পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/৭৩

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ধৰ্ম্মতত্ব। कूणरूणकिर्नेौब्र डांछांटमब्र विबांशं क८ब्र, कूणरूलकछाञ्च कूलांख्षिांनौब्रl खछांजखांन विबांनं कटछ, जटनक कांबूकी कांभांछूद्ध झईच्चा जखांन नंब्रिडTांत्र कब्रिज्ञ यांच्च. जडuव ७ई वृखिद जडांव ब cणांन७ चडि छद्रकद्र অধৰ্শ্বের কারণ। যেখানে ইহা উপযুক্তরূপে স্বতঃস্ফূর্ত न इब्र. cगथांटब घृहबैोजन दांब्रl छैहांटक ऋब्रिड कब्र चांबछक । छैनंबूखायड ऋब्रिड ख छब्रिष्ठांचfहहै८ण कैचंद्ब्र छङि छिद्र जांब ८कांन वृखिड़े चैजूनं प्रथन रुद्र न । बूथकॉब्रिडांब अणडाथैौछि छैऋग्न डखि डिव्र जकण बूखित बटनंकांब्र (eवंé ॥ चत्रंडाथैोडि जूचरक बांश वणिजांश, मच्छोडि£ौडिगचरक७ छांह बलां बांच्च । जर्ष#५ (s ) ब्रैौब्र ●यंडि*iलब ७ ब्रकट*व छांब cडांशॉब्र छैनंब्र ! ब्लैौ निtछ बांबूतक्र-१ ७ धडिनंांलटन चकष ? उघडबब डांह cठांशांब्र जकूराईद्र कर्नी । ज्ञेौद्ध क्रांजब ७ ब्रक बाउँौड ●थंछाँग्न विटलां*-नखांबन ॥ ७छत्र ठ६-ांलन ७ ग्रक्रल खकृ चांशेौञ्च थां* नंiछ कब्रांe शर्धजबख ॥ (२) चाँगैौञ्च श्रृंॉजन ७ ब्रच५ शैौद्ध जांशा बरह ॥ किरू उँiहांच्च rजत ७ शूर्श्वणांशन छैiङiब्र जांक्षा ॥ एठांशं ऊँशंब्र षं । षष्ठं क्षं चश्च्शू{ः श्रृिक्षं সৰ্ব্বশ্রেষ্ঠ এবং সম্পূর্ণ হিন্দুধর্থে স্ত্রীকে সন্ধৰ্ম্মিণী বলিয়াছে। যদি দম্পতি প্রীতিকে পাশববৃত্তিতে अतिनँङ नो कब्रो झग्न, डट्द हैंहोइँ घुँौद्ध cदोश्रो नांश, डिनि चांशौन्त्र थाईरु गझॉब्र ! चौड७ख चांबैौन्न rजब1, शूथंजांधब ७ शाईब्र जहांब्रडl, हैझांई ब्लैौब्र श* ॥ (e) छनं९ब्रक्रांपf uबर शर्षांछब्रtäब्र छक्क प्रचठिथैौठि ॥ ७iझ बह५ ब्रांषिब्रां ७ई चैौठिब्र जङ्गॆणन कब्रिटल हैहां७ ब्झिांशशटन्धं अंब्रिअंठ हल्ले८ठ श्रृंiरब्र ७ इ७ब्राई ॐफ्रेिड ॥ ब्रकिरण हैंह निष्कांशषभई नtङ् । শিষ্য। আমি এই দম্পতিপ্রীতিকেই পাশববৃত্তি বলি, অপত্যপ্রীতিকে পাশববৃত্তি বলিতে তত সম্মত बहि ॥ cरूनना,*उग्निानंध्रख मांचगंडा स्रष्ट्रब्रांनं चां८छ् । cन जह्ब्रां★e श्रङिञ्चब्र डौड । खङ्ग । *छक्रिग्रंब्र झचनंडिटौडि बाँड़े ॥ শিষ্য। মধু দ্বিরেফঃ কুমুমৈকপাত্রে পপে প্রিয়াং স্বামফ্লুবর্তমান । খুঁজেণ চ স্পর্শনিমীলিভক্ষীং धूम्रैषश्`ंवड झञ्झगiब्र: ॥ यtगौ ब्रगां९ *कबरङ्गभूत्रकि, अखांद्र नंष्ट्रगणv९ कटबभूः। আর্জোপজুক্তেন বিলেন জায়াং जर्छाँवब्रांबांग ब्रदांधनांषां ॥ ማኔ खङ्ग । ७टश ! क्छि जांजण कषfछै। इiक्लिब গেলে যে 1 তং দেশমারোপিতপুপচাপে ब्रडिविडौटबू भनटन ●धं★itञ्च-दै७rांनि । ब्रछि जहिङ षत्रार्थ cनथांटन छैनंहिड, रूहैि ७एँ =ांनंब चइब्रांटणब्र बिकांचं । कबि बिटखड़े बनिब्रा निबांटाइन cष, ७ई बछ्वांत्र बहज । देश °सक्रिणंब्र७ আছে, মন্থষ্যেরও আছে। ইলকে কামবৃত্তি বলিয়া পূৰ্ব্বে নির্দিষ্ট করিয়াছি। ইহাকে দম্পতিঐতি বলি না, ইহা পাশববৃত্তি বটে, স্বতঃস্ফূর্ত, এবং ষ্টকার नयनहे चइनॆशन ॥ कांश गझ्छ ? मच्णंटिचैौडि সংসৰ্গজ, কামজনিত অঙ্কুরীগ ক্ষণিক, দম্পতিঐতি ज्ञांघैौ ॥ ठारा डैझ रोौकांब्र कब्रिटड इञ्च cरु, चटबक সময়ে এই কামৰুত্তি আসিয়া দম্পত্তি প্রতিস্থান অৰিकांब्र कटब्र ! चषटमक जश८ब्र छाँहांब्र इॉन चबिकांच्च না করুক, দম্পতিঐতির সঙ্গে সংযুক্ত হয়। লে उपरुन्हांछ, cष श्रृंब्रिषदृि१ हैविाब्रब छुरिडबांजनांब्र প্রবলভা, সেই পরিমাণে দম্পতিঐতিও পাশৰভা eथांॐ हञ्च । ®है जकल जबझांच्च झच्छडिêौछि जबडिनंब्र ৰলবর্তী.বৃত্তি হষ্টয় উঠে। এ সকল অবস্থায় তাহার जांयजत्र जांबछक । cव गकण बिब्रय शूरकी दणां इहेब्रां८झ, छांश३ जांघछtछब्र छेखघ ऎ*ांग्र । निवा। चामि यन्पूब बूखिटख नांत्रि, बड़े कांयবৃত্তিই স্বটিরক্ষার উপায়। দম্পতিীতি ব্যতীত देहांब्र चांब्लॉरें जनं९ ब्रकिङ हद्देष्ठ श्रृंॉटग्न, ईशहैं छरव নিষ্কামধর্শ্বে পরিণত করা যাইতে পারে , দম্পতিঐতি যে নিষ্কাম ধর্মে পরিণত করা বাইতে পারে, এমন বিচার-প্রণালী দেখিতেছি না । खङ्ग। बबछ बुडिe cष निकांश षष्ठैब्र कांब्रन हई८ङ *ां८ग्न, हैंश च्षांधि चैौकांब्र कब्रि। क्रूि তোমার আসল কথাতেই ভূল। দম্পতিঐতি ব্যতীত কেৰল পশিববৃত্তিতে জগৎরক্ষণ হইতে পারে না। श्रृिंशा । श्रृंसश्3 ड cकवण ७ऋांब्रांहे ब्रचिकठ इईबां থাকে। ७ङ्क। •त्तऋष्टि ब्रक्छि श्हेप्ड °ोटत्व, किच्च बङ्षाजूशè ६क नांदेरठ नां८ब्र मl । कांब्रन, *उक्रिग्रंब ैोक्टिश्रब्र बांग्लाब्रकांब्र ७ च्यांग्रु-ांज८ब्ब्र नंखि चां८छ् ; भइषjङ्गेौव्र डांश नॉरें । चङ७ब बछ्वाछांखिब्र षटषा भूक्व बांबा औजांउिद्र नाणन-ब्रकन न श्रेरण, जोछांडिब्र बिटणां८vब्र जडांबब्षl ॥ f : निषा । घइवाजांडिब्र जगङा जवहांग्र क्ढ़िनं ?