পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৩৭৭

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-- দর্শন cश्श् ७ रमाइप्च्एर बिक्षि। काम, य९नग्न, श्रृंश, झुरू, cणाच्, बांधां ॐ भडांधि (छtन ब्राभं श्रृंप्तर्षि नtनाक्श्वि । ब्रमt*घश्tक कश्य, निज a८ब्रांजन बाडिाबरकहे नtब्रग्न थङिमउ विमtब्रब्र मिबांब्रtर्णधहांएक भ९णग्न, cय विष८ष्ट्र cरूम षटैग्न हॉनि इन मl, ७मऊ दिवब्रथाखिद्र श्हरक श्रृंश, जांब आबाद्र नकिड वचद्र थग्न ना रडेक, अउाछ्न ऐकारक हकt कररु । कर्नभानि cखtन फूकf७ मांनांविष । फेऽिङ वात्र न कब्रिज शनम्नभएगव्हाँ८क कां★णिा करश् । बांश बांब्रां भांग श्रेष्ठ नारङ्ग, ७क्रण दिषtइत्र थांशौक्रां८क cणांछ काश् । viब्रवक्षनांtरू भांब्रा कररु । इणजtभ मिरजङ्ग वांद्रिकरांनि ७धकांभ कब्रिघ्न चकैौब्र फे९झटेर बावशांनrमध्झांrरू मड कदर । cङ्गांव, भेर्ष, अरब्र, cजाइ, अभई ७ अङिमानानि cखtर cषव७ मांना अकाँग्न । विभर्षीभ्र, नश्लग्न, उर्क, भांन, यमांन, छद्र ७ cनाकानि cखtन्न মোছও নাম প্রকার। বারংবার উৎপত্তিকে অর্থাৎ একবার मब्र* चांद्र uकदांग्न छत्राक्षश्* uब* शूनब्रांब्र मङ्ग१ ७ छबनडग्न জন্মগ্রহণ রূপ জন্মগ্রহণের জাবুজিকে প্রেত্যতাৰ কহে । बज्रमि न भूखि श्त्र, उज्रनिन शकण चौबरक३ এই প্রেত্যखान झःrष श्ःबिउ श्हेप्ड श्ञ। भूङि गाउँौछ এই প্রেত্যछाद झ:५ श्हेरठ निषूखि रुग्न न । अऊाढ দুঃখনিবৃত্তি রূপ মুক্তিকে অপবর্গ কহে। এই অপবৰ্গই সকলের नैौत्र ७ य८ब्राजन। यcब्राजन भूषा ७ cगो* cङtन विविध । अडिगबगैग्न बिषब्रांडtब्रव्र गन्तानक वणिग्रा cर दियग्र अफिण१গীয় হয় তাহাকে গৌণ, আর তাতিরিক্ত কেবল অভিলষণীয় विरुग्नएक बूथा यरब्रांजन कप्र । ७थtऊाकब्रहे मूषा मtब्रांजन মুখ ও দুঃখ নিবৃত্তি। যে কোন खितः ८५ ८बहtत्र विषंश्च প্রবৃত্ত হয়, সকলেরই প্রধান डएकछ कुश्ध बां छःथनिषूखि, $ ऋष ७ इव निषूखिद्र ग”निक यलिङ्गहे अछि ८ङ्गकङ्ग विवव्र७ जार्थनौड़ श् । कगच्: गरु" शिश्ट्छन्नं -निर्द्र ۹۴۹) اfaffs ۹f : ای چپ مچ پا به डिएक बूषा ●वंtब्रांजन अनि डशनिtअब्र जॉषम बणिब्रां थप्नौ •ार्थनरिक cभोग अत्यिजन कप्र। अनिकिङ विबाबब्र *ाजाइनाrब्र मिर्मद्र कब्रांप्क् निकडिकप्र ? बथा-कि इ३रण মুক্তি হয় ? এইরূপ জিজ্ঞাসা উপস্থিত श्tण ७ नाज्ञांमेिं दांप्री उक्ञान श्रेण त्रुङि र अिरेकन बिकत्र दग्न । ि कृष्ट्रि अकाद्र-ग6डज, अठिडब, श्रबिचत्र = ****' बिछात्राव चाकादिप्लवष्क अवइव च्य्र ****** به fسح aयकिछ, cश्छू, छेनाइज*, फेननग्न ७ नििजबन । आँ”छि विप्नषtक छ* फरश् । नब्र~ब जिणैबू न श्रेइ cकांन अङउ दिवाकच ठञ्चनिनवाददारी ●डिवांशैब विशन्नएक अदि***' [ ૭૧ ) अक्छ क्रिाइब बाश्रवक्र थोषक ब्राहऐन७ जांभोकणा अझ्ड क्विप्रबमपक पविद्र सिहदक कार हा, उदात्क cश्रीकांग कtर। वङ g१अर्थछf६***ी ८१.भांच आहब्रान श:ङ्गम, caviरह्म cण चर्ष &श्.श्नं झfकाशः खशिशौचं चf कब्रजांभूर्लक विषाicष cनाबांटान कब्र बांग, डांशरा इन करर । अजिब्रांड विदtब अखिबारी ८बांग्र निरण ८णरेcनांtवन्न खेकांरब्र जनक हरेब्र! अलिखांड वियtअब्र श्रृंग्निडाभंiदि क्रत्र श्रृंब्रांब८अग्न cव कांब १ खांशां८क निGॉइहॉम कहए । छां★ बtड~~ cषांफल नदttर्षब छपञांम श३tण जास्रशस्त्रोन ब्राच। कथन वज्रब्र वक्र केनणकि एग्र ७ष९ थांचा छईौब्राशि हदेrछ शृषकू डांइ न्wडे अजैौङ्गबांन इद्र । छछब्रां६ तन्नैौब्रांषेिtछ जॉब्रष भूकेि क्लन् अग्नि भिषाॉजांन जtश्र मा ।। ७ऐझाr* ब्रांशं * cचtषब्र श्राब फे९*खि इब्र मां । दनि ब्रांभ ७ cषषरे निदूद्ध हरेण, करव फेशनिtभन्न कांर्षी चक्रणं षन ७ अझ*ीकड़ eवंद्वृखिन्न श्रृंनर्कीब्र जडांशज थां८कम । श्वन्द्वं च चक्कईहे ब्रषन जश्रáश्t१ब्र भूगैौफूङ, उषन थ#थई निबूख श्रेरण जात्र अन्नारि श्रेष्ष नl, एठधम चiङ्ग चश्चक्षुश्ाब्रश श्रि cखांशं चिंड श्रेय न। ५५९ जकश झ्ाप जिबूखि रद्देब्र बाहेप्प। ठथनहे भूखि श्३८न। औषाम्राडिब्रिज cर ●कजम नब्रामचंद्र चांtइम, कवियtब्र ●अॉ१ अष्ट्रभांम ७ अंडाiवि । [ औषांच्च ८ष५ । ] छह ७ ६वश्वविक म*म ७३ ®लग्न भ*{&मग्न म८५) “s१म ८कांम भारबब्रहे जून एrजब्र नमाकू थइनॆणन मारे, cकरण छेडद्र *ांबनकाळ ग१áश् ७ शैक गझड जांश्वtग्न#aa छब्लिभंtज्ञ नांcथ श्रकिश्ङि । नांब्रजांfिक भाऊ दिगरइ ४lहे छहे जर्णtन ८काम थtडन ना३, ७ ॐखब्रहे यूखि धश्वाम भांक्ष । जनब्र अ१ग्न cष cद्र क्बिtन्न मङtछन श्रांtइ, ठांश अफि गांभांछ । 8ब८भविक नd *वार्थ७ ?मब्रांबेिक cयांछ* नमांथरांनैौ uहे भांब ब्रिएलब ।। ४ैरे ठेउइ मलनरे नब्रयां५षांगैौ । [ छांश cनथ । ] नात्वाश4न-अरे शर्षनथrगङा महर्षि कनिन । अरविं झभिश्च चित्र cवषिगन्, aरॆ चश्च७ंश्च शङ्किणं डि७tंश्च छामिड, cष निहरू वृ*ि निःtन” कब्र कांक, छद्रिविाकरे इ९बब, छाथ लिव्र जांब्र cवन किङ्करे नारे ५ : कैरे किनिबद्रां *न्नक्रन इश्क निखtrब्रव्र ॐitद्र चका? * श्रश्वांच*iख अंकांब्र as न६५r झर्थीं९)» نامه بan* अनमा कबिद्रttइन किये.Aहरक गरिशयनन स्त्र । घूण चङ्गीठं, मह९, चकांश्च्,४्रशशं चॆष्विङ्ग, ११ छश्वtम, ग* मशहूछ a *मण की *कविंशडि डर । अइङित्र *न्नित्रग्रंथ. अरे, कहल्ला: जन६ ॐ९*खि इरेक्लेन्ज, ७क्? ुक्लब *इच्चिचmr বিমোহিত হইবা প্রক্ষিণিা কমে