण बनखनंत्रटन cठांबांब्र चांबांब हांन नॉरे ८कन ? बणख कावञ्च चक्र, इशैब्र घञ्च, निकिtखञ्च घड, बर्षी ८ष्ठांबांबू बत्र, कृष्टशैब्र छत्र, चांबांब्र बछ, cगदै জন্য কাদিতে চাহিতেছিলাম—কিন্তু কাদিব না। विबि ८डांबांब्र जांबांग्न छक्क यद्दे ज५णांब अककांब्रबब्र कबिंब्रां८झन, कैंiनिद्रां ॐांहां८क ८मांब निव नौ, दशि जककां८ब्रग्न ज८त्र ८डांबांग्न थांमांब्र निडा जचकरे ॐांशब्र हेछ, जांहेण, अककांब्रहे छाशबांनि, जाहेण, नदीन नैौणकांगचिनी ८भषिञ्चां uाहे जनख जनeषm जत्रग्रन्न उँौषन विधव७टणब्ररूबांन हांबा जइङ्गठ कबि, cबषत्रंéन उनिद्रां जर्विक्रश्नकांबैौ कां८णेब्र जबिश्वंiख अंबéन इङ्ग१ कब्रि,-बिछ्राणांध ८षविब्रां कांटजब्र কটাক্ষ মনে করি। মনে করি, এই সংসারই ভয়इब्र क्रषिक- बांधि ऋणिक बर्षांब्र बछहे ८eयब्रिड इऍग्रांझिलांब, कँiनिदांब्र रूषं बांहे । जांहेग, बणिटळ छजिटङ, चानक बांलांब्र बलिष्ठ बणिप्प्ठ जकण जरू করি । बहिरण, चाहेग, बब्रि । छूमि मैौणांtणांक ८वफिञ्चt cबग्निब्रां चूंक्लिब्री बब्र, चांमि जांनांकृत्र প্রবল প্রোজ্জল মহাদ্বীপ বেড়িয়া পুড়িয়া মরি, দীপালোকে তোমার কি মোহিনী অাছে, बांबि नl,-ञांत्रांब्र जांटलांटक जांभांब्र ८व মোহিনী আছে, তাহা জানি। এ আলোকে कठबांब कांन निद्रां गफ़िगांव । रूठवांब्र श्रृंफिলাম, কিন্তু মরিলাম না। এ মোহিনী কি, আমি জানি, জ্যোতিষ্মান হইয়। এ সংসারে জালে৷ बिऊङ्ग१ कब्रिरु-दफ़ गांश् , क्छि हांब्र, जांबइl খভোত, এ জালোকে কিছুই আলোকিত হুইৰে ना। कांज नॉरे। छूनि बै वडूणकूज-किननद्रकृङ অন্ধকারমধ্যে তোমার ক্ষুত্র আলোক নিবাও, আমিও জলে হউক, স্থলে হউক, রোগে হউক, দুঃখে হউক, এ ক্ষুদ্র দ্বীপ নিৰাই । মন্থষ্য-খন্তোত । গম্ভ-পষ্ঠ বা কবিতা-পুস্তক সমাপ্ত