-- • *- : :*: ददेझ अडिएशन वा जश्रवनै cवबिद गाह्क कgिकर दिवाशनि इडिकरद cणबन बी कक्रीन, च्श इदैrण खांशzक cछांजtनम्र दिख१ cछांबा जपा विप्च करेr:अवर छांशद्र ५क मांदा इव4 ब७ रहेष्व । cन नकण १था बश ब्रांचाइ निरवद्र पनिश विकाउ, अथवा cष गरून जवा cवनाच्छ गईश करेरड बांच बिध्दष कब्रिग्रां८इन, क्झिब्र या cनश्वाडcग्र शरैश्च वांद्र, ब्रांथां छाशङ्ग जर्सचरब्र१ कब्रिtबन । ब्रांथां नगा बtषाघ्र गणारtषब्र विरलउिडांtभत्र ५क छान जरैरदन । वनेि ८कह uदे ७क नब्रिहांब्र जछ खे९vitष १षम हt॥, ध्रiक्षrifो गभ८॥ छ्झ विक्तानि कानि, नःिश्वं विि अtवाब्र ग१थrां भिषा कद्विब्रां दान, ब्रांज प्लेशभिनं८क यन्लांगिज्र ब्रांथएनtइब्र चमडै७१ न७ कब्रिटषत्र । अभि१ पनि थफूच ७ष९ cणांप्ड चममिच्छूक बांभ१८क भांनtषोउ थङ्कठि नाछ करई निबूख करब्रम, डांश श्रेष्ण ब्रांज फांशtक ७०० *१ ज७ दिक्षांम कब्रिtरुन । (भन्नु v अ*) शांखदकjन१हिडांप्र न७दिशि नचएक प्रदेङ्ग* णिषिष्ठ जांtझ् ब्रांज ८कांश ७ ८णांउचूंछ एश्ब्रां थ**ाञ्चाश्नांtब्र विषांन् बाँचभूमेिtअंग्र जश्छि वादशांग्न दिt*शङ्गt* *ब्रिखांज्र एऐब्र म७बिश्वांत्र कब्रिtवन । ण७°{ाँग्नबु-श्रांषांड प्लेिह ॐ ॐtब्रांछमांनि श्रृंर्यTां८णांझनl ४ष९ बन «वंशाँरणम्न ऍ४*ङ्ग मिडीब्र कब्रिब्रां नांचौब्रहिङ दिरttन विप्नं६ नईTोtणांछनी कब्रिड्रां म९ निहवन । क्रांtछ छन्ब, न्क, कि५ष पूणि निtण ज**१ न७ ए३tद । अनबिछ बख, नॉनcषोउ ७ मिछैषम अण ~र्न कब्रारेरण शूर्खीख वक अtभभ दिस१ न७ इहै८ष । जमवाडिम्ब्र ●फि ७ऐ निब्रय । ऐल्ले९इहै याखिा शां. श्रृंब्रह्मैौघ्र अंछि ७३ छन् कद्विरण वि७१ म७ । शैन । बाकिङ्ग अखि ७ऐ झण कब्रिट्ण चरी न७ । क्रिखप्टेबकणा दा भखड़ांनिरुtषं बै ब्र° कब्रिtण व७ दहे८द मां । घलांङिtक यशत्र कब्रिएण व फाइएकप्न भांडूनिरण गभगण ह७ श्रेष्व । भङ्गञ्चाङ्ग श्नमोर्ष भङ्ग फेछ्फ कङ्गिरण केसम गोश्न् ग७ श्रेरद । श्रृंग, cक°, बल्ल कि१रु श्ख अिश्ष कब्रिब्र चोकर्ष१ कtिण शन*१ ब७ श्रेष्व। दक्षबाब्र दकन, नांक्लयर्षन ७षर जांकर्ष+
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भूर्लक भांक्थशन्न कब्रिहण, नखनन ब७ रहेष्व । काéादि { अंशांtन्न जांरक्त वाकिछ प्रचनांड नां श्रेष्ठण बै अह6ीं दाखिन्ब्र २२ **, जोध घडनांड हरेरण ऐशञ्च वि७१ अर्ष दस एऐरव। रछ, णांच किरप बच् छांविब्रो भिरण, क4 की मांग cश्वन करिण, भूर्त बर्ष अकि कार्लोरेशा क्रिण, चाइ दांशरउ बाइव রজানজনমাৰা যােগ छ७ कब्लिुक्म নিৰঞ্জ ... . cर वाक्नेक्रे cनोरख बैं बक्ण जरा ! o হইল একজনক্ষে প্রথার কাজে সেই পক্ষে শিক্ষা ; वि७१ क्छcऋiन कबैिtठ श्रेदव । भcाrडिखि जूत्रब्रॉनेि थांबा चष्ठिरड, दिकॉप्रिंड, विषाकल 4षर छूनिलांछि कभिtभ साशत्र षषंीक्षांश्च *ीघ्रं षं ७ शिश्चाङि११ ७ि श्ऎ:ब ५श्रॆ श्वोशैौष्ठर। नूनःनरकांटग्रांनबूङ वन निष्फ श्रेष्व। cष *ब्रकीब्रहररु शक्जनक कछेकानेि मि:एचनं क८ब्र, विष न*ीनियां★इब्र जवा cषणिब्रां cनम्र, देशांtनग्न भएषा aथtबांड बाखिन्ब्र ०७ नंव ७ दिखैौग्न याखिन्ब्र भशाम गांश्न न७ श्रेष्व । इशांनि क्रूज़ *सब्र ऊांफ्न, রক্তপাত, শৃঙ্গাদিচ্ছেদন এবং কয়চরণাদি অঙ্গচ্ছেদন করিলে षषांजाम श्रेण५, कफू-५ ७द९ अडे°१ म७ रश्रष। फेशप्रेिरणग्न णिब्रटध्झशन किचा इडा कग्निtण भ१ामगांश्नन७ शहैtव । श्रृंयांनिभशं★उद्र ५हे जकण फब्रिहण ॐहांग्र दि७१ म७ एरेंप्य । cथ गाँशांग्नर्ण रुखम्न श्र°iणां* क८ग्न ७ीरा१ लांगैौम्न अंदुं विनष्टे করে, ভ্যাগের উপযুক্ত কারণ ভিন্ন পিতামাত প্রভৃতিকে डाली कtब्र, डाहांग्न *ठ*१ ल७ झहे८व । ब्रजक c*tश्वनोर्थ भभ७ि अन्त्रकैौग्न दल्ल श्रृष्ट्रिक्षाम कब्रिएण छिनन्4 झ७, विझम्न করিলে, তাড়া দিলে, বন্ধক রাখিলে বা ৰান্ধবদিগকে পরিতে विtण भग्नं★१ म७ इहेष्व । श्रांबूसीन मी यांमिब्र ८कयण जैौबिका निर्कांश४८कांन *iतwiचौएक भिर्था छिकि९णां कग्निरल, छिंकि९ण८कब्र ¢१भ गांश्न म७, गांथांग्रण भष्ट्रक८क बै क्र* कब्रिtण अथाम गांश्न म७ ७द१ ब्रांजणूक्षरक बै क्र” कब्रिtण छैङम जांश्न म७ ददेtव । ( थांखयुका" ९ अ*) <sथम श्रांत्र वै नकन नeविषि अझणिङ बाँहै। वृणै* भवtभ* ५थन मूठन नूडन न्छविषि चाश्न कांनाहेबांटाइन । २s cकोब्रद नचगैत्र ७कजब वैौब्र । देशंद्र अॉरूॉब्र नाम ग७पांश । ब७षांtब्रब्र वृफूाङ्ग नग्न ऐनि चर्थप्नब्र शाच् निश्ङ एन । (खांब्रड क4 »s अ* ) ९९ बांनरब्रव्र 4कजम ब्रtब1 ।। (छाँच्नेछ अ३ि० °१ च” ) २७ ऐचुकूच अक+ड श्रृंखबरका अकत्र श्रृंब, देनि छज+ छांtर्वीच्च निच्च हिद्दणब 1 २१ सरकईद्र शृंत्र, विन्दांनं*दङ्कङ । २v वसङ्गपिङ कईfीच्यह् । ब्रांड, दडक्षिjनकॐ } गठक (* ले) बचदेन क्षशक ऐक्-क् । »इण्थरच्प, थरे ।