वईडस् ॥ रुगंशंtकe बांबि बां। दक् िभांनि, डाव वांर्चिर्सक "cl-cवक्रॉब्लां* दलिब्रां वञ्चां कब्रि-खांबैौ८क निक क्विांब अछ बाख रुके। cरूह कांहांब्र७ चट*ांचगं निक्लडे बलिइ चैौकांच्च कब्रिब बl, cगई छछ cकह कांशंबe चष्ट्रवर्डौं हरेद्रां छणिक् नां, कांtखहे बै८काम जहिठ cरून जांशांखिक शबल जांशिड कब्रिटड श्रृंiहि बां । बभूवाद चांगब रूबिर ना ? वृग्रुङ्गदइनिंठ गरेका बाघ कब्रि। जशांzबव्र छाछ बाक्लजङ्ग वांकि, किछु नशीबटक डखि रूहिं न। उहे श्रृंह बब्रक हरेदा फेफ़ैcछtइ. ब्रांबदैनछिरू cछा पछेिरठzह, चिंचगं चबिहेकांबी : दहे८उद्दइ, जयांब चइबङ ७ बिशृंधन ब्रस्-ि ब्रांtइ ; चांननांविप्नंब्र क्लेिख जर्णब्रिछरू ७ चांज्रांनटब्र छब्बिब्रां ब्रहिब्रां८इ । निवा । ऐsजडिब्र बछ खखिाब cब sड य८ब्रांछन, खांश चांक् िकथन शtन कब्रि बांझै । सक्र । लॉरें बांषि छडिएक नर्विन्डवं इउि वणिरउहिनांश। ७ ७धू शश्वाडडिब्र कषाडे दगिबांकि । चांत्रांशेो निबन बैचंब्रडखिन्ब्र कथां सबिख । छखिद्र cवंछैslत्रांनe विrनंषज्ञ८* वृदि८त्र *ांबिंदक् । (बकांनश्नं उवशTांग्न । مصحي ويط ঈশ্বরে ভক্তি। निवा। चांज बैचरब्र उडि नचरक किडू ठेनप्नশের প্রার্থনা করি । सक्र। बांश किइ छूषि जांबांद्र निको सनिद्रांइ.चांद्र पांश किहू छबिटव, छांशरे केचंद्रडखि-जषकौब डेन"cवनं ? cकवण बजिबांब ७व६ जूशियांब्र cञांण जांtछ । *छख्रि" कक्षांb वि' ७ङ्गखद्म च ब्रछहि, ७षर स्जूिषार्च ऐश बछ अनिरु । छिद्र डिब पर्वcवखांबा ऐश बांबांधकांब वृकांहेबांग्इन, uद९६डेनि चांzर्दछबू वर्षहरुडांब्रांस खड़िवांशॆी ॥ जकद्दणब खेखिन्ब्र गएजर जक्र चड्राइल उछक्tिनन छब्रिट्जद विजय चांब्र, जॉमेिं छडिम्ब ८व चक्रूत्र ,हिब्र कजिब्रांकि, डांश बक कषांद्र बणिtछक्षि, ऋबांध्षांत्र गूंकि थंबन क्द्र जवर रङ्ग भूर्लक चक्रन ब्रांषिस बस्रिण चांबांब्र नकल श्रृंग्लिखध बिकत्र हऐtरु । बिंबा ॥ चांखां दद्भन्न । ●A उक् । वथन बश्वाब्र गरूण बूडिखणिहे घेरुंहबूषौ वा छेदंबांछ्वसिंनी इव, cगहे जवशहे छसि । শিষ্য । বুঝিলাম -না। ●क्र ! चर्ष९ि वर्षन छांबांéनौ वृद्धिछणि वैचंबমুসন্ধান করে, কাৰ্য্যকারিণী বৃত্তিগুলি ঈশ্বরে অর্পিত कछ. फ़िखवबिनौ बूडिडनि केचटबद्ध cगोकर्षाझे छेनtडांत्र. काब्र बवर चांबौद्रिकौ बुद्धिeणि वैच८ब्रब्र कांर्षीणांवरब ब बेचtब्रब्र चांडांथांगटन बिबूङ छद्र, cन३ जबहिांटकरे छखि रुजि । बांशंब खांन घेई८ब्र, कई छैवंtब्र, बांनन्छ बेईcब्र, बद१ नंद्रौब्रां*नि छेषंtब्र, डांशंब्रहे धेरं८ब्र छङि इहेबांटझ् । चर्षव-बैचंद्रगचकिनी छङिद्व छनबूङ ফুর্তি ও পরিণতি হইছে। नििषा ॥ १•हिषंiब्र वंडि चांशांद्म ॰षंश् षोंगॆखि ७हे cय, चां★नि ७ शर्षछि छङि चछांछ बृद्धिब शtषा একটি বৃত্তি বলিয়া বুঝাইয়া জালিয়াছেন, কিন্তু এখন नकण इडिङ्ग जशडेटक छङि कनिटउटइन। सङ्ग । उiश नtरु । छखि ७कई वृखि । जांबांब्र কথার তাৎপৰ্য্য এই যে, যখন সকল বৃত্তিগুলিই এই ७क छडिम्बूखिब चष्ट्रश्नांशौ रुहेरब• डश्वनहे छडिन्द्र छेणबूङ चूर्डि श्रेण ! य३ कोब्र पाब्रा बूखियरका उखिद्र (श cथंétञ्चब्र कष वणिज्ञांछ्णिांग, ठांशद्दे जञर्षिड इद्देण। उङि चैवंबांनिङ रुहेरण चांब्र गक्ण बू'उखगि फेशंव्र चयौन ड्रेसिब, फेशंव्र धनििछ नरक्षं शङ्खैरि, ऎशंश् चांक्षांब क्षiब्र' हुण खांऽणं । ७शन उां९नंदी नाइ cष, नक्ण बुखिब जबडेि छखेि । निशा । किड़ डांशं हहेरण जांभवञ्च ¢कांषों গেল? আপনি বলিয়াছেন যে, সকল বৃত্তিগুলির সমুচিত ফুর্ভিই মহাৰ। সেই সমুচিত স্কৃৰ্বির এই অর্ণ কৰিয়াছেন যে, কোন বৃত্তির সমৰিক ছুরি बांब्रां जष्ठ वृखिब गवृछिछ कूर्डिब जबtब्रांष ब हब्र। छि गरूण बूखिहे पनि यहे अरू छवृिखिन चोब हर्हेण, छडिरे अग्नि जब्ल বৃত্তিগুলিকে শাসিত করিতে লাগিল, তবে পরস্পরের সামগ্ৰস্ত কোথায় রছিল ? शङ्ग। छसिद्र चइवर्डिंठ cकांब बृसिब्रहे छद्रव कूडिंद्र शिश करब ना । यहरवाब्र इउिमाप्त्वब३८ष किडू উদ্বেগু হইতে পারে, তন্মধ্যে সৰ্ব্বাপেক্ষা ঈশ্বরই शहर । cर वृखिद्र बउ गच्यंगांत्वन इफेक ना ¢कन, बैचब्रांइवउँ रहेरण, cण गस्वंगांब्रन सांग्निरव धैव कषिरव बां। घेरंब cष बृखिन्न ठरक्ॐ, जबछ क्षण, चनल जांन, चनज प*, चनड cगोचरी.चवल नछि, चनखझे cय बुखिब छेदकङ •-७iशंद्र चावांज्ञ
পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/৩৯
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