পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৪৮২

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[ 8tre J ज्ञांछि झांछि लांछि, ७थब्राहेब ब्राब५ड बालिग्न ऋषा ५र यषन ८थ१ ।। देशश्वत्र बtषा यवांव आtश् cर, शूकर्मकttण भजनौ, wगब्र, लौणफिणफ ७ ८षप्लशृtफ़ माछिनिtश्नब्र याग हिण। माछषषि ईशtमब्र जांमिशृङ्गव । मांछक्षविग्न छे९*द्धि नषएक ५३ কবিতা গুনা যায়— “१एँौ गठौ रुनराग (मद ॐ}ब्रांय शैt५ ।। गोळाजी छांजीब्रां२ कन६णबांtणां कीt५ ॥

  • ्झ। मणिष ८१प्) ५ कूश्रद्म श्रश्व बI८ष्ाः । অশে কুংযর অবতার জশোথত পুনম জারে । शr१ इश्वब्र ब्रथौबार गठो जीठ भूतनान घ्रागैौत्राः । दम१ 5ी cक्ष भाइ!१ दण१ cश्ड काङ्ग गरु शैोग्रा९ । *ण cषांशैौ क्लशौ cजब उहाँ९ बालक नईौ९ नौtण । प्रांtर्ष ८कारे बश्वाङ्ग शैश् शैब्रांण ¢रू भए* ॥ (८क) श्वtद्र ब्रथैौ इग्न भाॉन ७iछब्रशि नाम cणब्रां८ष्ट्रl । ७५ रुtइ श्रांौग्रां१ २ांण अभ शैौtण वैौ८ज বাত কুণ তেড় ৰে শগতী ভেরে। मांग ¢अ% *ष श्रृंॉम झछ छनष्ठtशंi काबद्धांय

cजॉम न४बtग्न श्रृंबtछझ लग्न वtणां ब्रह्मथ एप्लांड । tश्क छफ़ cजां५ छैगltब्रl cछांब्रांनौ ब्र१ आtजनग्न छांउँौtन *ांरब्र अनtवश्रब्र फूनग्न अंग cश्क गउ पूजtब्रा ॥ जयनग्न भशमब्र cफ़ॉब्राजौ4 भहांtछां५ c°मांण इ८ब्र! ।” cशव eौब्रांम नैौद्धttक रुनयांन ग्निन । गैौठ रुिखनक्रन গিয়া বাস কন্ধিতে লাগিলেন। দশমাল পূর্ণ হইলে তিনি भूगझरअब्र छाग्र कूयाब्र अबटांग्र णदएक थगर कब्रिtणन । ( 4कभिन) गौजी कविन्न निकछे नूङएक ब्रांधिड़ बांन कग्निtऊ श्रबन काब्रन । किरु ७क बनछोएक cनथिन्न किब्रिङ्ग आजिग्न। गदएक णदेब्रl.कॉम । ७विष्क थरि बाiनांcख गङ्घ४ रुणिकएक cषषिरङ न थाहेब्र! यtन कब्रिtगन, cयां५ इग्न दिफ़ोण, द! मूंशाण अथवा ८कन थशक फांशष्क मांब्रिज cरूणिबाटश् । अिहे छालिङ्ग डिमि झोछ ( गर्ड) श्रेष्ज्र ७कम्रै भूर्ति अंञ्चछ कब्रिागन । बङ्ग इङ्गल कब्रिग्र उँशब्र गर्छ भबि बा वाडप्रक्षि नभि निt५िtलम् । जैौ७! *िद्भिद्रां चरृिध्रl cक्षिणिन, cवन ठेिक ॐtशब्र शूरमग्न छांग्र जीब्र ५कछैौ प्रश्ब्रिांtझ् । (कवि कश्प्निन), cश् भखि ! कथाम्न माग्न कि हरेरब ? ५ इहेछेtक cडोमान्न भागन भूज बनिद्रा जांसि७ । ७हेडरण कृऊष्ञद्र थ६क गङ ररेण जाईबाएन. झकभएकcनामबारङ्ग इर्खाजा कवि मदक्ण बर्डरक रहे कब्रिट्णब। अनएक्श्रव्र भर्खर७ ४a अन कवि नबएन. cगरे बूभत्र ४८४६ क्र्र गंड इष्ट्रंश खि ७९१॥ ऐश्वाणिन । शंभषिक् चषश्च १•नि - -


-_ नूझाव जमब्रtगन बञ्चdइ१ कtब्रन । ठिनि vtनंiनफ़ छहेtछ शाब कब्रिब्र c5ांशननिशंtक ठाफ़ॉरेब्रा धबां**फ़ अधिकांग्न করিয়াছিলেন। অমরলেন হইতে ১২শ পুরুষ মুরপাল । हेनि यभा५शफू ब्रिउान्न कब्रिङ्ग किष्ट्रनिट्नब्र अछ कार्थीव्र অধিকার করেন। মুরপালের ১৬শ পুরুষ পরে ৰোধী কাশ্মীর इप्लिग्नl *क्लिग्नांब्रधि१८क *ब्रांछ कञ्चिब्रां ऊद्दशांल जशिकांद्र করিলেন। তাহায় ১০ম পুরুষে অধিরাজ স্বাদৰদিগের निकछे शहेtठ *कअब्र झर्भ णञ्च कब्रिब्राझ्णिन । cझछ (cछङ) अर्थिब्राण श्रेष्ठ १ श्रृङ्गारु फ५छन । हेनि ००१९ जक्रङ ক্ষোরম্ভাদিগকে তাড়াইয়। খেড়গড় অধিকার করেন।

খেড়গড়ে দাড়ির বহুদিন ছিলেন। তৎপরে রাঠোরtि१ाङ्ग हtस्त्र निर्राफन cछ% कब्रिएउ श्ग्र । उँशिंtझग्न माक्षा श्राणशखि ८कोनक्रtो आश्रब्रक्रा कब्रिग्न छिन्माष्ण (डिब्रभाग) জালিয়া বলৰাল করেন। শালদাতির অষ্টম পুরুষ পূৰ্ব্বৰী कुक्षांब्र गमtछ भांछिग्न। कछ्वांझ्छेौष्णब्र बिकछे इद्देtङ छैौणएँौशंफ़ अम्न कtब्रन । uर्षांtन राइलिन ठांशहप्रब्र ब्रांब५नैौ हिन । झुलाग्न श्रेष्ठ श्रृङ्गष °:ङ्ग cगएभर्षब्र शछि अश्रुश्५ कtब्रन । हेनिcमश्ब्राज कविtरु cगांउiग्ना भांभ झांन कtब्रन। ७९नe कदिब्र ब११५tब्रब्रl धै &ॉम ८छांशमथन कब्रिप्ठtइन ० ।। भागमालिङ्ग थप् गोज आगणनास्त्रि श्रृश्विवाक् ख्न्मिाण ছাড়িয়া এদরে জাগিয়া আশ্রয় গ্রহণ করেন। এখানে এদরब्रांज ऊँशिएक श* शजांब अधारमारीब्र भtण बियूङ कब्रिtणन । झtभ ऊिनि पञानक४fण &ांभ ग५ण कग्निप्रां छौशक्लिश्रृंtफ़ बांग शांगन रूरग्रन। श्रांगणक्षांखिब्र शूज़ ४क ठौणगर्कीरघ्नग्न कछांब्र क्रtग मूर्ष इहेछ ठांशग्न *iणि3श्१ कtब्रन, किरु cणाश् जयांtब निनिष्ठ हरेबाज़ छाग्न ५ऋग्न न चांनिग्न भाषूथिथरब्रज निकठे (कांtङांद्रण गशिरफ शिब्र उitझेश्वघ्नी cणरीौञ्च कtठांद्र अब्रांश्वन} जांमुख कब्रिह्णन् ।। ८मरीौ ॐांश्ॉग्न भूजाइ जकडे इदेब्र छैशाक थिए।ब्रादौब्राप्बन्न निको बारेष्ख् जाएन" कtछन । लिtब्रांशैब्रांछ ऊँiहांक ८ब्रांड्-ग्नरब्रॉब c5ांब्रॉनि &ांभ झांन क द्विब्र! ॐांशं८क जन्झांनिष्ठ कrब्रन ! छांदर्भेदंईौग्न क्ल*ोध छिनि गत्रांन णांछ कtब्रन, ¢हेबछ ङिनि ऋitछेदत्रैौग्न नांभ &इ१ कtइन । ॐjदॉब्र ब***rब्रब्रl ७थन७

  • cनाडांनू! शान-नचश्च बरे इश अष्टनिस जांtइ
  • कहषांह कांt; cछज इtद जरै cच्णक्लौ नांदङ्ग अगैौ इव छt*itब्र! जनग्न ● . ग्रीन ग्रंथ झरगई ह4 cबादsiबtन rगांशtनबू

शोषंa cojpgशं शुiंitui ”