পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৩৭৩

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थॉब्रब्रभ करी-क्वाथन, व्णमन, मनन, श्रृंनाब्र१, जविख९कब्रन

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g झेन वर्षिर्नःश’ क्षमं, बtंशश्रं म्नि:डझ णनि *द्रौब्रॉनिब्र कन्नं नरक "नन्दम, थश्च शख्ग्द्रि जइङ्गन.अभजcक भजन, भग्नम क्राक्डी जौ गकर्षcम पाशविक काभूक मा शश्ब्रांस कां★कब्र छांद्र कू९निङ यावशब्र यनर्णनरक श्रृंत्रांप्र", i” কর্তব্যাকৰ্ত্তব্য পর্যালোচনা পল্লিশূন্তেয় স্থায় বিগর্হিত কৰ্ম্মামু छैनtस अरिष्ठ९क ब्रण qद९ मिब्रर्षक वांषिऊार्थक *एकांफ्रांप्रभुं८क चभदिङडाष* कtश् । । ७ऐ भएछ उज्ञानहे भूख्ब्रि गां५न । * *ाक्षाखtङ्गe ७ख्खांब यूकिब्र गांथन दगिग्ना कथिङ इ३ब्रांtझ् पtै, किड़ भाझाडब्र चांग्रt भूडिाउड़छान इहेदाग्न जड़tदनां नाहे वणिग्नl ७ई *ाजहैं भूभूकूलtगंग्न ७कभांज अदणशनैौम्र । - * - বিশেষরূপে বাবতীয় বস্ত জানিতে না পারিলে তত্বজ্ঞান হয় না। এই শাস্ত্রে পারমৈশ্বৰ্য্য প্রাপ্তি ও চুঃখ নিবৃত্তি এই উত্তরপ মুক্তি এবং ঐ উভয়ই যোগের ফল । এই মতে কাৰ্য্য সকল নিত্য এবং পরমেশ্বর স্বতন্ত্ৰকৰ্ত্ত । [ নকুলীশ পাশুপত দেখ। ] শৈবদর্শন—এই দর্শনের মতে শিব পরমেশ্বর ও জীবগণ পশু বলিয়া উল্লিখিত হইয়াছে। নকুলীশ-পাশুপত-দর্শনের काश् । মতে, পরমেশ্বরের কৰ্ম্মাদি-দিয়পেক্ষ-কর্তৃত্ব নির্দিষ্ট হুইয়াছে। किखु uङग्राडांदणशैौब्र! उtरु चौकाँग्न न कब्रिग्नां ८ष बाक्कि যে রূপ কৰ্ম্ম করিয়াছে, পরমেশ্বর তাছাকে তদনুরূপ ফল প্রদান করিতেছেন বলিয়া পরমেশ্বরকে ফর্মাদিসাপেক্ষ কর্তা अग्ननांलेि छिब्र ५ीक छन छ१९क€ीं *ग्नrमन्दंध्र पञांtझन ইহা অম্বুমালপিদ্ধ। অন্মঘাদিয় স্থায় পরমেশ্বরের প্রকৃত শরীর नाहे, •क्ष्मज्ञांग्ररू भखिरें टैशिग्न लद्रौग्न । झेलन, उ९शूक्ररु, अtथांब्र, बांमएमव ७ गtनtखांउ uरे *ाँकtौ मझ वथाकाम झेश्वtग्नग्न मखक, दमन, झमग्न, ७श & *ांमचक्र” uद९ रुर्थांजtभ কারণ। अशू3श्, ठिएब्रांसांब, trणन्न, हिखि ७ ग्राँडै ब्र" *१कृtखाद्र७ चtुषि श्fङ्ग! अीशंडिएठः ८षांश् श्ा cश् चन्ध्रक्षांक्षॆिब्र छोग्न छैञ्चtब्रब्र नग्ननोििवभिई अङ्कज्र भन्नैौब्र अtइ, किफ फेश्। बांढविक नारु । भै जकण श्रांशtनग्न ठां९*ई uरे ८५, निब्रां कांग्र वखङ्ग फ़ेिख वग्न” १ानि श्रेष्ठ *ांटम न दणिब्र, सपङ - ' ब९नण *ब्रटबश्वग्न छडनिरशंद्र मै नकल कॉर्षी नणांगनाथf कक्रना कब्रिज्ञा “कथन कथम फांशृ* चांकांग्रं १ांग्र१ कtब्रन । এই মতে পদার্থ ভিন্ন প্রকার পণ্ডি, পঞ্চ ও পাশ। পতি ' পদার্থ ठश्रबान् fभ१ १५: शांशंब्रt foश्च * &ltठं f हरेशांtइ छांईब्रिा भd, जांब्र'निषक्शन अििसनॉफ्नं भैौकानि cकजजांवि धनपछिा, * रक्रांनिश्छिद्र नर्कशाभिक, भिंडा, अगब्रिश्रुित्र, इरख१ ७ क्रड चक्रन: tऔदांचा cवध । ] *[* *मांर्ष मण, क"ई, जांब ७ ८*ांच श्रृंखेिरखएन, 6ोब्रि eधकांश । चांच्ॉविक जसsिएक बण कtरy cदर्थन छ५ण फूवचाब्रां जांव्हांनिङ रहेजा थांरक, ८ग३झन '$*मण शुकू*खि ' ७ क्रिड्राणखिएक जाव्हांकन कब्रिब्री थtरक । १भषिभईएफ कर्च १ ॐणब्रांवहां★ षांइटिल कार्षी नकल जौन इब्र aवर नूनर्विां★ हाँडैकां८ण बांश इहै८ज्र छे९संद्र इ६ ७iइtरू मांब्रt uद१ भूझएडिtब्रांशाङ्गेक cद शां* ऊांशएक tब्राँषभौखि कtश् । जौब नसणनांर्ष बांका । $ न७णनांर्ष फिम अकब्र ? बिछांबाँकल, oवणब्राँकल ७ जकल ।। ७कमांछ मजदछन्। **यूज जौबट्क दिखांनाकण ? मण ७ कई . . ब्र* *भिषन्न बूङtरू थणप्रांरूण, आग्न भण, कई 4ब५ भांब्रां এই পাশত্ৰয়বন্ধকে সকল কৰে। সমাপ্তষ্কলুষ ও জগমাপ্ত कनूष cङtन दिलांनांकण औष७ विवि५ । ७धगब्रांकण छौब्र 8 शि३ि५ श्रृंक**६१ ७ अ*ांक *ांभ{इन्न । श्रृंक ***राङ्गग्न भूङिणन थाति श्न। अ”क गाभदइएक भूर्वाहेक cगह शांब्र१ कब्रिग्न चकईष्ट्रिणांtग्न ड़िपैद् मएशांति विछिद्र cषांनिरङ बऋ3श्न कब्रिtड श्ब्र । uरें मरङ-भम, दूकि ७ अश्कtब्र, क्रिखचक्र” अद्धःकब्र १, cछांशंगाँवन कला, कांग, निब्रठि, विमा, ब्रां★ ; ¢ङ्गखि ७ ७५ ५ई गखङष ? **महांफूड, ** उग्रांज, गंक जांtनविrद्र ७ गंध कर छिब्र गजूनांtब्र ७क विश्वङिउचाच्चक एक cनश्यक भूर्वीडेरू cनर कtर। $ अ•क गांभषग्न औरवग्न भएषा वांशभिरणग्न भूगालिनग्न गश्ङि जांtझ् ; भरश्र्श्वग्न फांशंभिशtक श्रृंधियौनठिच rानांन कtब्रन। गकण चब्रन जैौव७ दिविष--भक कनून ७ अगरू कनूष । मशtनद "करूनूबनिगरक भtश्चब्र गमौ ७ ज"ककणूषविश८क সংসারকুপে নিঃক্ষেপ করেন । [ শৈব দেখ। ] अफाङिखांमश्रम-dहे म*{tनद्र म८ड मtएचंद्र अ*नैौश्वब्र, छिनिहे uकभांब णकन जशtङग्न कांब्र१ । cद अंकाँका चहक्रनैौ वाङिब्रां cवम्हांजरन कथन मृनकि कथम छिक्रूक, कथन बी अफूडि नानाविष ऋ***ऋचित्र षष्कि, cनहे ब्रन खणवान् भप्रचब्रड रांक्ग्रथनम* नानाप्राग जक्शन कब्रिtड हैऋ कब्रिब्र'हांथन्न क्र अश्रधांभ्रक अण९ निर्माण कब्रिtठtइन 4ष९ बै बै* ब्रध्न ज६कॉम कब्रिटङरश्न । ७णछ uरे अं★९ cश्चैचब्राकक जांशtरू ८कांन गtवर मोहे । পরমেশ্বর জানাঙ্কাপ, জ্ঞাষ্ঠী এবং জ্ঞানস্বরূপ, স্থতাং 'अजनविप्रं क>**j*ि*क्षिप्रक cष বে জ্ঞান ইচ্ছছে, সে