পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/৬৪২

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इf ( $8 1 इत्री 3: .. नांद्रर पछैनॉरछ dरूटैम८षांलग्नकङ्ग** बकां कू श्रृंकईनिएज थांब५, क$णांछ छन भूर्लशrर्सीषनर गब्रक्रिन नांग६ जांबझ्थ५ ।। वा कूलागिटन नाव: शीनांच् चना नरब्रशरि कईi९ cबारनर खेछब्रनिtन गांब पहाडांप्य गूर्वीरङ्ग दशांtcवांक्न६ °(ठिविठ') eधष्ठि*मांकि कब्र-अॉचिंन बांtनब्र सङ्गणंtच मदब्रांछक बिर्षि अइ5ान कब्रिएक् । यडिणगानि झरम मशंमबी अर्थाउ वर्षाबिषांtन भूजा कब्रिएफ एरेtव । यडिगtन कब्रांप्रख रूब्रिब्र भशनषऔ शर्षीरु cनबैौषांशच्चा गा? ७ शूबा कब्रिएफ श्रेष्व । eथठि”itन ८कभगश्चाब्र अवा, विजैौब्रांब नद्वैtछांब्र, कृडैौब्रांtठ नf१, निगूद्र ७ जणखक, कडूर्यौरष्ठ भभूर्णकै, ठिणक ७.cनणभ७ण, ग*औरङ जनहांग ७ वर्षांनंखि अणज्ञांब्र, दछैtठ गांबर তিক্ষত্তে ৰোধন, সপ্তমীতে পূজন, অষ্টমীতে উপবাস ও भहेनडि गूज, नवभैौtफ eas७ ७ अछांना cनषठाब्र गूजl, वणिनान ७ ङ्कमाईौगूजा कब्रिाऊ श्रेप्र, नभमैौण्ड ५ण कब्रिग्नां विनजर्मन रूब्रिtफ इहेष्व । ७श्ब्रन बिषिरांद्र थांशंब्र गूज करग्न, जांशप्लग्न गकण भां★न् नांभ ७द६ नूय, नांद्र, बन ७ शांनानि विविष श५ गांड झ्द्र ; अढकांtण ७३ cनश् गब्रिडाांश कग्निब्रा ठशदउँौब्र *१भtषा नब्रिशलिड इब्र । ५.हे विषांमtक नदब्रांबक कtश् । “आविप्न ७क्रभtग फू कéबार नबब्रांणक९ ।। ७थठिन्नानिजtबटै*द वांवष्क नवभैौ छ८द९ ॥ কেশসংস্কায়দ্রব্যাশি প্রদত্তাং প্রক্তিপদিনে । न्प्लेt७ांब्र१ रिजैौघ्नांब्रां१८क*णश्वभtइङtष ॥ नf१९ हडीौब्रांब्रार निगूद्रागडारू१ उथा। मधून#१ छछूर्षfांढ ठिणक९ cनजब७ण१ ॥ *६मmi१ जजम्लांशंद* श्रृंज्रrtजइब्र°iनि छ । दईाi१ दिचङएब्रो cदांवर लांबt णकrांश कांब्रtब्र६ ॥ नखंभाi१ यांछब्रांबैौद्र शृंशभएषा eथंभूजtछ९ ।। উপোষণমখাইম্যামটশক্তেঃ গ্রপূজনং ॥ नदमrाभूsis७tब्रl छदाकषां6न६ मिशt । পূজা চ বলিদামঞ্চ ভৰদ্মা" গ্রপূজৰেং ॥ * कूवात्रैो भूजमैोब s छूषगैब छ डूबटैनः । - সংপূজ্য প্রেধণং কুর্ধ্যাৎ দশমাং শাষরোৎসলৈঃ , जामम विषिमा रड cदौर चैनब्राउ भद्रः । झश्रश्५.ेणिकास्ताब् cषदैौ णंींiषि श्ठि१ ॥ পুত্ৰদারথমীয়াং म९५r। छछ न दिछएफू ! দুভেচ্ছ গন্ধমান জোগান প্রেত্য দেবীগণে ভবেৎ।।" क#ाक्किम-दन्नैव नि. झाडाकारण कहाडच् ऋविद्या সাংস্কালে বিশাখা ও ফলে ক্ষেীয় ৰোধন করিখে, সঙ্গীতে -F-Fo ബcवांश्ऊि विदर्थीथ अनिद्रा भूजां कनिtड श्रव, अtवौष्ठ श्रूज ७ जांश्रब्रव, नवगैौष्ठ अंडूड वणिगान ७ नूजा ५षः गर्थबैौरछ नांदtब्रां९गर चांइ बिनéन कब्रिाड शहैएष ।। " “cबोक्राषिभाषाब्रा बाा ८नकै क्रनबूझ । नएंमाॉर विषनाथांखांबांशङा ●डिशूजtब्र९ ॥ नूनः शूबा६ उथाहेभाांश विtभरवण गमांकtब्र६ ।। जांशत्रक चब्र१ कूर्षां९ वगिनांन१ भशनिनि ॥ <यङ्गठबणिनांनॐ नवभा१ि बिषिबक्रtब्र९ ।। शtrब्रकनफूजां५ cनवैौर शर्शीमण्डन गूजरअ९ ॥ शिशुनं शिशाखिं ब्रूrिiहैष भtवट्झt९जरैश्वः । भूणिकर्कबविप्करेगः कौफ़ाएकोछूकमज्ञtणः ॥ ভগলিঙ্গাভিধানৈশ্চ গুগলিঙ্গপ্রগীতকৈঃ। ठश्रृंगित्रकिब्राठिन्क कूर्दrtफ़ म*मैौनिरम ॥” *( ङविमृशू: ) शt५tझ१ख्: eftङ्ग ५े डिन कृताघ्र c१ि! क्षांघ्नि, नविभाlनेि रुग्न, «थछि*iलांभिकग्न ७ वर्छाॉनिकझ । अtनक झtण uरे विशिषं शtझञ्झ षष्था ८ष ८झॉन ५क कझांश्गरिङ्ग इ्रः शूव। হইয় থাকে ; কিন্তু কুলাচার অনুসারে বাহাজের ষে কোন कटम्नग्न दिशांन थारक, ठांशब्रा cगहे रुझाछ्नारद्र शूजां कब्रिtश । cषtश्छू कूणाऽान्न ठेझऊषन कब्र भांशगशङ नtर । रुझांब्रख् इहेtग cगहेनिन श्रेष्ठ भशनबभौ भर्षीख भूजा ७ दिछग्नांनभमैौष्ठ विनिर्णन कब्रिtठ इहैtश ७शt cथङिभिन cन वैौभांश्!फ्ध्रा ७ १दिल्लङ्मांनि गांठ कब्रिाऊ इहेtव । “মাহাত্ম্যং তগৰত্যাশ্চ পুরাণাদিষু কীৰ্ত্তিতং । नt#क्र श्रृं५मांचानि गर्तिकांमनमूकtब्र ॥" शूद्रांगांनिt७ कौखिँउ छ१बउँौब्र. भाशम्रा नकलकांभमां সিদ্ধির নিমিত্ত পাঠ কল্পিৰে। মার্কওেয়পুরাণান্তর্গত চওঁীতে এইরূপ লিখিত আছে—

    • ङ्ग९कारण भशशूब किइएउ शां क वार्षिकौ ।

ठशां९ भट्टैमठग्रांशम्रा१ अंब छडिग्णमदिष्ठः ॥ ज#ीवांषादिमित्रूtङ ५नषांछछ्ठांविठः । षश्चiष९चणानि खशिश्ाडि मं श्रश्नः ॥” ( sGौ )

  • ब्र६कtरण cष मशशूबा रब, ७iशtड भांबांग्र मांशांका णवश भ*मैौत्र, बारांब्रt छडिशूकर्तक ७३ cनरीनाशका. भा? बा अंपन कtब्र, ठांशांब्र! जरुण थकtद्ध वि"iन् इहैtड बूड रुद्र । [ छर्रोवार्ड श्रृंच cबष । ] - .

मृक्यादि कब्राब्रह्न दहेटक वशंबबझै गर्दक अडिजिम *ऋषांत्र कहिब «वशेवाड़ांचा, ना? कऋिछ, रहेछ । ८कह GGB BBB TDBBB S DDD S kkkkS kkk