পাতা:বঙ্গদর্শন-সপ্তম খন্ড.djvu/৪২৪

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পালামেী । बिंधैौघ्र अश्नं । দৃশ্য দেখিতে লাগিলাম। ঐ অন্ধকাৰ eनकtनब्र इब्ररूब्रा नामरू ऎश्tब्रवि • cभघम८षा ७थनहे याहेय ७हे भान कब्रिद्रे! ,পঞ্জিকার দেখিতাম, কোন একজন মিলিটারি সাহেব “ পেয়েভ” বৃত্তাস্ত, “ব্যা८७ब्र” बानाध्6 थरुडि नाना कथा °ागा८ो হইতে লিখিতেন। আমি ত: *খন ভাৰিভাগ পালামে প্রবল সহর, गाcश्वगमा कौf श८थब्र छान । उभग धामिछाम न ८रु, भागाप्लो गश्त्र नरश्, d s) *i II ‘C" অঞ্চলেই নাই, নগর দূরে থাকুক, তখার এক গান গগু গ্রাম ও নাই, কেৰল,পাছড়ি ও জঙ্গলে পরিপূর্ণ । পাহাড় আর জঙ্গল বলিলে কে কি जिकू छष रू८ब्रन दगिcठ °ाद्रि ना । * १शब्र। “झकळ्ठ कईकाब्र इड" शृशङ्ग cनथिब्राप्झन, चमान्न पैाएा८शङ्ग शृश्•iाtर्षी नृणानथःढिनश्वाश्क उँोcछब्रा७fद्र जत्रण चमाcछ, ॐfहैंrब्रl cष ७ क५। गभ* अमूर्छद कदिब्रा शहैcबन,ईशब्र भाद्र नष्कर नाहे । किक श्रमा °itठ८क ब्र बगा cगदे *Iाश क्ल छन्नcग? कथ। fक:६ ९ फेथt°म कब्रt * अ॥ १*ाक हरें बारह । ग क८का ब्र अशूड व°ifख छ गभान मटर । ब्राष्टि इहे८क नाला८ौ शाहे८ङ बाहे८ङ रथम दाइकभc१ब्र मिt**मऊ मूब इहेtङ *ानlcर्शौ८ब१ि८छ नाहेगाम,उथन झामाब्र c१fद हऐ*ा ८षम भ:# ८भाश कब्रिम्लाgइ ॥ · चर्षि चुनरूकन शास्त्राहेब ८गरे वप्नाश्त्र श्राशाब्र कछहें भाइलाल श्ई८ड णांत्रिण । कउणt१ cश्रीहिष यcन कब्रिबा भावाब्र रु७ हे दाख इहेणtभ । পরে চারি পাঁচ ক্রোশ অগ্রসর হইয়। আবার পালামেী দেখিবার নিমিত্ত পাষ্ঠী इहेटङ अबडब्लग रुबिनाश। उथन चाब्र ८भए छन इझे न नt, *ाझi"क्ल७fज च्छा है ८कम! दाहैcङ व्नांशिग ; किरू छत्रण ভাল চেন গেল না । তাহার পর আরও দুই একক্রোশ অগ্রসর হইলে, তাম্রাভ অরণ্য চারিদিকে দেখা যাইতে লাগিল ; কি পাহাড়, কি তলস্থ স্থান गभूगब्र cयन cभयानtइब्र नाiइ कूशिउ লোমরাfaধারা সৰ্ব্বত্র সম্tছাদিত বোধ इहे८ङ गाशिण । ८नय भाद्र७ कठरूमृद्ध গেলে বন স্পষ্ট দেখা গেল । পুtহt. cफुब्र गाcब्र, निcम्र, जरँब छजण, ८कtate 'झाब tरुष माहे । ८काषा७ कुर्दिछ ८झण • माहे, धाम माहे, ननौ न्तदे, •ष माई, cरू दण दम-दब নিবিড় বন । পরে পালামে প্রযেশ করিয়া দেখিलाभ, नैनौ, গ্রাম, সকলই আছে.সুত্ৰ इहेcड डाश लिइ३ &क्षा दाब मौरे । भाणाप्यो गब्ब१शाइ शाशफ़ अग११], •ाइएजुङ्ग wrङ्ग भाइप्लि, ठाएाइ •ोब्र नंtदछ, जांदांद नांदांड़ ; cयम विछनिख