পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/১০২

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भ्रूलभैीाणि

  • कtब्रन। ७थाळम भखिठ cश्राविकभिथ माcभ ७क थाकईौत्रैो बाचन ७ ब्रमूनाथ निश् मरम eरू क्रजिद्र गबन गमनम्ब्र छैशब्दक अरूण कम्ब्रन । उँ;शब्र यण्ाप्व. ८क्ण-गtडोरठब्र , माय इषूनापन्न श्रेण। ७षम ब्रपूनाथतूब नाटमरे श्रrाठ । . uबांtन.cश rफ़ोफ़ांग्र ठिनि छैनtबनन मब्रिtऊम, ७षनs *खांश उचिाब्र ध्रक cणrtक cनथाहेक धारक। ब्रचूनांषशूजब्र निकल्ले कांग्नर्थ-airम rअब्रिॉयग्न नि१नांcष uक नबिग्न ॐांशग्न निकछे मैंोकिड इन ।

তুলসীদাস প্রথমে জষোধ্যায় জাজিয়া স্বাৰ্ত্ত বৈষ্ণবক্ষপে मिङ्करूण मांग कtब्रब ५ ४३ ग्रमब्र उशवान् ब्राझठ wरूनिन चtप्र cप्रष1 निग्न। ॐाशहक (श्लिौ) छांशाब्र ब्रांबाब्र१ क्लना राग्निरछ जांtइन किएग्नम्र.! अज्ञcएट ष्ठिमि ब्रांभाँम्रण णिशिtफ मांब्रड करब्रन। वश्ब्रनाक७ cनरु श्रेष्ठ बां श्रेष्ठ . टेढ़ब्रtी ६यष*दशएशन नहिछ ऊँtशम्ल भष्ठtङत रुहेन । ठिनि DD DD BBttDD DBD DBBBB S BBBBBBCC নিকট অলিম্বাটে তিনি থাকিত্তেন। এইখtমে ১৬৮৬ লক্ষ্মতে তিনি ইহলোক পরিত্যাগ করেন । ম্বেখানে তিনি গাঙ্কিতেন, ॐाशद्र निबूझेबउँौं षांझे मषमe छूणगैौषाझे नाप्य थाऊ । उॉशब माध्यक्ष फ्रैंख्न कबिङ्ग थडिखि ७की श्झूमान् मलिङ्ग आप्ह्र । ॐiशांब गचtक काकैशांtभ* यpप्तरू rाबान ॐष्ठणिऊ श्राप्क्रশুনা যায়. রামায়ণ শেষ হইবার পরে এক দিন তুলসী মণিকণিক্ষার ঘাটে রান করিতেছেন । এমন সময় একজন সংস্কৃতবৎ পণ্ডিক মালিয়। তাছাকে বলেন, ‘সাধু। আপনি मश्कूछ स्रोइनन, उहरु ऊाबान्न ७क्रण ब्रायाब्रण ब्र5मा कब्लिशन কেন ?” তুলসীদাস হাসিয়া উত্তর করিলেন, "আমায় ভাষা भिएलएडु नैौष्5 छjश्वा राष्टछ, किछ श्राश्रृंबांब्र मॉब्रिकांवर्धन '$'8') অপেক্ষ অনেক অংশে উত্তম ।’ পণ্ডিত মলিলেন, “কিরূপে ? [ . पूगगौ झश्:िणम “भनिखाजन विथ नाब्रहे शूद्रन अमैौ निशब्रि । रू इनित्र की मशुश्कि कशश् विटबकविकाग्नि ॥” । चमछाम राज्ञ ७कबम कबि हिरणब, रुिबि प्रश्नम्र हिनौ कविक ब्रक्रमा कग्निरडन ।। ७कक्ञि कधकजब *तिष्ठ ॐांशं८क जरकृङ छांशद्र फषिड ब्रछब कब्रिtउ श्राह्मण कब्रिrणन । डिनि कश्रिणन, ‘चाबि डूननैौनानरक ब्रिजाना कब्रिब्र उउ कि ? ब्लगीगानहरू बिखान कrिन च्ड कवि। छेछुङ्ग कहिल्लोक्विएजन- -

  • ক্ষণ পঙ্গাখ। কথ্য সংস্থত গ্রেম চাছিয়ে লাঞ্চ । काब cथा चादरें कांबझै की जरे करैब कूबांकन **

●क नबच प्रककeभि wक्रैंड फूलनैौशीनरक बांब्रिप्छ ( *: ) आप्नन डिनि जागनात्र इकाइ cष्के ना कक्रिया कनिष्ठा श्रिशन-- - “বাঙ্গয় ঢাসনি কেঞ্চক রজনী চস্থং দিশি চোরা ৭ मजङ प्रब्रॉनिशि cनधिtङ्ग कनिकिथब्रिबिाभंiब्रां #” क्रूननैझरनग्न पन्थाः श्शबान cमध निरणब ! cनहे खैौभ স্বাক্ষায় দেখিল ডাকাভের মূচ্ছিত হইয় পড়িয়া গেল । আকবর বাদশাহের রাজস্বগচিন্ন টোডরমল কুলসীদাসের wक्रबन श्रब्रम बङ्क हिtणम। ०४8४ जब८ठ dèांछब्रभरणब्र মৃত্যু হইলে তাহার স্মরণার্থ তুলসীদাস এই কয়টা কবিতা রচনা করেন— “মছতে চাৱে গাংব ক্ষে মন কে বড়ষ্ট মহীপ। তুলসী যা কলিকাল মেং অথরে টোডরীপ ॥ फूजी ब्राम भटमश् ८को बिग्न भन्न उब्रि डान्न । টোডর ধরে ন কান্ধ স্তু জগ কর রস্থেউ উতার ॥ তুলসী উর থালা ধিমল টোডর গুনগন বাগ । সমুঝি স্থলোচন সীঞ্চিছেং উষঙ্গি উমগি অঙ্কুরীগ ॥ রামপ্লাম টোডর গয়ে তুলসী ভারউ মিসোচ । জিহ্বরে মীত পনীত শিক্ষু যহী বড়ে সঙ্কোচ ॥” অঙ্গররাজ মানসিংহ ও জগৎসিংহ প্রভৃত্তি হিন্দুরাজকুমারগণ সদা সৰ্ব্বদা তুলসীদাসের লছিত সাক্ষাৎ করিতে আসিত্তেম। একদিন এক লোক তুলসীকে জিজ্ঞাসা করিল, 'এ লব বড়লোক মাগনার কাছে কি করিতে আসে ? তাছাতে তুলসী উত্তর করেন— - “नटेश् न छू)८कोफिह ८क छटेह कश् िकात्र । সো তুলসী মহজে ক্লিয়ে রাম গরীবমিবাঙ্গ । ঘর ঘর মাঙ্গে টুক পুলি ভূপতিপূজে পাই। cरु छूशनैौ उब ब्रान बिन्न ८ङ श्रद ब्राय नशहे ॥" এইক্ষণ তুলসীদাস সম্বন্ধে অনেক কথা গ্রচলিত আছে। স্কুলীনার প্রকৃতপক্ষে ছিলুম্বানের মহাকৰি গুহার ब्रध्मात्र भांधूर्वी, निविठाकूर्वी च भाषाचिकछांव-गब्रिाषल चठि ●णशनकैौछ । हिमूहानौ चडि फेछ. ब्रांज शहनांत्र श्हे८ठ बैौब मब्रिब छिकू गर्नाड फूणनीनाट्नब cबाश गबानब्र कब्रिज्ञा थाझन । बरजरू, aइ ॐशांच्च ब्रांप्य <यष्ठणिछ. नबाश् । #कइ णकजाखमि छैiझjइ cणश्रबैौधों★ऊ पजिग्नl cबाँष ह्ञ. मी । ७३ क्रग्नखोबि सिञइ छैiशंङ्ग निश्रव पनिज झकृलिउ लम रह* ब्रामर्थौनी मशहू, ९ बद्मश्रागबौणेनैो, • क्वप्न ब्रायानन, .s नर्सिडीमक्न. * यांनहीमनग, * प्राबाख {<रे झजधानि क्रूज जइ ),' ध्वांशक्नै 4क ग९गरे) - कविउद्रनाक यो प्रस्तविक्कोक्ने, ७ नेछन्तानबक्र क. नेछको, २७ ब्लकर्महरौँ