ম,-ব্যঞ্জণ বৰ্ণমালায় পঞ্চবিংশ এবং গ शर्भब्र *कम जळूनांनिक eई वर्ष। यtठाक सर्शी धिष्ठाङ्गं रुग्णं नििश गनष्ठ राष्ट्रनिःrनtषरांश्इि श्रेह पांs, श्ङबार ठाद्र अब्रवउँ वt{ब छैफ्रांब्रt१ cष अठाब्रयाज भू१মারুত অবশিষ্ট থাকে, তার সাহায্যে ওষ্ঠ ভেদ कब्रिरांद्र नद्धिरङ कूशाँग्न न बणिद्वारे অনুনাসিক হইয় পড়ে। এই হেতু যে ব্লগ छूर्तिल-ाइ,यांब जैौवनौषसि नि:tनक्ठि-थाइ, দে অনুনাসিক স্বরে কথা বলে। প্রাণ বাংল্প भइन"४" ७***ब्र बादशद्र गृहे श्छ। षषl, -কুমার স্থলে কোঙর, নিতাম, পাইলাম স্থলে ৭িভাঙ, পাইলাঙ ই• । বনরামের ধর্মমঙ্গলে शांtषज्ञ छांक-"शष्ट श४” । बांधूं वाऽग्न ठांश्] *शम् इांश्” १। *श्ांगूक्ष” । ६म् *स्कङ्ग१ अtर्थ इकांबू ; tनांक्षांभौ हtण “গোসাঞি"। আধু কথ্য ৰাং কোন কোন इल भइांtन य, द शंtनभ, * इांtन भ भैष* १ इॉtन vरावशंद्र बांtइ ! धर्षl,-बांभ-अॅरि; নাম-নাৰা;ৰৈঞ্চৰ হইতে বৈষ্ট'ৰ পরে বেষ্টিম, প্রদীপ-পদিম-পিমি ; ধূ-ধূলী, গদ্মা*क 1(यl०२ाँ१-द्र श्०ि-ब्र अभूमब्र८१ म*ठे উচ্চারিত হইত। তুল-সং, পদ্মিনী > হিপধিনী > ব্রজ ও প্রাণ বাংল্প পন্থধিনী)। बाभू वार शिक्ङिख्रिशंप्न थ• रा: द्र७ আধু প্রাদে বাংর ‘ম” “মু"। যথা,-যাৰ, रनिर इन बांगू, दनिबू छूबर इप्न छूबिन; इश्वि, ब्रव इरण इश्यू ब्रभू। "कष कश्छि। दीभू”, “७ङ्ग वाौ निम्.” *शंडक्षiनि इ:५ ইইলে পাওখানি ৰাতিমু। এরঙ্গর কৌতুকর cरण उठि छूबिक फूबारेभू ॥ औषकारण दानठ मि म९ गाँषांइ बांe । बाषमांनि नैष्ठ dविा ब्रमूणte॥"-वार्षिक• शांन। २ ["बः निक्कथायां ८षशां:"-4काँक्रब्र ८कांव । "ंश नििश गङ्गांश*ि श्छौरःि।। 5 शंभूश्ामि” -व• ] क्,ि निर। २ व्ठ ।। ७डकां । 8 एव । (?गक। ७ रिष ।। 4 बभूएन । w cकांकन ७ जबू भगवांश्क। वर्ष, भा, १६, ११ ११ । । व्रतः २{७ ब्र वt4 काठेिtश्रृंद्र छां६ १ॉकिtज e ठाशमcषांt१शयूबा औ१इश्इ दांश्। रुषा, -শটু মটু মুটু মুটু, মুড় মুড়, মৰু ময়ূ, (তুলको कहे.कए कळू श्रहैश्रहे,३०)]। ॐ अठौs ब शिम (क्शन) छार, वर्ष९ फ़क व। উগ্র নয় : অমুম্বগ্নতাবাচক। যথা,-আৰু माद्, भाष्ट्रि, शांज़, बिहे नि?, भिक्ल.बिंछ, ३० । ॐ० निtशुछ दj कौ१ छांदtपाँ५क । श्षl-बिन्श्न्,ि शान् मान्। ०५ प्लेणtफ्नै छांtसब्र ६६*ब्लौठjtवां५क ! यशृं,-भjॉक्ष भjाँछ, बिक्रमां4, भूरुम्नांनई । ম, { थj० बां९] उक्षि९कांण छै० ५०, जिम्नांक्ङिख्।ि थl• राः "श्व"=बांधू २ः ইৰ,=প্রাদে• “ইমু">ক্ষে ম। খাইমু= খাম। “পাপ থাম বিষ পেম চারি যুগে মুঞি জীম"-নগম (বিজয়), ১৫শ শতাব্দী। ম, আমি ঐ অতি প্রা বৌদ্ধ বাংর श्रांमि बtर्ष“भश्”, “भां4”,¢भां★” ; श्रांभांद्र অর্থে "মকু", "মং", "মোর”, “মোক্টি", "cषांtशंद्र" ( झ:) ; श्रांमांद्र वांद्र! अt{ “श३', 酸 হ”, “মাই', "भाँ4*; एषांशांक अt{ "¢मांश्° स पञांभां८ठ अtर्थ “अग्नि” नप्लग्न बारशंद्र श्णि । "अप्रैं क्लिवङ्गाँब अकू ##]*, {=4tद फ्रेिंड्ब्रॉछ मम मट्टे)-5० श्रृंम० ७४:२ । "मई एप्रशंब्रिज श्रृंव#ङ ग्रं*ि*}” “তোএ সম্ব কৱিৰে ম সাঙ্গ” ই• প্রয়োগ "বৌদ্ধগান ও দোহা’ গ্রন্থে স্রষ্টব্য। সং-মহম্ >श्•ि भाइ,:उब• म; eक्लिs-न, पू. मूश्;ि थl• बार-ष, cनl, cर्भी, भू भूश्,ि मूई, भू]ि न, बांमि । “क्विन यूबांग्रण अदए भषाeर।" -श्रृंक्षीदलौ (ब्रवैौ०) । “१६णांक ५fम ॐ बां* cबी भां अitर्नt |°-मार्षिक२ नंॉन ! “মোতে অগোচর প্রায়ে জানই মু ভাল।” "গোখর চেদি মু"ি-গোবিদ গীত। झ,ि [गर-वा] च, निश्;ि न । “ मां” (কনিও না। টীকায়-“মা করিবালি")-ৰৌদ্ধ गांन७ tनांशं ! *शूद्रश् िअत्र श कभू३ि°-भै । “गइ अभ१म छसि [डूण] कद्र नश्रण निब्रखब বুদ্ধ (*~ै । ম, সিং-এ (মরণে) > বাংরমর >ক্ষেन श्री > ञ (भद्रl)] भद्र*र्षिक पांडू। मशान= मब्रिशांश। प्रदू, मरेकू-भब्रिजांश । मण, मरेणs मणि। भ३ण-भािज। मुख-भूब्रिाउ, अबूछ। नद्राजः। बॆ, [व च ॥:] *श्म झ। षरीं शीङ् ।। ११ (भश्म द्वेि), श् (ंक्षा, क्ष७),भश्(*ाश्च बकानि), মইতে (ক্ষেও মতে) ; মইরা (গ্রা- ময়ে) । । মআ, [ম ধাতু+আ (ক্রিবিগুক্তি)। भ७ झ: । भरें, ट्रेन भ8 (थप्छन्, बम), मम, भग्न (प्रtब्रन) ; मईtउ, ऋष्ठ ; कईब्रl, &मब्र । গ্রা. মায়)। পিজন্ত-মআর্ন, মওয়ান] ক্রি, মন্থন করা। মআl, {अब्र! (प्र:) ब्र ॐ|० ७ यl० बाँ६ রূপ ক্রি, মরা। “ম,” এঃ। कोहे, [चांत्रि, भूरेजः। cरो• बार इि शबशब]ग, अन्नि । “4ङकाल ईक्कै बहिर्श স্বমোহে। এবে মই বুখিল গঞ্জ বোংে।” “भ६ एषश्iद्विष्ण १अनाङ ११िञैः ॥”-5• श्रृंक्ष० ८disla । *श्वश्it१ भं ८ह्मणि लेिक्षुत्रश् छ्रु१ ।। * و او پی ۶۰ n تس মই,মৈসিং-মী (শল্পকরে) >মিষ্ট: अन• श] रि, कक्ङि (क्जएक भूजिब्राण পরিণত করিবার বংশণিৰ্ম্মিন্তবস্ত্রৰিঃharrow, "नकण नॉछ श्ल भइडून जांब गांज करें। श्री झग दूब बिा गांबाईण बरे।”-५.५ ।। २ रैकि व कांt#ब्र निर्फ़ि ladder. "नंttइ छूण tिा वैधू cरूढ़ निग बरे।”-नरोन তপস্বিনী। মই দেওয়া-ক্ষেণ্ডের জমাট क्षं अ' द्विश् िझश्च ठङ्गि चैशंझ नििश नििश। 5ांलांब ! "माझे कब्र भ शिंद्र मा कळ চূর্ণ।--শি। গাছে তুলে দিয়ে মই কেড়ে নেওয়া-প্রবৃত্ত হইতে কোন क्षिप्ल छै९णांश्नांमकब्रिवीब्र *द्र छांशष्ठ*वृख” Ha BDDDSgggttS DDDDDDDDDS Dgg gggS gggg ggDDDD DDDDS Dtttttttttt ,***షీt iభ్షణ;
পাতা:বাঙ্গালা ভাষার অভিধান (দ্বিতীয় সংস্করণ) দ্বিতীয় ভাগ.djvu/৪৬৭
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