贾姆 [ 96షి ] 腎隱 SiSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS चांनिनंॉणशिरांश-श्रृंततिषtग्न प्रांमैौं uरु१*ांनाकब्र निब्रभ शफिजम रईrग ब्राजा विक्रॉब्रशूलैंक भ७बिषांन कब्रिtरुन । भूमेिं कर्षt कब्र cगांtश भश्न झानि ह ब्र, बङ श्रृंछ ब्रांबांब्र ७थां★ा फोहोम्न मुख५ प्रांझ ठोश्८क झ७ कब्रिएवम । दोस्री ७द१ পশুপালের পরম্পর রক্ষণ ব্যতিরেকে এবং পণ্ডকর্তৃক্ষ শস্ত छक्रt१ ब्रांज dी वंशांब्र गावश्! कब्रिटबम । বাকৃপারস্য-ব্রাহ্মণকে গালাগালি দিলে ক্ষত্রিয়ের এক *ङ न१, tबरछब्र cनफ़*उ ** वा झरेलउ न१ ७रुर भूजब्र षश, अर्षीं९ श्रृंक्षांख् नषदिष नाईौद्रिक नर७ब्र मrषा ८कांनझन झ। ७ श्रॆष्य । क्रबिग्रहक शांनि निहण खांचt*ग्न ४० श्रृं१, ६वgएक शांणि नेिtण २ *** ७ मूंज८क शांणि प्तिरण २२ न१ न७ एहेtरा । ধিজাতিদিগের মধ্যে সমবর্ণে পরম্পর অপভাষণ হইলে দ্বাদশ *१ ल७ इरैtद । श्रांङ्ग शनि अकथा भांणि *ांणांछ हब्र, डांश इहेtण शूर्वीख मt७ब्र षि७१ श्रे८व । ७कबांउि अर्थीं९ मूंज शनेि विजाडिनिरश्रब्र यडि कर्टिन शांका थtब्रांभ कtब्र, उांश श्रेष्ण भूजब्र जिशांtव्हन न७ কৱিবে । দপিত ভাবে শূত্র যদি ব্রাহ্মণকে ধৰ্ম্মোপদেশ দেয়, তাৰ হইলে রাজা ভাষার মূখে ও কর্ণে তপ্ত ভৈল নিঃক্ষেপ कब्रिहसन। अांग्न वर्ध्नि ७कजन (१कछtनग्न विछ, cतथ, धांङि, সংস্কার ও কর্ণ সম্বন্ধে দৰ্প কৰিয়া অভধ বলে, রাজ ভাষাকে इंरक्षंड ११ ७ि ब्रिट्श्वन । भांड, निङा, •ईौ, थांड, भूय अर्थव! ४ग्न हैझांनिश्रृं८क যে গালি দেয় ও গুরুকে যে পথ ছাড়িয়া না দেয়, তাহার ५कभंड *i१ म त इहै८व । न७णांग्नशु-अर्ष९ि भांब्रांमांब्रि, चमडाछ अर्थीं९ भूझ cय cशांम अत्र चtब्रt cट्वंई जांङि८क भांब्रिएव, ब्रांज डांशग्न cगहे अत्र cझ्नन रूब्रिद्रां निरबन । मूंज पनि cथई जांडिएक मांब्रिचांद्र जछ इढ वां न ७ cङांtण, उांश हछेtण ब्रांजाँ ठांशंग्न इज८धहम ५ीद१ *ांनद्यांब्रां धइtब्र कब्रिहण नांनएाहन कब्रिट्दन । পূদ্র ব্রাহ্মণের সছিভ একাসনে উপবেশন করিলে রাজা डांशांब्र कठैिtनर्ण ८गौश्भद्र उक्ष*णांकान्न अकिङ कब्रिब्र! cम* ह३८ष्ठ निर्रुीनिङ कहिtरुन जषदां cदन नां मरछ, ७ऐक८* তাছাৰ পাছ কাটির দিবেন। দর্শ করির পূত্র প্রাক্ষণের গাম্বে धूडू cशनिtण जांच डांशत्र ७ईषन्न cइनम, यवांच कब्रिग्रा निटण णिभदव्हन, जtपाँबांबू डTां★ कब्रिड्रा विरण ७शानभं cझ्शन अब१ जरकॉन्नगूर्त्तक पनि रज्रांब्र वांचरनब्र ८कन थांब्र१ कtत्र वा रिश्नांबछ उांशंइ *ानरत्र ७ नांकि वtब्र, कांश इहैऋण ब्रांजां एङांशांइ क्चदश cश्वन कब्रिह्दम । लधांम छांकि भtषा बनि ८कइ कांहाँग्नe कुछftखन कृद्वग्न, अषंवा ब्रडा. अलन करग्न, छांश शरैtग ऊांशं★ ७कत्रउ ११ न७ शंदेहद । माश्नcछनकांग्रैौब ७ निकल ७ शरैtरु । अश्लिम कब्रिtण cवर्णनिकीनन क्लन् न ७ इहे८य । अश्शु किच छरिक यश्व्र बांब्रां नैौफ़ निtण cझलांश्नां८ब्र ब्राजा यहांद्रकांग्रैौएक म७ कब्रिएरुन । अन्नरखा, कङ द ब्रसन्न्itऊ कहिरण यहाँब्ररुगंग्रैौएक चांश्ङ दाखिन्ब्र शृश् छ्रैदांब्र छछ खैष५ *१rब्रि बाब निरङ रहेर । न प्णि ब्राण भै बाम्ब्रव्र प्लेश्वपूङ *ब्रिभां५ म७ कब्रिट्रुन । cोशाक्—िजबाचाबौद्र नमस्क्र बणधूर्तक cय आश्ञ१ তাহাকে সাহল বলে ও অসমক্ষে গোপন ভাবে অপহরণের नांय कुब्रि । cरूह कांशग्न७ निकछे जदा नहेग्रां यनि डांहाँग्न अश्रृंश्य कtब्र जर्षां९ अषॆौकांग्न कtग्न, डांश इहेरग তাহাকে ও চুরি বলে । চোয় যে যে অঙ্গদ্বার পর ধন অপছরণ করে, পুনৰ্ব্বার আয় করিতে না পারে, এজন্ত রাজা जैशग्न cगरे cमहे अत्र ८इनन कब्रिग्र निरवन। निउ, आल्लारी, ভাৰ্য্য, পুরোহিত প্রভৃতি সকলই দণ্ডনীয়। রাজা বদি নিজে अ'ब्रा५ करङ्गन, उरुग्न७ ल७ इहे८रु, ब्रोज निएछ ८ग अर्थ ल७ भिटयन, पळांशं छtण द! खांक्र१८क निरयन । চৌর্যের গুণদোষজ্ঞ শূদ্র চুরি করিলে এই গুণ, এতাদৃশ tवश cछोब्र cशाज्ज*७१ ७वर भैक्रन क्रजिग्न cफ्रांरब्रज ७२ לא न७ इहे८त । চৌর্য্যের গুণদোষজ্ঞ ব্ৰাহ্মণ-চোরের বিছিন্ত দওপেক্ষ ৬৪ ওপ দও হইবে। তদপেক্ষ গুণবান ব্রাহ্মণচোরের শতগুণ দs এবং তদপেক্ষা ব্ৰাহ্মণচোরের ১২৮ গুণ অধিক দণ্ড হুইৰে । ईौग९&इ ७ *ब्रमांब्रग१८छां८१ cणांक अtथा प{णकब्र छtग्र ७व१ ठांश शहेरठ नांनांवि५ अश्न ७ गर्सनां★ छैनश्छि रुग्न । ७३ छछ भब्रशांब्रनएखांt* यदूख cणांकनिश्रtफ ब्रांज बांनादि५ ऎरदर्शजनक नांलांकर्णtछ्नांति कt#ांब्र ण७शिक्षांन कब्रिtबन । ध्रुशंकयांणाॉनेि ८♚ब्र१, श्रृंब्रिहांन, अtणिशम, अणहाँग्न स्थल ब1 वज्ञाषां★१, ५कश्ववाङ्ग *जन ७ ७कख cछांजन ७थङ्कडि श्रृंब्रह्मैौब्र जहिङ ५ नृकण यावहांब्र कब्रिहण शैौण१aइ१क्रt* श्रनों शहै८ष । जैौ८णां८कब्र चन्हांन पनेि शृङ्गरब व्यर्थ क८ब्र अर्थशी जैौष्णांक पनि शृङ्गाबद्र अशांन श्रणं★ काङ्ग ४द१ ऊांझांtछ शूक्ष पनि झहै न इश, छांहाँ रहेरण बरे cगांव नांश्चमड ब्रौनश्&एनंदबाँका शहैtरु । * , चूंज शकेि अकांब जांचकैटस $ङ अंकांड़ जsaइष कtब्र, खांश श्रेष्ण छांशांना अक्षांड व७ श्रेrद । , छांब्रिदt{ब्रहैशनां नर्तन छांदी जडाड प्रकनैइ। छिकबीरी, मरी, कक्कि,
পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৩০৪
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