পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/১৪৬

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so ठांबांडू ८नवब रूब्रिह छांबउदरर्दब श्रृंबक्रकांब ख्रिश्नः ॥ জনমেজয় কছিলেন, হে মুনিগুজব। বাবুদিগের जइ इडेक, बां★नि वञ्च «थंनव जांब्रड कङ्गत्र । গর্দন্ত cश् च#ि छ । बांबांब्र यनख ७/है बरीौन कृ१ जरूण ८खांखेन रुङ्गन । चांबि राइवटङ्घ, cञांद९णांfनञ्च जगंबा थांखङ्ग गकण ह*८ङ, नवखणकवांनिद्रषकशूद्रछि कृ*ांअङांनं गकज जांहब्ब* कब्रिब्बां जांबिब्राहि, जां★नि इकब्र बननयerण थंश्न कबिब्र, भूखगनिचिङ ज८ख ८छ्ननপূর্বক আমার প্রতি কৃপাবান হউন। cश् वशंखांत्र ! चांशबांब नूजां कबिब हैऋ হইয়াছে, কেন না, আপনাকেই সৰ্ব্বত্র দেখিতে পাই, অতএব হে বিশ্বব্যাপিন! আমার পূজা গ্রহণ कङ्गन । আমি পূজ্য ব্যক্তির অনুসন্ধানে প্রবৃত্ত হইয়া, নানাদেশে নানাস্থনে পরিভ্রমণ করিয়া দেখিলাম, আপনি সৰ্ব্বত্রই বসিয়া আছেন, সকলেই আপনার श्रृंच रूब्रिएड८छ । अच्यव cश् बौर्षरूनी ! थोबाइ७ नूब अंश्न कक्न । হে গৰ্গত । কে বলে, তোমার পদগুলি ক্ষুদ্র ? ८षर्षांटन cगषांप्न ८ठांबांब्बरे बफ़ विन्न् ८षषिब्रां থাকি। ভূমি উচ্চাসনে বসির, স্তাবকগণে পরিবৃত हदेब्र, ८षांछे ८वांछे घांटणञ्च चैंiछेि थांहेइ षांक । লোকে তোমার শ্রবণেজিয়ের প্রশংসা করে। তুমিই বিচারাসনে উপবেশন করিয়া, মহাকর্ণदइ देउखड: नक्षांणन कब्रिटङइ । ठांशांच्च यश्रांष शंख्तब्र ८मषिद्वङ •ाहेबl, छेकौन नांबक कबित्र१ बांनांविष कांदrब्रण छद्म८षा छाजिब्बां जि८ङ८छ् । छषन छूनि वक्षकृतिशषं चछिडूठ इहेब निज जिब्रो दंोक । cर वृश्चूe ! उषम ८गरे कांबाब्रtग चांगैंडूड * हरेंब्र. फूषि मन्त्रांबद्र इहेब्रl, जगैौब जबांब्र थछांटव রামের সর্বশ্ব শুামকে দte, খামেৱ সৰ্ব্বস্ব কানইকে দাও, তোমার দয়ার পার নাই । cश् ब्रजकध्रुश्कृष१! कथन७ cनदिबाहि, कृषि লাজুল লঙ্গোপন পূর্বক কাঠালনে উপৰেশন कद्विब्रां जब्रचड़ौमe*श्वटषा दौञ्च वांजकत्रं★टक अर्कखkणांकथञ्चिब्र ऐनांब वर्णिब्र! विrङइ । बांगएकब्र पकिमध्टात्र #शबलौ গর্বভলোকে প্রবেশ কৰিলে, “প্রবেশিক উী इहेल” बनिद्रां बह अंर्थन रूब्रिब्रां थांक ॥ ७बिछ. जांबब्रां छद्र नंfहै । ছে প্রকাণ্ডোর। তুমিই চতুশাঈমধ্যে কুশসনে উপবেশন করিয়া, তৈলনিৰিক্ত ললাটপ্লাজরে চন্দনে নদী অঙ্কিত করিয়া, তুলটঙ্কন্তে শোভ नांe । ८डांबांबू कृङ नांग्रज्ञब्र बाॉर्षा उनिष्ठाँ यांवब्रां शक्क थञ्च कब्रिटडहि । चङ4ब ८ह बशl*टली । जांबांद्र थक्ख ८कावण कृर्णांडूब cछांबन कङ्क ! ८डांबांब्रहे थछि जर्चौब क्लग-छूवि बहिरण चांद्र कांहांब्र७ eथडि रूबणाब्र गङ्गां झग्न बां । डिनि ८लांबांटरू कषनe ठाांत्र रू८ब्रन न, किक फूबि उँiशंरक बूकिब्र सt१ गर्लकांहे ठाांत्र कब्रिड्रा १ांक । ५रे खञ्चहे जहौब्र कांक्षणा कणक । अङsष cर श्शूलह । कृपंरखांबन रूद्र । फूबिरे श्रांबक । रज्ज, भषङ, श्रांकांब अंड़लि সপ্তস্বল্পই তোমার ক১ে। অন্তে বহুকাল তোমার अइकब्र१ कब्रिह, नैौर्षअर्थ ब्रांषिब, बरनरू अकांब्र কালি অভ্যাস করিয়া, তোমার মত স্বপ্ন পাইয়৷ धांटरू ॥ ८ह हैछब्बरकर्छ । घांग थांe । छूबि दइलगण श्रेष्ठ शृषिशैज्रण बिन्द्रन जब्रिতেছ। তুমিই রামায়ণে রাজা দশরথ, নছিলে ब्रांब बध्न बाहेरबन ८रून ? छूबि बशखांब्राउ शां५যুধিষ্ঠির, নছিলে পাণ্ডৰ পাশায় স্ত্রী হারিবেন কেন ? তুমি কলিযুগে বদদেশে বৃদ্ধ সেন রাজা ছিলে,—নছিলে বঙ্গদেশে মুসলমান কেন ? ভূমি নানারূপে নানা দেশ আলো করিয়া যুগে যুগে প্রতিষ্ঠিত হইয়াছ। এক্ষণে তপস্তাবলে, ব্ৰহ্মার बरब, फूबि बबटनt* गवांटनाक्ररू श्रेब चवउँोर्न इहेब्रांइ । cश् ८णांधनांबङांब्र ! चांबांब्र गषांशङ ८कांयण नगैन कृशांडूब जकण उकर्ष कब्र, चांवि जांख्लानिङ शहेब ॥ হে মহাপৃষ্ঠ। তুমি কখনও স্বাজ্যের ভার বহু कथन भूज्ररूद्र उॉब बश्, रूषन cषांभांब अँछेिब्रि বছ। হে লোষণ। কোনটি গুরুভার, আমায় बणिब्बां प्राँ७ ।। ভূমি কখৰ ঘাস খাও, কখন ঠের খাও, কখন 1 דאזs ce onיזא ואזה stsicrn श्रृङक्रा, चर्राम्रैौनटक बगिइ बोe । ८इ इचद्र । cखांबांच्च क्रगं ८नषिब चांवि cवांश्डि श्रेबाहि । इवि वषन श्रांइच्णांइ हाम्रदेशां नववर्षांनांइनिङ इहेष्ठ षोक, छ्रे ब्रशंकन