পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় পঞ্চম খণ্ড.djvu/৩৬৩

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ఈఆశీ बजकर्मब ।। [ ৫ম বর্ষ, অর্থৰায়ণ। ८कवणभांब यशांशृङ्गरषब्राहे अ७धंक्लडिन्ह नाँ श्हेब्रा ८नहे cनवौब्र भूरषब्र विष्क बृद्धेिश्रोङ *ক্ষয়িতে সক্ষম হন । প্রকৃতির স্বমহান নিয়মই এইরূপ যে, লোকে স্বত বাৰ্দ্ধক্যে উপনীত হইতে থাকে, उख्हे ७हे ज९माएब्रङ्ग अनिडाड झलग्नत्रम কহিত্নে সমর্থ হয়। যতই বুঝিতে পারে, डखहे লৈটধর্ণের প্রতি আসক্ত হয়, তত্বই ভবিষ্যৎ জীবনে বিশ্বাস করিতে থাকে এবং জ্ঞেয় হইতে অঙ্গেরকে বুঝিতে চেষ্টা করে । <थडौफ़ा" cवश्वनकण “क्रांथौन हेछहाब्र° ५व१ ●हे हेविाब्र6यांश् वि८श्वब्र छिब्रशांब्रिप्स विचाग कब्रिब्रl थाटक । डार्शएमब्र निtछब्र कांप्री জিজের দায়িত্ব আছে, এইরূপ ৰিশ্বাস করিয়া এই পৃথিবীতে বেঙ্কপ কাৰ্য্য করা যায়, সেই जश्षांशैé उदिश९जौवान श्रृंबङ्गड कि९वा দণ্ডিত হইতে হয়, এইরূপ ধারণা করিয়া থাকে। কিন্তু প্রাচ্য বুধগণ অল্পপ্রকার मिर्णइ कब्रिब्रांप्इन,-ॐांशांब्रl जाएनन cद, ॐांशंब्रt छौवनक्र° नाप्नेर कब्र छिब्र छिब्र बछि८मठ भांब ; ॐांशांब्र! निtछब्रा अ९*मकण ৰিভাগ করেন না, দ্বগুণৰলী চিন্ত্রিত করেন बl, कि९ब1 गांछगच्छानि७ ७थद्धष्ठ क८ब्रम न! ; छैiशॉब्रां छां८बन cष, टैiहाँtषग्न ८कखण 4हेबाख चांब्रिश जीtष् ८ष, ॐांश८नब्र ८ष जश्नं जछिनम्न कब्रिएछ श्हेप्द, छाइ! cश्न विकिश् घचडांब्र गङ्खि जङिनौठ ह्छ । ७हें हांप्न कन्{बांक, जश्रांडब्लवांन (gष९ मांब्रtबांटवब्र ७कनप्च जणूक भिणन ह३बारह । जांबांटबब्र मध्न ब्रां५ फेल्लिङ cष, कईवांमबरङ, जामांध्वब्र हेश्बौवरबद्ध करईब्र कण आहे अरकारे दखेक, किश्व छविश९ जtब्रहे इफेक, 4रे পৃথিবীতেই ভোগ করিতে হইৰে । প্রাচ্য अनैौमिश्र१ बtणन cब, cदमब ८कॉन cणांक ऋध शनि कांश८क ह७n क८ब्र, खप्द cगहे रुङrांब्र छछ खांशदक कॉनि cन७इl cषङ्ग* अछांब ७ वृष, ऐश्यौवप्नद्ध रूप्{ब्र चछ गरबिप्च्ब्र अछ अवशइ अायाप्वब्र भाषि দেওয়া সেইরূপ অন্যায় ও বৃথা । श्लूि किरवा cबोकप्शिब्र वर्ग ७ नब्रक ञांद्र किङ्कहे म८इ, cकवण बणख दधयांख,क्षांश्iब्र! श्वश्च ८क्षिप्खtश्, खश्tिशेिंब्रि निbि फेशं ‘बांख्य' ; श्रांमब्रां हेदजौबटन cव मृकण xtansf ( mental image ) ** *fai थोंकि, रुषन आमन्त्रां हेझरणांक डTIश कब्रि, তখন সেই সকল ছবি আমাদের স্থতিতে अशिख कfब्रब्बी जहेब्रl षाहे । gहे नकण भाँनगध्रुवि vizग्न @डिकfणड श्ध ५ीद१ जांभां८मृब्र निकछे बाश्खशं९ बणिब्रl cधष्ठोब्रमांन ছইঞ্জ থাকে ; এবং ইহজীবনে মন যেরূপ এক .fচগু হইত্তে জগুচিভাস্ক, এক ৰস্ত হইতে অন্ত दखtठ षांबयान इङ्ग, ८णदेक्कन् गब्रछोवप्नe मन वनिम्नम अङ्घझोcछ दाङ्ezडिकfणष्ठ ७क G4fछfक्ष ह्यहे८ख्छ अङ्घ Gथfङदिgइ क्षi३मान श्हे८ठ पाएक । श्रृङङ्गा९ छक्षि]९ औक्न ७३ जीवtनब्रहे थडिकव्छन मांब, dहे जीवनई ধেম পরজন্মে জগুদিৰু হইতে ৰহিন্ধিকে বাছির इहेब आहेप्न,-cव नकण विषब्र ग९कॉब्रट्र७ ( Subjective ) fgn, sIEl FC*ll^^ (Objective) su i kitsjaiv "lät - দিগকে এইভাৰে দণ্ডিত করে যে, আমর ८ष शांtन बांदेtखहि, वनि -मl cगषि#l कृणि, छट्व cनहे इप्न जांबांटनग्न न७* भृश्डिखिःउ जाषाउअाख श्श्प्र, प िि