क्रनिनै, गूश्नांब्रनां★ञ्चनॉब्रकंग्निरल डिमिरें ईडब्रडॉकिंगैछौ, नअमनtभङ्ग छिनिरै बूस् ि< cमपांभडिचब्रभा, थफिनांटबन्न वTांवrांभडि, ब्रांखांद्र मॉनर्भखि, भखिद्राभिह विeछरिङ, नखैौब्र •छिउडि, अक्रम cष थकि फैश्रक३ थोधि भइरश्कएक नान रूब्रिब्राहि । দেবীর পরিচয় –সর্বপ্রথম ৰাজসনেয়সংহিতার গুরু षषूर्तिन ७८१) जचिकांग्र $tन्न६ गां७ब्रां बांग्र “এষ তে রুদ্র ভাগ সহ স্বশ্ৰাধিক তং দুৰত্ব স্বাহ - cश् ब्रज ! cडांमांग्रं छनिंनैौ जदिकांब्र गरिफ जांभांटनब्र «यनख uरै शूरब्रांझां* जष्ट्र6इ कब्रिब्रl aश्* कब्र । - (তৈত্তিীয় ব্রাহ্মণ ১৬১৯৷s )
- $ ७५ttन ङfशृङ्गिनि बशैर्भ्रश्नः।। ५ऎवशं गिभिशttश्न
‘चरिरु!ि जिचर्शिनैौषिः क्ष:ज्ठखिम् ( २।५२।s ), *अक्षितःि। श् ऎव नांमांश वग छब्राहैशय गश् छांभ हैछि cषांश ब्र६ क्रजांथाः जब cनदण्ज क्रिब्राविनः श्रुभिव्ह उदकि उदांछष उगिछ जबtशबडद्र गाषनङ्गडद्र उ९ श्निखि । न sारिक भद्रः • झण१ eयां★ा छब्रांनिकभू९*ांछ ठर विtब्राषिम९ शडि । ब्रजशिक८ब्रांङ्ग4ङ्गम८मन झयिषां श्रृंॉख१ छरछि । फळथांछ डिद्धिब्रिः । *ष cड क्लग्न छाँगं: नश् ऋटवांशिकtब्रपछाॉरु , *ङ्गदां अछांचिका नाँ डिङ्ग ७दा श्निखि ५१ निखि ठदैब्रट्रैक्म१ गश् श्रमब्रीछि ।” (סלו• לו: "tשי) जचिकांब्र ब्रजङशिनैौष थफिाऊरें फँउ इहैब्रांtइ cष, अचिक ॐांशांब्रहै फनिंनैौब्र नांभ,-ॐांशांब्र नश्फि ॐांशंग्र७ बख, छण आtइ । uरे क्रज नामक जबtनवड ॐशत्र विtब्राषिश्रt१ब्र इनtनऋा कब्रिड्रा थाएकम । cगऐक्रन गाथनफूड প্রদেবী ভাষা ভগিনীর সহিত বিরোধিকে খনন করেন। cगरे अविक भब्रह्मनक्षरशशूर्वक जब्रानि ठे९णांनन कब्रिब्र ॐशत्र विtब्रांषिक बिनान करद्रन। क्रजeरिकब्र केअर रक्-ि খনি প্রশমিত হউক। তিভিত্ত্বি (কাঠক) প্রক্তিতে আছে, cश् ब्रज ! ७१ cठांनांब्र छन, खनिनैौ चक्किांद्र गरिज अश्न कब्र । ७ई अविकारे नंब्र९ क्रथ वांब्र१ कब्रिब्रां देशटनब्र इनम क८ब्रन, cखांबांग्र नहेिड (चांबांब्र) लांड क८ब्रन । ♚ङ eधमां५ दोघां जांमां पादेरफtइ, cबरी जविक थथtथ भ्रूंश्ा श्ळेौञ्चं *श्ा fश्रणम् । ’ख९१८ा खणरणिांश्च ●भनिवहक कथा ४श्वक्डौब्र डे९गखि नचरकwश्ञान विक्त्रन
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- अथ देवा बजदन्-नषषtब्रडरिबांनैौश् िकिरनडादकविचि। ५. फtथछि उनङाजव९ डबांखिtब्रांह८५ । न खबिटअवांकौएर्भ द्विद्रकांचणाभ वह cनाङमांनाबूभां**रनवडौम् । खां९८र्शवांछ किएमठनपक्रभिडि । न बtभछि cशंशष्ठ अचt*1ष? ७डदिजtब्र मरीव्रश्वबिछि। छाफ ऐंहद विनोक्षकाङ्ग बहकछि ° '
उपन ऐठररू करिष्णन, ‘मषवन् ! जान cनचेि ७३ फडिग्न चिनिनüी कि ?” डिमि वणिरणन, ‘ठfहै इ8क' ७बर cषभन अजिबूषैौ श्रेरणन, अमनि जतृ* श्रेज cग्रेण । cनहे वच बश्नाख्यांमा ७मा रमवडीी औभूडिंtख थाकांtन जांगंभम कब्रिटणन। ॐांशां८क ऐव जिलांना कब्रिहणम, ‘७३ उडिब्र *ांब कि ' cगरे (जैौङ्ग*1) कशिष्णन, ईश३ अभ । dहे ब्राचब्र विजब्र«धंखांtवरै cफांभब्राँ भशस्णांड कब्रिध्नांइ । छषम हरेrङ छिनि बझ८क जांनिटणन। ८कtनांननिषtनग्न डेङ दिवब्रगष्ट्रिगांtब्र छांना बाँहैtखtइ, $भा १श्मवर्डौरे बनविणT । छांकृकांग्र ७थांcम ॐम! bशबवर्डौ भ्रंशिनि ।ेवश्i बोtषri शरृिङ्गttश्ब,-*श्शश्त्यैी५ ८एषङ्गडिlडब्रशृदउँौभिब यहt*ांछत्रांमांबिछादt । जर्षदां ॐदैभव श्विबरखा इश्ठिl tश्मवउँौ निकाcभव जर्करलन भैषंtग्रण नर वर्डtङ ऐफि ।।' ६ङखिन्नैौग्र जां★णाटकब्र छांtवा जाँग्नर्णांछर्दि* uदेक्कन जिविद्रोएश्म, “रिक्ष९यूबा cोर्वा बक्रविनाडिबानिक्राणवान् cशोईौवांछक $भांनzच अचबिछांबूनंणचब्रछि । थछ*ष चणचकांtब्रांभमिदवि अत्रविनाॉबूर्डिथणांtव बनविशांबूर्डिं****ाहङ ‘वहनाच्यानांबूवां* ध्रप्रदशैर फॉर cशशष्ट बैंखि चरिषत्रः डब्रां छैबद्रां नए दॐत्रांनचां९ cणांब* * ***** रियारबद्र क्छ cगोत्रीङ्ग बकविकार्मिनी श्रण थाकाब cशौचैौबांछक छैब श्रृंच चांब्रां बचक्विॉश् िवॆनणश्र कब्रिएउtइ । ५३ cझ्छू च्णचकांद्र डेननिवरन बनदिकात्रि बूर्डि वर्तिष्ठ ऋ* ब्रारइ । 'cगरे पदप्नांच्याबाँझेकtश्वक्रीी छैiशप्क-शृणिट्टनम', औदेब्ररन उवांब नदिखचक्रगलन दृश्डू cषांथ नान कदेशांक 1५:: भाषांत्र केक चांबकाच्च * जहषष्कब तक्षकं★♚