प्रक הדהדתי-ציד-הייש-מ-=ם" • अंड़**ङ्गांकर१ बिविक जांटक**fut*f* r xi &agra, q* gatt 1* ( • i • ■ • t » ) • “...ज!”छि ईब ७८ङमाप्ख बाख्रमाक अिस्त्राक्रम क्श्ः «जब नसलिः छः विद्र गरम्हद्रर वन्द्वजांमब्रांबः छांमिठि' । न8त मृएक नia देऊाiमेिं ” (RIslअ४) > ¢छां★डिहे नर्विांtá cकवण हिंग्लन । *वंब#*ष्ठि ¢खांकांभां इहैम्नां श्रtá शब्द कब्रिग्रांहिरणम, ‘श्रांमि ¢इन दछ् गढांन गखऊि ७ श्रृंगांनेि अंहैि, ॐीणांस कग्नि, बनंची शहै uद१ अग्न श्रृंहैि !” छैशं★ई मांय नमः । পুরাণে যেরূপ বিষ্ণু বিশ্বেৰ পালক, শতপথ ব্রাহ্মণে দক্ষ ८महे °म ‘हेिब्रांप्इम • "७थछो•ठिौर कङ्गजुः म रीग१ झकी९ शिखर्छि ।” (*छ*थं ४|wisI»8 ) • यंजां★फ़िरे श्रछब्रऊ, कांबू१ ठिनि ♛हे नयख छ*८ङब्र ९छब्लst*t६१ दरम्नन ।// - इब्रिवःtनं जांबांग्न नक्रtक विकूब्रहै चक्र* दणां शरेबांrइ“ব্যতিরিক্তেজিয়ে বিষ্ণুধোগাত্মা ব্ৰহ্মসম্ভব । हिः अयंषtiडि फूव। श्ब८ख विश्शाः अंश्चt: ॥ ( त्रिवृश्ं २७s षः ) • ब्रांभांब्र१, वहां ङांब्रएल ७ १{ब्रां*ांजिण्ठ नकषtजब्र cबक्रश्नं थनण श्रांcछ्, cदरन खाँहांब्र ८कम छै८झर्थ नां श्रोकिरण७ ४ठखिन्नैौग्रनश्डिांङ्ग २छ कां८७ vé ●वंशॉर्टरक क्रtअब्र यडांव ५äरक्षांtब्र छांशङ्ग कड़कü{ पञांखांन श्रृंॉ७ब्र थांछ । // भशंखांब्रड ७ भूत्वा१iनिब्र भtठ-अकांइ मभिर्भांबू करेष्ठ लच छद्य6इ* कcब्रन ! “श्वशैब्रांनषं-दक्रांमि ब्रांछ्रौनांन् ॐछांश्रृंरकः । अङ्कांकविभांकणः अजाश्रउिब्रजांब्रड ॥” (भ९छ५ ७०) *१धॆ ग्रगं 'लङ्गांतैि ब्रहैधर भूभूडििबाः । थना डू ऋबडखछ cनवर्षिग१°ब्रशान् ॥ नइरुिमभवद्दन्नांकजनाऐबधूनयांशकः । नक: *चनश्दषांचि witथझछांभर्बीजब्र६ * (म९खभू el७-8 ) हेशंद्र भूर्ल बांनन इडेि ब्रहैछ, पण थजांनडि बर्षन cपविष्णब, बांनन न्हढे दांब्रां यजांइकि इब्र न, छर्षन छिनि यथहम दैक्षूनषांब अज ऋहेि फ्रग्रन, cनरे प्रकदि शश्छ, न७ ७ गर्थमै श्रहडि बधून दांब्रा ऋहेि हइ । दृिश्t९iखिन्नः शिषश्च शंख्रिभूद्धtt१४्रश्ह्णु भिश्रिष्ठ चद्दिड्विवांड eयब' कहाँ* कश्रिख् जलिनॉरी हस्रैश्च कर्ब, कृङ्ग, भष्ट्र, जनक, फू७ अंकृछि यजफिर्डी यांननश्रूज ऋछ बक्रि*ां छू" श्रङ जचरक श्रदt डोंगोब्रवे दहेप्ड दकभईोरङ्ग ऋeि { ૧ીના ] s 研亨 कtङ्गन । भक बै गंग्रैौtछ चाबक्र क्रछ फ़े९iब्रन कक्रिालय.s बक्रोब्र भीमणुबभिद्रक अनिं करङ्गम । क्लग्न भएनन्छ अझैमांज्ञैौ क्छरिक यां« इन । करम क्रtजब अन२षा भशंरग शूब इहेण । ८कांन नभएछ धच श्बtभर्ष बल कब्रिहtश्tिगबू, फांशtठ लकण जांभांछ निभञ्चिफ ह३ञ्चां श्रांशंभन कम्बन, किरु गठौ अनङ्कङ रुदेब्र ५३ यस्त्र मद्रशन्न ७ बक्र कईक अ-भांनिऊ श्रेब्र cषश् नब्रिङTाश्र क८ब्रप्त । ईशष्ठ भश्रमव जूरु श्ब्रा मकबङ क्षश्न कब्रिब ‘फूमि अरबब्र दश* উৎপন্ন হইয়া মচুন্যত্ব প্রাপ্ত হও, এই অভিশাপ দেন। পরে DDDBBHDB BBBHHD DD DDK DDD gBDBBB थांसं श्रेष्ण मांद्रियांत्र शहर्ड नत्र फे९*ङ्ग इहेtणन । शृtद्र मन्न कफू#ि१ मांनन थणां शहै कब्रिtणन। क्ढ़ि uहे भांनमश्छे প্রজা বৃদ্ধি প্রাপ্ত হইল না, তখন মৈথুনম্বারা প্রজা স্বষ্টি করিতে ইচ্ছা করিয়া তিনি বীরুৎ প্রজাপতির তনয় অসূিত্নীকে বিবাহ করিলেন এবং ইহাতে সহস্ৰ পুত্র উৎপাদন করিলেন। এই পুত্র হইতেও প্রজা বৃদ্ধি হইল না। পরে অসিঙ্গীতে ৬-টা झन्यजैौ कछ इहेण । उांङ्कांद्र छूहेौ कुछ अनि ब्रां८क, झूहेकँी কুশাশ্বকে, দশটী ধৰ্ম্মকে, জম্বোদশ কর্তৃপকে এবং সপ্তবিংশতি 5खरक यनांन करब्रन । क्लभ ऐशंcनङ्ग वांद्रा रुद्रांल्द्र बभ९ স্থষ্টি হইল এবং সেই হইতেই মৈথুন দ্বার স্বষ্টিক্রিয়া প্রবর্তিত इहेब्रांरश् । (१झफ़ गू ५७ भः ) काणिकांशृद्धांt१ ७ईझ* शिथिऊ श्रांtझ्-uहै छ१९ पञांति राँडैकां८ग अचा अईश्वत्रैौtब्र गूझद ● भईश्वन्नैौtद्र नांद्रौ হইয়৷ সেই নারীর গর্ডে ৰিয়াই পুরুষকে উৎপাদন করেন ७ उँहांरक दरणन, ‘फूभि aबjभडि ग्रटि कद्र।' अनखब्र विब्राहेशूझब फणष्ठ कब्रिब्रां गांब्रडूब मश्रक ऋहेि कब्रिtणन। नांकडूरु भन्न उन्ज़ांथङां८ष वचारक थब्रिफूडे क८ब्रब । बच्चा ठ१कर्जुक शब्रिकूटे श्रेश हाडेब्र जब एकक ऐ९नाशन ब्ररब्रम । मच फे९*ङ्ग शहैइ भन्न ७ बिषिदक धर्भब्रांद्र ॰१ीभ नििर्णनि ।। ७५न बध्ा बङ्गि७ षभंखाम ‘ंवत्रांशृङि श्र्ष्ट कब्रिट्नन । लच बृहज्जग्न <यंषांन थषांनcनबर्दैि, भशबॅि g tनांम* ●कृफि थिपू५१८क फे९*ांमन कब्रिब्र! एडि eबéिऊ ब्रtब्रन, देशॉरे मरणकब्र éवंङिणर्भ ॥ { कtनिकtठू* *> न" ) नकथथांनडि cषाभबांबांब्र फेरबदल का?ात्र ठगज़ करबन । cद्रांनजांब नद्विङ्कडे झरेवां यज्राचgश्रोऽब इन aव१ अभट्रू बग्न छांथनां कृछ । ऋक कहिरणज, यगि कांग्लादक बुङ्ग ब्रम, अंश श्रेष्ण अरे बच्न नि प्र, चोथ्रबि थामाङ्ग कङ्गा झरेका वहांशप्क्व नही ह३म्बन। अशकतt कहे जब एक्क्न चांगात्र
পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/২৮৪
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