পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/৩৯

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* अरू ‘चनक्विक्न' नांदे । अरे अइ भू*ङ नकण प*क्षण हदेरछ वफ़ । अहे दूर६:अरबछनांद्र इखांचनैड किडू ८कमेडूकथनक । शत्रणैौ cजणाञ्च चाब्रांमदांत्र थांबांद्र चडबैछ शह९ग्रेज कविज्ञ निङ प्रांमध्ख आक्एरूङ्ग वांग हिण । अर्पोरब ४ध्ख्छनभड नांदब ७क झर्माख डझ्नैणवाब पंॉक्रिडम । ॐदांह चशांछां८ब्र थांबमात्र पांtब कर्षि कांब्रांब्रक इन । ब्रपूजनम केोक थांरब्रब्र cलडेब्रच्छ अरब गणाबम करनम । ब्रांबवादनत्र रूांडूठि बिनडिtछ कांब्रांब्रक्रौब्र भrम शब्राँ इह ७ डांशtडदे ब्रांबचांदणग्न পলায়নের স্বৰোগ ঘটে। কৰি মাতুলালয় অভিমুখে ছুটলেন, পথে পাড়া-বাশ্বনাম গ্রামে এক সশস্ত্র প্রহরী তাছাকে বেগার बब्रिन। अरू क्रूषां कुरूत्र कविद्र खईशङ यां*, जांशत्र छनब्र ७हे cक्शांझैौ७ डिनि अक्नम्न श्हेब्र अफ्रिरणन.। साग्न ७ श्रृष्ट्रिপ্রমে কৰির কারণ জর হইল, কৃষ্ণায় কৰি কাণালীঘির জল थाहेष्ठ कृष्ण, क्रूि कि श्रां★कई ! अरण नाभिर्षे भांज अण क्तकांहेब्रा cण । ठभन कर्षि निब्रांर्ण ७ छध्र शमtब्र कैंबिष्ठ লাগিলেন। এমন সময় এক দিব্য পুরুষ স্বর্ণ কমণ্ডলুতে গঙ্গাअण ब्रि ॐांशंtरु थtईग्न जश्रौष्ठ शाहे उ* अष्ट्रमष्ठि कब्रिटणम । রামদাস কছিলেন,

    • ? नहि नारे यडू छकल श्रेष्ठ । cर्णtषम छब्राँहे भांt# ब्रांथांण शहेइl ** তখন দিব্যপুরুষ বর দিলেন

“আজি হইতে রামদাস কধির ভূমি। জাড়া গ্রামে কালুরীয় ধৰ্ম্ম হুই জাঙ্গি । जांगाब बूक्लिष गैठ जाबांब्र भब्रt१ ।। नवीठ कविठ छांषां छानिरव परश्न ॥ ( जबांश्त्रि• ) ●श्क्रान कांनूब्रांtअग्न कृ*ांग्र टेकवर्ड कवि ब्रॉमनांग जानक স্থবৃহৎ অনাদিমঙ্গল’ রচনা করিলেন। ১ss৮ শকে এই গ্রন্থ স্বাচিত হয়। গ্রন্থের ভাষা সরল ও সরস, মধ্যে মধ্যে উদ্দীপন ও বেশ কৰি আছে। অনাদিমদল রচনাকালে কৰি ভূয়স্কটের রাজা প্রতীপনারায়ণ রায়ের অধিকারে বাস করিতেন।

  • ईदृशः ब्राजां ब्रांद्र थडग नांब्रांशनं । कैtन नांछ कब्रडङ्ग कt*ग्न नबन खैiशंद्र ब्रांमध्न वान वह फेिम ४हtछ । श्रृश्*श् श्न श्fिof षट्च r ब्रांमवाप्नब *ब ध्कवर्ड कनब्रांन ०००८ भरक (४१००वृtएच) , बैषईषत्रण वा cऔछकांचा अंकन करछना पनsitवद्रनिडांबनाब ?.cनौतीकांड, वाडांब ब्राम नैौज, अवर मांडांमश्नांन भवहित्रि।

. . . XVIII , , , . . . . . . cवनाश करेषwभागभक्चच्** झलचैत्रभाव क्लप्रश्नचि, बाबा रीडिंध्खब जाप्रrन कक्झावनक्रव *येतचवजनकक” क्लमां क८ङ्गन ? अरे कांश शनि करेंद्र अत्र थज्ञवलs**। কোম কৰি এরূপ জনায় দণ্ড, কলাইভে পারেন্স গাই। পূৰ্বৰী । কবিগণ গানেৰে মহাবীর বলিয়া পরিচয় দিলেও এণ্ডে वैौब्रब्रप्नद्र बननांब cरूहहे निक्कम मtश्म ! किरु षमङ्गमि ॐ जषक थामकö लक्षणछ cनषाँहैद्रांटाइम । णांडेtनामङ्ग झाष्ञ कर्नूtब्रव्र छब्रिरब कवि औक्र कांजीर्णेौब्र गऔष क्लिब मेंiकिब्रटिइन । তাহার কবিতাগুলি সরল ও সরল, মধ্যে মধ্যে বেশ উদ্দীপনা ও ভাবপূর্ণ, তৰে এই বৃহৎ গ্রন্থ পড়িতে পড়িতে অনেকটা ५ख cष ८झ लिङ्गांश् भामि इङ्ग । ঘনরামের হাতে ধৰ্ম্মমঙ্গল সম্পূর্ণ নূতন জিনিল হই *ङ्क्षिांश् । ७ि कबि भष्वङगॊब् ८wtशों हिङ्गांtइन बर्हीः, हिङ् श्र् िविप्नौङ्ग षनिी ॐीश्tन विशग्ग ॰बोष्णव এক কালে বিলুপ্ত হইয়াছে, তাহার গ্রন্থের সর্বত্রই শাস্ত্রের দোহাই। তাহাতে ময়ূরভট্ট বা রূপরামের ধর্থচিত্রও এক কালে চাপা পড়িয়াছে। , - - षमब्रांrमग्न क्षैषर्षयभाग २stौ शांग व नभै कांtझ् । रुष-- ১ স্থাপনা, ২ ঢেকুরপাল, ৩ গুঙ্গাৰতীয় বিবাহ, ৪ খঙ্গিপাল, * ब्रजांवउँौड़ लांtणयब्र, ७ णार्षेrनानब्र बग्न, १ जां५फ़, v कणनिईॉर्णनांनl, > णांखेcनरनग्न cनोक्लबॉय, s० कांमनजवष, ১১ জামাজি, ১২ গোলাহাট, ১৩ ইতিমখ, ১৪ কাংরাজ, s* कांबद्रनगूर, s७ रूनिफांद्र चब्रसन्न, ११ कांनज़ीब्र दिवांद, s४ मांब्रांबू७, २४ ३शहैवष, ३० बांदणनांण, २४ नकिरमांगब्र जाब्रख, ३१ जांभंग्रन्, २७ गंकिमांशत्र ७ ३s चर्मीtब्रांश्ल नांण । ,बबूद्रडो श्tउ षनब्रांन गर्षढ गकरनरे याब थैब्रन करव शर्वमबन गंॉन ब्रछन। कब्रिब्र गिब्रांzइन, छश्रtश cकइ क्वृिद्ध छांtब, cरूह की जरrनरन् । * मकृङ्गडी शहेरफ षनब्रांम गर्षांड कविर्णन cपद्ध" नैरनबट्टक कांएकब्र नांद्ररू कब्रिब्र वर्तमगणप cऔफ़्कांक आनंद्र करब्रन,. नशक्ष त्र्झबर्डौंद्र क्षरइ cनब्रन किङ्गरे भश्लिाम मा। कले नष्क्रवत्र क्र६ अप्रणाञकनक अनयनारे । नकृन्तकब गशराबब aश् छिदगड जिन *कथा चैकत्र काक्य नरे,

  • ... . .

७ *वनिशश्वाथं” बलिष्ा "व ।