পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৪৪১

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लोबज्राख्न .


z-- कभर्नाहे ब्रनाउtण वाहे उ थाकिएक्, उषम जागि कूर्वक्करण ममाङ्गतःि शृtं श्i॥१ द्विब । sऎ बड्रिब मtमt॥ङ्गशयू९*श। इहे८व ; छाशरङ cनांड कब्रिड बा, रेनडानिcभद्र जनश्वङिएउ ८कान कार्षी कब्रि● मा ७दः काणकूछे फे९णत्र श्रेरण छैौउ इहे ७ मा । nहे दनिब्र! मांब्राम्रन जखऍिड हऐ८णम ।

उथम वणि tनडाभt१न्न अश्विनखि । cमवश्रण छैiदांब्र निक गझिड़ eयपाद कब्रिtगन । दगिब्रांज हेरअब्र मिकल्ले मभूजमइएमद्र कर्सदाउ ७ फेथकोब्रिछ। बूथिइ। अब्रिडेरममि rफूडि प्रानtषठभtभइ गहिङ गब्रांभर्न कड़िब्र गरुिज्ञांनन कब्रिtणन <sष५ गांशं ब्रभइम कग्नेिब्रा अभृ८ङां९viांनएन दाऽों হইলেন । उ९णtद्र श्ब्रांश्ब्र फेडा नच जांशब्रभइरन कृठनरकझ शरैब्र अनङ्गणकडिटक फे९नाम कब्रिव्र गहेद्रा चौ८ब्रांननाभब्रांडिऋष इनिtणन किद्रकूब गमन कबिद्रा डाशबा जीब्र गर यहनि८७ १ाब्रि:णन नl, शtथं क्षमनङ्ग८स्र एडItश् छ्नि८णम । गलग्नभित्वि लिउ श्हेब्र अप्नकोप्नक इब्राइब्र झुर्ष कब्रिब्र! cरुगिग । ७विष्क भक्रप्लेबाश्म वियू इब्राइब्रभि८क श्रृनङ्गच्छोबिउ कब्रिब्रा भवब्र°संज्रक फूणिब्रा शङ्गtफ़्द्र शृté शाशन कद्विरणन । भक्लफ़ नर्सङ बश्न कब्रिब्र! चौtब्रान जैौ८ब्र নামাইয়া প্রস্থান করিল। তৎপরে দেবগণ সমুদ্রকে প্রসন্ন করিবার উদেশে ধলিcणम, दाब्रिtष ! अभिव्र अश्रुज्र ७९णाम८मब्र निमिख c७ोयाब्र छण भइन कहिब, फूमि अश्मडि कब्र । चौtब्राननाशग्न कश्-ि cणम, यनि cसामन्त्र चामोरक अभृष्डङ्ग अश्त्र वनाम कल्लिएउ अन्यूठ श्७, फाश्। श्रे८न अधि बम ब्रान्ति अभणलमिउ cङ्गल गश् कब्रिएउ चौकाच्न कब्रि । cशक्णन फाइएउ जत्रउ श्हेcणन । उ९गtब्र के८छाभ इरेंग । बाशकि८क ब्रजकू बक्रन कद्विब्र! cनषभ१ ॐाहांtरा बनाङ्गभारब अफ़ाहेब्रा निरणम । नाब्रब्रल cनवणव८क बाइकिब्र भूषडाश ७ &वज्राशंग८क शांचूष्णब्र निधक शांद्रण कङ्गिरप्ठ वणिगृजन ! aनcङrब्रां बलिन, cन कि, चाथब्रा cबनायाब्रन कब्रिट्साहि, अल्लविद्याग्रस आमाप्नद्र श्रृंख्| चारह, आधारमब्र जत्रकचॉe जथनछ नtए ? जामब्रl नc*ॉब्र णांबूण खान शद्विष cकन ? लाप्इ णिषिऊ श्रांप्इ, गt*fब्र नाकून षङ्गिरण अमश्रण इब्र, जठaव चामड़ा डाइ! शब्रिव न । इब्रिड भेवरुांश कबिद्रा ठाशहे चइएषावन कब्रिtनन। cबरशन जांबूणएनन ७ व८काब्रt भूषध्वन थांब्रन कब्रिा! मन्चब्रtरू नबूझबtण होनन कब्रिtणब ।। - वह्मकर्दी अाब्रछ हऐण । अमब्र cबकटैनरळाङ्ग बटन जाकर्षिस इरेrछ मांनिग। अश्वtब्रद्र ८दन गृह, कब्रिह्छ नाटक { 8లిసి } छोरुज्रुक्न - व८ण ७ब्रश्नं ¢कांम चाँवfञ्च.हिणी नीं च ८मबाँध्नrछन्न वांइवणe जबब्रटक पब्रिङ्ग ब्राथिहज्र नंत्रिण अl । यमकक्ल झयोरे नोभन्न भर6 ceयांविड हरेब्रां वाहेrऊ लांजिण । पछथन नकgणऐ दिवs ब्रूष विकूद्र बूषावtगारूम रूहिएफ जाभिरणम, विकूe इर्तिभाक दूकिब्र वृए९कांब यूर्दछ* पांद्र१ कब्रिद्रा नागब्रजtण eयषिडे इहेइ बांभायां१ बचब्ररक शृt* षाङ्गन कब्रिह्णन ॐक्रै दिब्राहै मूर्तिtङ मचtब्रज etई जबशम कद्विद्दा डाशरक खेtरुं जार्क{१ कहिब्रां ब्रांषिtणम । बइरनग्न cवtभ करम वांछकिब्र नश्य कनों ददैrङ अभिनिषा ७ भूम मिर्गड श्रेब ऐवजानिजरक जांघहब ७ शैनषण . कब्रिइ cकणिण । खजषांटमब्र कृनांछ cयष जकल शांग्नि वर्दन कब्रिब्रा छांशांनिश८क कछकछे भांखि «थनांन कम्नेिल । उ९गtब्र अषरबहे गर्म अधिब्र छाश मशविष कांणकूछे (अछ शूब्रांt१ब्र मरउ नकईएलtद) फे९न्द्र हरेण । ७ऐ विद्वदन्त्र जाजांt१ cनदfप्लग्न ख छत्रtङब्र ७थांमैो हडtछठब इहेब्रl *ग्निण ? ऎश्i cशक्षिता। बच। भ्रश८॥८षझ *ध्रंitशष्यः श्रॆवि! शि८णम, eय८छ ! ७षन जां★मि ब्रच1 बां कब्रिटण करण मl, बिछूदन क्वष्ण श्छ। निष अभtउघ्र छड कांममाइ cगहें कांणकूछे गान झद्विथ्र! cहिणिtणन । विश्वखicश ७fनि कांश् िनौशश्f थांब्रन कब्रिहण डिमि औशकई मांरभ बिषrांछ इऐtणन । निदङ्गनाब्र कांगकू अखरिंफ इश्tण cनयtनडा कठछणांड कब्रिब्रः शूनब्राज़ नॉर्णब्रमइएन eवंबूड एहेtणन । यदाग्न ●ाषtभ छब्रडौ नांभक जॉर्डौ $९*द्र एऐण । बचावांगैौ षविशन खांश८क अश्न कब्रिtणन । cनपछाप्नl &ौबडे हeब्रांब्र छैiशcनब्र बख विनडे इऐब्राहिण, ♛षम छब्रडॅौब्र इ८ङ cनदे यला फेकाग्न कब्रिदान्न अछ महर्षिब्रो फोशन्न ८नषा कब्रिtड गtभिप्णम, छ९णद्दछ अश्वब्रज फेदैछःअब ७थिछ श्हेण । ऐख ७ पनि छेउcा३ डाशय्क गरेरउ cछाडि श्रेप्नम। विकूद्र भइबानी हेछ जॉ*ोiपछड़? पछांहॉब्र cणांड डTां★ कब्रिtणम । छ९*itा भजब्रङ्ग $ब्राषड शेषिउ श्रेण। भैब्रांवड कपूर्मिक दर्शी । ऐछ ५३ श्छौएक अंश्१ कब्रिtणन । "cा जडेदिनूनञ, जहेकब्रिगे, गशब्राण ७८कोच्च्यपि ऊँ९णब्र रहेन। cकोखख्बनििी बिक्नु चञ्च९ वtण थांब्र१ कब्रिtणम । ख९८s ऋब्र१ णऔtनईो ऐ2िcणन, ठ९गरज जप्नोकिक छानणावनाब्रडी कभणमब्रन शब्रमब्रयनैब्रा जांब *की काकिनी केf**णम, ऐशब्र नांव बाझनै व मदिब्र। बांब्रांकr*त्र जीtदएल नtखाब्रl aहे कछl aाइन कब्रिcनन । उ९vitब्र अवृंखकूछएtख षषडनि छैfटैष्णन । cनव*षका जवृङ sइ१ कeं ददेrनन ५वर ६गएकाब्रां वरण फांद अरा रहिन। बाक्षाबन उपन८गरिनी बोर्ड अद१ कवि। 邸