পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/২০৩

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বাগল সাজি প্রোচীন গত t * ] », w विज्ञांनह्नमूह পরিদর্শন श्रान्तः श्रींश्च भुंक्षन क्रइन । मौडिनपनिच् भन्न भाd बागरुरक्ख मौडिल्लाम्बइ अरबक् । , ऋब cरथिइ डिनि ७३ °वनागैौब uकांड गचनाणेौ इन्जन ! aहे গ্রন্থে আটচল্লিশট গল্প আছে। মনােঞ্চন ইণি-নীতিবিম্বৰ একখানি পুৰৰ। ১৮১৯ সালে यूनिख इद । निचगंदिछांरभ वझ्कांण गर्दाख us३ arइत्र eयंत्र्णम हिन । देशरङ वांजकनेिtणब छिडविप्नांवरमइ $नरवांगै थानक .aणि चूय चूज अंग्न आरह । লিৰ মাৰিখ-১৮৯৯ সালে “ब्रांक्षांकांछ बैौठिकथ)” नामक একখালি পুস্তৰ প্রকাশিত হয়। ঐযুক্ত গৌরমোহন ৰিঙ্গनकांब ७ ब्रांब ब्रांक्षांकांड cषद फेच्रह नद्रांबर्न कब्रिह ७ई नूछक ब्रध्न करब्रन । স্বাক্ষাধী—এখানি পিয়াসম সাহেলের রচিত, ১৮১৯ সালে মুদ্রিত হয়। এই পুস্তকে ভাষা শিক্ষার উপদেশ আছে। ১৮াশিক নীডিগর-১৮১৯ সালে মিঃ ইয়ার্ট মান দেশৰ ইতিरान श्रेष्फ नौलिभूक्ष फेभाषान गर1इ कब्रिब्र अिहे भूखक <वंकjग्नं मtब्रन । গেম মাটী-১৮২৯ সালে কলিকাতা শুামপুকুরনিবাসী vপঞ্চানন বন্দ্যোপাধ্যায় এই গ্রন্থের প্রণেতা। ইহা নামে নাটক ; কিন্তু নাটকের কোন লক্ষণ এই গ্রন্থে নাই। মহানাটক খেমন নাটক নামে অভিহিত হইলেও নাটক নহে, এ পুস্তকখনিও তজপ । এ-শিক্ষাধিৰাক-১৮২০ সালে রাজা রাধাকান্ত দেব এই পুস্তক প্রণয়ন করেন। ১৮২০ খৃষ্টাব্দের পূর্বে কলিকাতায় अब बाबाषाख शैौनिक विद्यारब्रब्र cफ्रटे हहेब्रांझिण। यहे গেৰ ১৮২• সময়ে মহিলা-শিক্ষাসমিতি নামে একটা লভিত্তি ছিল। এই সমিতি দ্বারা শিক্ষাপ্রাপ্ত চল্লিশট বালিকাকে *बैौक कब्रिग्नां ब्रांज ब्रांशांक्शंख cशव बांशश्ञ गरुटे श्रेंद्र कनिকাতার মানাস্থানে বালিকাবিদ্যালয় স্থাপন করেন এবং এই গ্রন্থ রচনা করিয়া প্রকাশ করেন। এই পুস্তকে তিনি প্রাচীন হিনী আর্ব্যরমণীগণের বৃত্তাৰ হইতে আরম্ভ করিয়া রাণী ভবানী, शंको विद्याणकाग्न ७ गछिङ छायांश्वप्ने यकृछिद्र विशब्र५ निभिषक कब्रिग्रांप्छन । গৰখ৭ ও ধাঁধী---এই পুস্তকখানি ১৮২১ খৃষ্টাব্দে তীরামপুর बहेप्च् भूबिड श्ब्र । हेशब्र "ब गरथा २००। हेशरड विक्षि cअरभद्र हकिशन शईठर ७ वैौब्रक्रिजङ्ग रीउिँकणांर्न निषिद्ध ইয়াছে। ইহাতে ৯৪টা গল্প আছে । ৰাঙ্গ-কৌধুৰী–১৮২১ সালে মছেজলাল প্লেলে মুদ্রিত । * * &इभामि exबांभळ्रब्रांपञ्च अfछैष्कब्र अंzक ब्रत्रांडूबjन । XVIII 参载 శాసెRTF चश्शराब ब्रादिङ निबन-भछि ४कोकेमष भर्कगरूनन, ४भत्राश्त्र ब्राइच्न ... ४ब्राबक्च्द्र प्ञिाग।ि इङ्ग अप्रु ७३ श्रृषरूपानि गथ्र्पूर्ण श्रेबाप्छ। थषब अरड क्षिकको ध्य, उिँोर चरक बशप्वांप्राप्रन, कृडीौरव गांव७ क्रूिरम, ध्फूर्ष जरक क्रिকোগে, পঞ্চম জন্ধে ৰৈয়াগোৎপত্তি, স্বাঙ্গে এৰোধোৎপত্তি। মূল গ্ৰন্থখালি বিৰেকৰৈাগৰি শিক্ষাৰ একখাৰি উশ্বরে পুস্তক। পুস্তৰখামি রূপক্ষকয়ে নাটকাঙ্কাৰে লিখিত। মাৰো न९ ७ अन६ ७धवृखिखनिई ५३ मार्क्टकब्र *ाज-गोर्खौक़रन् बर्लिङ रहेबांtइ। आइकांश cष ममखtर जछि aथशाह "सिष्ठ ছিলেন, এই নাটকখানি নিৰিষ্টচিত্তে পাঠ করিলে ভাং। नश्रजहै शनम्रचभ एव । ऐशग्न नर्विजहे छाब जडि eथनंtङ्ग ७ eथनब्र गडौद्र । विष९नमांtख uहै आइ अठि जांनब्रगैौब्र । eथी७ख *क्षिष्ठमग्न अांचऊच-८कौमौ मांrम ईशंग्न cष रुबांड्रदांग कब्रिग्नांtइम, cन भष्ट्रवांक ७थान्नैौन गएछ निषिऊ श्हेtन७ झरर्सीषा मरश् । ऐशrङ बफ्नर्णमब्र निशाख जििबहे इऐब्रtश्। किरु आश्न औब्रन ७ कार्यात्र विषtग्नग्न पञांtणांकन थांक नएख७ देशांब्र छषा मैंौब्रण बलिब्रॉ. eडिडाउ शत्र न । निछ wरे शृणारूद्र जबांद्र कि१ि मजून फेक्ट कब्र बाँश्च्रह ॥- 丛 “महांब्रांत्र विtषक कश्रिजन, cश् चरब, cषtरू अद्र कबिषांध लेनाक जांबब अष* कaिtड श्व्ह कशि। कष करिष्णन, नशबाज, जानि किक्तन नःि, श्वशु५ काङ्क्षत्र॥ कूक शखिरख दांनाभूष गद्योष कबिtष । अणकाधि पछिरख यनशास्त्र BBB tDDDS DBBB DDD BBBBB DB BBB DD DDDDD ग्राङिtज़ थांब्रभाग थctनग्न शैर्डन करिष ।। *कन कावहांद कब्रिtन७ DDDD DDD DD DDD DDDG DDD HHHD DBBD DDS DD DDDD विक् । क्क्कि क्रद्र'। ऋगरड चाईiखि पाखिदिएचत्र ८कानऋण cङ्गाषब्र छन। श्रेष्ठ गाब्रिrष न। छबनछब्र बशब्रांब किपक क्रमांक भूना नlजूषाद्र कब्रिtजन। क्रम कविष्णन, वहांबाब cजाitषद्र गब्रांजण श्रेष्ण३ श्रिम*क DDDD DDD DDDD DDDDS LLLL DDDD DDS DDDD DDD णांक कत्रिtणन श्रांत्रि अष cठांनाप्क cङtषब्र भब्राजtाद्र निविछ निपूज क्रद्विलांब । गtब्र “cष जांखां वशtब्राज* *१ क¥ पणिद्र जमीं अक्विीनांण शश्छ aथइनि कब्रिtणन " अङ्गबांधकबछ cब छां८व देशंद्र अङ्गबांव कब्रिव्रांcश्म, wारtrड नाँttकब्र कब विमहै इध नॉरे। ५१ कणोइवांश्य कर्कक शjश्ङि cष गविप्लव जांछवान् इहेब्रांप्इन, छांदtrरू वकtष* थfकि:छ ।

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कञिाiबान्न बtब1-७थांबि नtषैक घूंछन, *v३२ नोtन ब्रछिंख् ७ भछिर्नैौक। গাৰেীক্ষী ब्रांबक छ६लथtङ्गद्र ५कषानि ' * ha, a