४०म ग१र्थे । ] প্রাকৃতের মধ্যে এক সংস্কৃতই কেবল সকলকে ५ीक कब्रिब्रt ब्रfषिञ्चांcछ् । ज७cमब्र कथिएछ छfबां, नॉरपब्रि कशिष्ठ छांद! नष्टह, किख हे१ब्रfऔब्र ज९ङ्कङ ७क । अंग्रैौtब्रब्र यिखिछ ज९* cशभन ७कभांछ औयनैौ*खिाग्न बांब्र! পরম্পরের সঙ্গে যুক্ত, কিন্তু বিভিন্ন অংশের खैोशनैो-श्वखि बभि छिप्न छिप्न श्ब्र, छ८य cश्मन ख:१५ श्लखं जब ५हिङां वेिनटॆ एऎब्र! श्वांश्च তেমনি বিভিন্ন প্রাকৃত সকল এক বন্ধনब्रव्छूएउ श्रावक शहेब्रt खfयांङ्ग 4कच दिशांन করিতেছে । ৰে প্রাক্কক্ত ভাষাতেই জাময়৷ कथ] कहिँ नt cकञ, निर्थिरुङ्ग नमछ नकद्दणङ्गहे আশ্রয় এক সংস্কৃত । ইহট্টের প্রাকৃত ভাষা ब्रtfठ८ठ न=थून अ८दtषा हहेरणe €ौशद्वे ७ ब्राठिंरष्ठ लिषिबाँब्र छांबा ५ीकहे ।। ५हे नश्शूठ छाषारे ५कठाब डिखि । णिचिहा बषन बरनम्न खांब ●यकtन कब्रिजॉम, डचंन সকলের নিকট স্বৰোধ্য । সংস্কৃতের ७कङ ब्रचाहेि खांडोब्र ●कडी-ब्रचाब्र ७कबाब खेनांइ ॥ ७हे ७कङ1 दtब्राहे८ण खाडौङ्ग खोकड ब्रक चनञ्चब ! चांब ८ष चञानां वैौ ७ ऐडङ्गिब्बा दाँक्रांजौ हहे८ठ वडङ्ग ड्हे इी •ाड़िबारक्क, डाहाँच्न कोब्रन् ७हे cष उँोशएकङ्ग निषिदाब्र उांदा छिद्र श्हेबा भिबtcझ् । नफूवा फेबिा डाषाब्र भ८क्षा ७यन किङ्क नाहे, ৰাছাতে উৎ বাঙ্গালার একটা প্রাদেশিক छांव वणिब्र भला श्रेcङ नां८ब्र ना । €aइदल्लेब्र क८थान् कषcनब्र छायां णिनिदछ করিলে ভteার সঙ্গে বtঙ্গালীয় সংস্কৃতের cष विङिब्रड cनषा षाहे८५, खेङ्गिब्रां छाषाब्र विछिब्रड1 ठाँश आप्नक्र किङ्गुष्ठहे जर्षिक १छ्राहेरस ना। चषक थैशंप्लेग:गैौ वांक्रांगैौ, एछदिषrरडग्न छांदनी । 8ఫిd किरू डेफिब्राँ बांभांजौ नद्रश्न । जर्थt९ ७कल्ले aधंtङ्घड८क नरकृङ कद्रिब्र! जांछिब्र ७क ज९* বিচ্ছিন্ন হইল্প গিল্পাছে । এক শাসনাধীনে থাকিয়te সে বিচ্ছিন্নতা দূর করিবার উপায় भिजिcउtइ मl । खांबांब्र बझन झिम्र इहे८ण जांब्र कि क्ल८डहे छांडौञ्च usकङ! ब्रक कब्रा যায় না। এই ভাষাগত বিপত্তিতেই বাঙ্গালী डेफ़िब्रl ७ चभानां★ोष्क इtब्राहेब्र! नखिन्हौन हहेञ्चांcझ । श्छब्रt९ ७ विषtछ उहाँगांछि१८क बि८*ष नउर्क ह हेcप्ठ ह्हें८द । दtजलाएछायाञ्च সংস্থতের বিশুদ্ধত সৰ্ব্বপ্রস্বত্বে রক্ষা করিতে इहे८द् ! किड़ cन छिएक नक्टडि किथिs९ শিথিলতা দৃষ্ট হইতেছে। সেই জন্ত আমরা जैौठ रहेब्राष्ट्रि । किबक्ष्त्र “क न्डन ज९ङ्कप्छु उमार्डिोद श्हेब्राप्झ् । अस्व७s কেহ কেহ পশ্চিমবঙ্গের কোন কোন ७धंt८बनिक डांबांग्र लिषिट्पङ ख्याद्वछ कब्रिब्रांছেন। এরূপ চলিলে ৰঙ্গবিভাগে জার cवन्तौ विणच इदेcव न । कणिकाडावानौ पनि छैiशब्ल क८षांनं कथंcनब्र छांशांब cणcषन, তৰে চাকাৰাসী না লিখিৰেন কেন ? এই রূপে ৰাজালায় ছুইটি সংস্কৃতের স্বচনী हहेएक् । झरे िनरङ्कङ श्७द्रा७ बl, चोब्र जाउँौइ ५कठt विनडे ए७ब्राe ठ1,-७कहे কথা । কলিকাতার ভাষাকে সংস্থত কৱিলে ৰেমন তাছার চতুস্পার্শ্বে কতকগুলি প্রাঙ্কত মিলিৰে, পুৰ্ব্বৰঙ্গের সংস্কভের চারিक्रिक७ याझ्दछब जलाद श्रव मां । छङब्रां९ बाजांनौ शैौ८ब्र १ोरट्स इरे बांख्दिछ विडस एहेब्र! बाहे८व । खांब्र नंङ्ग *िनिপার্থক্য ঘটিলে ভে ৰোল কলা পূর্ণ। জামनिणरक ७षनरें विप्लव गाषषाम इंहेट्ड
পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় দশম খণ্ড.djvu/১০৩
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