পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/৩৪

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  • रिवाणघ्र ऋषा अञ्च बाजनैं डूबाँझ ।
  • षणांशैझ खङ्गलरक अभय छहाँङ्ग ॥ • , अककैश् चिषि हिज बत्तख खब्रगे ।

ब्रपिषांश सखक्रिब aानद करेण खांकगै । पर्कभूजां बहीब्र पां'हtज़ हरेरक। . ४नी अङ्क अप्णिम भूतांद अकारद “; ¥हांबारे हरेज बषन श्रृंक्षम ब९णा । अंत्र *िकांबांड डषब डांषिण अखबू ? পূর্বকালে ইঞ্চে অভিশাপ ছিল। cगरे कझछ भद्र वृखिक थर्ण१ ।। P¥तरी ध्रयांश कन्नड विझब॥ 1 - A दéमण्डइझ्याँकचकेबाश्च । * - श्* श्ा श्ाच ॥ परिबकल करता बकरि कर्ण१॥ नर कहकeझलवणतवन। .

| अरे। बीक हेकsजनस्क बकनकि g ' \ic که . - - ... " - .." - - . *** খ 'ं....”ं"ं, वंश्यः श्॥.. o, . " い* و * * * * * * ** a - si - ته : , ټن:ه পূজা পৰডি জেনেগেশক্ষি। पकड्ज केिण दूड ब्रह्मैककtrण गरे । *णन की कमजबकिसब**** पनक गिरेन्च अङ्कअर सिन!' गांछ कहरहद छपब झदेअङ्कॉक्त । चोकॉधिकांकक4 ब{*ांक कहांत्र 4** गनत कई क्छक्यtश्नकल बन। इकांकह१ नष्कनमांकि लांब kनब कई ॥ शैथक्करण्इ कित की कवी बैज्ञांवकरच छiब विप्शन तकचर१ ॥ *ॐछ tश्न करळ झाडू fääन ! कॉर्क७ मूर्थि जांऋि कालाव नश अथ } এই পঞ্চম ৰেল পণ্ডিত হৰে সৰ্ব্বী। ननांत्र कूणrछ कब्र कोई नबोगन ॥ विज tवप्नं वांख की ओब्रांबाँ३ श्रृंशिफ । बांर्क७ नबडिशांtग्न छजिल छब्रिछ ? স্থিতি হয়ে বসিলেম পিতার ভস্বনে । भिचक करत बांनी भीज़ खनेि विशाबाद्गम ॥ রামাই পণ্ডিত বৰ্গপূজা করে নির্ভর। उन्जेन कञ्चन हरेण कोदोस्रो क्९जङ्ग । उॉक ब्र नेिहरू रिक ब्रैौंभांश्ब्र भवन । সাগরগুধিনী শেখরে ছাপন্ন। . इंजि* जांछिद्र कटञ्च शब्लब इन्tज । गछह गूबitछ फूडे इन निब्रडम r (गकठि) এই রাবাই পণ্ডিতের পুত্ৰ ধৰ্ম্মলল। ধৰ্ব্বাসের চারি পুত্র बांशष, नयांछन, बैषन्न ७ धरणांछन । ५कविन भर्तनांन गन मांरभ এক ডোমের বাকীতে ফুল ফুলিতে বায়। ঐ সময় গা ধর্থপূজা रूब्रिरङहिण। उक्वशंछ वर्चशन खांशंरक क्षचंद्र मल *कांहेहजन।

  • वईधूंछ अनछ नहीं खछि शै♚ अत्र ।
  1. ऋख दस्तान ककैक्कंज खदन * . . कुक्कु लिक्त्र ूहिछुण । * कीर्डिं कथिकण शं*ख डfश्ज ॥ गरिन्tझक्न सिक्कैछि अखिण। এইদলগুলি বাঢ়ি আমি . गरं★ पकड texक्त्व लेपन झा। " * - cडकच भजिच् बच्च भक्त विका "(शबानख्चि न

উক্ত খাৰলিপিভি ইভে বেশ বুজিতেছি নাই इब्र नी । *शश निभई* श्रशदिर, क्रूि चह्निशाइ, ख.

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