১০ম সংখ্যা । ] : ' षब्रक कtब्र बन्वि, निरजब्र नरनाग्न हरण कि করতিস ?” शैब्रामनि षनिण “ञांभt८क ७क भूóा খেতে দিয়ে আজকাল তুমি সদাই খোটা দেe, थांभांग्न cयमन अॉब्र थब्र वांछ वा ब्रगंt cनहे, डॉरें cठांभां ब्र फू८ब्रां८ग्न नांगैौशिब्रि कब्रtठ हtधझ ! cच्ण कि श्राथि झुभूक प्त्रि पारे ? अाथ পোহ্মা তেলই বা কতটুকু ? রায়, মাথ, প্রদীপ-জ্বাল—সব সেই ভেলে, তার উপর भांबfब्र रँtsi८ङ श्ध्य ! ५थन शिञ्चिदभाँ আমাকে দিয়ে হবে না, যে পারে সে कङ्गक ।” “श्रांमां ब्र cगमन रूtख क्ष्णि मा, कृtखांब्र शङ्गt !” बणिइ शtखचं ब्र नरब्रां८ष नडिब्र জাটিটা জাস্তাকুড়ে নিক্ষেপ করিল। সে नि ८ण द्वt* शबि॥! शिक् षtङ्घेण न, ७छ्षूंषि नरॐ ब्राँठे नशे वा कfहाईो 5लिङन । कूश्म वायौन्न जड़ किङ्ग जनषांबाब यांनाहेब्रा ब्राशिण । बग्न१ झून ना ५fहेब्र! नभरष्ठ छुथ डॉल कब्रिग्ना बाँल भि इt ग्नीषिण । नकाॉम्न मधग्न थtखां★ cखt७tग्नौ कब्रिब्रा बाज़ेौ fरूहिरण कूश्ध नडिडख्ब्रि *ब्रांकाछै, cन ५fहेघ्ना ठांशt८क जल षfद्दे८ठ निण । क्रूषाफूद्र दूक ‘चिडौग्र नरक‘ब्र गडिভক্তিতে মুগ্ধ হইয়া পরিতৃপ্ত তাৰে বলিল "জাজ ত দুধটা ৰেশ লাগলে ।” কুৰুম বলিল, “ৰেশ লাগবে না কেন ? अॉज cष आiधि निtज बांण निtब्रहि, श्राज ८ठांभाग्न cष८ग्न झ८६ जल भिं★ां८छ जt८ङ्गनि । फूगि ●cवणl ठांtक cडरणञ्च कथ1 कि বলেছিলে, সে সমস্ত দিন রাগে গল্প গল্প कब्रt5, पप्णप्इ cन चाइ गर्नाटब्रम्न काच tx4 . Go ? कब्रटङ •iब्रtव नां # खारेंtरू *ण. णि८थ cछfभiटक छच कब्रटव । मां cणों मl, ७मम মেয়ে ৰাপেয় জন্মে দেখিনি ৰাপের একটা কথা গাঙ্গে লয় না ? এত তেজ ! আমি তে। csाrषद्र नाथ षाहेनि, cन कि कtब्र.मा करत्र আমি সব দেখতে পাই। চাল ৰল, তেল बण, श्म षण-नय खिनिश cन छूष्णाग्न मांटक निtद्र श्रृंकिtब्र प्रकिcद्र विजौ क८ब्र । श८ड कि कम नब्रज1 जभिtब्रटझ्, ग्रंब्रन बन्धक cब्र८ष भद1जबैौ कब्रt5 ।” श८खचब्र वणिज “बtछे ! ५ी कथt ५७fलेन ৰলতে ছয় । তাই ত বলি, মাসে দেড় মণ চাল কিনি, ভাতেও কুলোয় না, দু’সের জনে मान बांब्र ना । हांब्रtभजांघैौ cमषकि चांमा ८क cकञ्चाङ्ग कङ्घरव, ७मन फे•ोब्र ?” कूशभ वनिण, “डेनाइ अांब्र कि ? उाकाएइब्र छान्न ७ब्र श्ाप्ड थारूप्ण किक्लाउद्दे कू८णारब ना !” • " शाखचब्र पणिण, "ठरव छूथि उँफां८ब्रब्र छान्न ग७ । ७ झ'रक्ण! ५'tप्ले ८म्नtष क्रिड পারে দেক-না পারে তুমি ছেলেমাহুৰ হ’ৰেল ছাড়ি ঠেলতে পারবে কি ?” कूश्म दगिण, "जामाब्र नश्नाग्न जामि जां পারলে জায় কে পায়ৰে ? স্থ’ৰেল ছু’টে। बँitष, cन जङ ७ब्र कष उनtठ श्ब्र, छूमि ठ সে সব কথা শুনতে পাও না। আমার কাপ ঝালাপালা হয়ে গেল। আমি বলি কি, ওকে এক ৰেলার মভ চাল ডাল দিয়ে ৰল বাৰু ও আলাদা বায়গায় রায় করে খাৰু, জামcबब ८कोन बिनिव ७द्र शंउ cश्याब्र कब्रकाइँ cमहे ।” . . . . . বজ্ঞেশ্বৰ ৰদিন, "ন্ধি খুৰ ভাদ মাধf
পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় দশম খণ্ড.djvu/১২৫
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