विपहि f ۹بام [ विश६. DDDDD DDD DD DDDDDS DDDSBBS DDD DDDS DDD DD DDS D DDD ggt ८ङ्केण चांशं॥ ८गरां षां श्रेष्ा निर्मिणं नििश्चद्द् िन,| ॰सनै चक्षिङ्ग श्ভূমি আমার পিতার সেবা করিযে, আমার মাতাসেৰ কীিৰে, “জয়পাশের স্বশিল প্রাপত্রেণ পৃথিলা । जांबांद्र लगिनी ७ यांच्tवह cनक करिष। रियूक्षिांtश्छ कष्ट्रांमेिं गडाऽईिम अनन्छ रुदङ्ग* cड * ५रेब्रण कैकडा नक थांब cशन७ ननांtब हुई हरेर न। जर्षी९cर वधू!cडांमात्र मन ४ को भद्रशनक्रन पङ्किणा अत्र विज्ञान, क्लि क्षिप्र लरे ५गाभ्ग बिभविक्छन ज्ञ्चक्णत गर्दैि श्रेशरश्। श्(ि*ाणां विान निश्चीवरश्नश्शता। प्रगु आश् कि रहेर गिरि-आशा बीरमबच् त्ण'क्लब रंक, शान्ति आशा लिचर খইউৰুলি জনমন হই জানা ৰান্স এডিপালন कtaस्तित्र चांगणा ध्मत बरबार ििनरू प्रक्रेिलि, वाइ शक ७ बाभाशै चाबत्रिक गुरू भान ७ यांनब्रन ब्रहरुब ● गडाचकन अश्रॊिन्न करून कब्रिडई। रिपून*ि क्विारा भक्जि cरांशमन गोर्की कब्रिज्ञ, cादलाजांचन नाचगै कब्रिशा, और नश्शििनै भौंक बरगम-'श्रृतःि खं चकार एररि षम्। दक्षिर हवाइ१ प्रय ठाउ शब्दब्र६ हद ॥* cर cपरि, जांज श्रेष्ठ cफांमाबू भै रुनग्न जांबांद्र हGरू, चांद्र चांशाङ्ग ८१ क्षरै श्चाष्, ऎश् cठांशांश् एषॆत्। श्रृिश्णंौ॥ wwn as 'tste wat wil Marriage oontract मएश्-छेह। « निशैक्लब थरिहण हाच्य वक्न, अरू बब७निरे ठाशत्र - ! אהצו הלןroס (अकेॉनर्ण छांभं गधां९)
পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/৭৬৮
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