。蠍 "శ్వ বাঙ্গালী সাহিত্য (সৌরপ্রভাব) ¥नाँध्नव । cनीtड़दब्रभrनब्र के९गांश् गाईब्रा छांशाग्न लिखि मृा कब्रिबांब्र अछ कह दर्नेौष्ठ कवि cष नकन बरकृडग्रंइ पणखांबांद्र जष्ट्रवांघ कब्रिज जिब्रांtइम, उब्रएषा ब्रांभांब्रप्नब्र जष्ट्रबांनहे जानांफठ ज6প্রখম মনে করিতে পারি। ब्रांभांब्रtiब्र ब्राब्रिएठाँ बाँ अछूषांशकe ग् । डग्रtषा क्लडिबॉन, चइच्छाद, जमखाइव, ककिब्रब्रामকবিভূষণ, কচিজ, ভৰালীশৰৱৰ্য, লক্ষ্মণৰন্ধ্য, গোবিশ্বাস, बअवब्र ७ फ९%ब जनांशन cनन, ज*९ब्रांम बना, जग९वन्नड, भिषघ्ख cणब, बुषिानखं, ङिश्ह् अङ्गांश्, तििष ब्रांषeवगांश रिब पद्रांशंग, ब्रांवरमांश्न, e ब्रपूनकन cणाचाभी, dहे ०२ जन কৰিয় সন্ধাম পাইয়াছি। এই সকল রামায়ণরচকদিগের ऋषामकक् िइडिवांनहे अशने । ক্ষত্তিবাসের জন্মপরিচয় সম্বন্ধে যে একট পয়ারপ্রবন্ধ পাইয়াছি, নিয়ে তাহ অবিকল উদ্ধৃত করিয়া দিলাম— “भूप्रिछ चाहिन्न जेक्यूब वशब्राजा । €fहांब *ख जोहिल बब्रनिtइ ७कीं ॥ शबtश्t* aामांक हरेल नकtण जहेिब्र ॥ ৰজদেখ ছাড়ি ওখ। জাইল গঙ্গাতীর । इक्ष ८णश् श्ा॥ विश्ः॥ १ात्रiकूणि । वनङि कब्रिtछ शान भूtश्र भूtज वृष्ण ॥ अछाठीtछ देक्लिाहेक छछूर्षिक छांद्र । भ्रांखिकाल इझेल ७की रGछिज खथग्नि ॥ नूशश७ थाह पथन नtखक ब्रजनौ । चाकृदिrड oमिcजम कूकूcब्रग्न क्षरमेि ॥ इइन क्षवि षबि sा*ि क्टिक घ्राः । tइत्र काँहण जांकां*षांॐ सैमिषारक "ोन्न ॥ बालौ आखि हिल भूरी बाणक छ थाम। ফুলির বলি। কৈল তাছার ঘোষণা । अाबद्रङ्ग पूजिग्न अभrख बाषाभि । हुचिर१ शकिtब वtइ भणी-फब्रचिनै ॥ पूजित्र हानिह tश्न ॐशद्र बन७ि ।। षम थाटछ गूज cनौtज पांकज नद्यछि ॥ o ৰেৱ দামে পুত্ৰ tइल अहtनम्न । मूलग्नि क्रूर्वी cनारिय रूोशन्न छनइ ॥ खांरभएल कूएनरङ हिन बूझॉनि फूविड t गांठ भूs tश्ण छाछ नएनांtब्र विकेिउ ॥ cजाडे गूज रेश्क ठाइ वाम cष tछब्रष ।... प्रांबांद्र नङा" st* जषिक cनोव्रष ॥ थहोनूक्व शूद्रांति जनरल पांथानि । कróकáीक छछ बदोड cद बोलैौ ॥ घव ब्रहेिख ७ख बचन्न यूकडि ॥ शं७ ५िगघ =itेव चष७ि ।। [ w8 | বাঙ্গাল সাহিত্য (সৌরপ্রভাব) --- इनॆण छनषांम् छवि धनबाणी । थषय। विल कण ७ष कूष्णrछ नीबूजी ॥ oवणं ८ष नभड़ अtछtनम्न जर्षिकांग्रे । षणitā शूरा डिश इष्षा गंगांङ्ग ॥ ফুলেশীলে ঠাকুরালে গোসাঞি প্ৰসাদে । बूद्रांब्रि ७कब्र गूज नष वांछs गन्गtन ॥ बांछीब्र श्रृंङिबङांब्र क्ञ अभएछ वांथfनि । इब्र गtशंक्छ टेहण *क cज खनित्रौ ॥ नानांtब्र नtनन्न नडफ झुखिरॉन ! टीश् छ्रिाह्मण शनःि षळू ७श्शांग ॥ नtशवब्र भोलि बांषत मर्करणारक दूनि । बैकङ्ग छहे ठां4 निए5] छैनंबांनी ॥ ë, चणखज छछूडूब जनच् छकब्र। चाङ्ग स्थक पश्नि हल नफोरे छषद्र । बांशिनैौ* बांtअप्ठ मांडt वान् यत्रभांठी । ছয় ভাহ উপজিলাম সংলায়ে গুণশল্পী । चtशनद्मि खश्च शि1 ख्रशिष् ८५ ॰iitछ् । মুখটা বংশের কথা আরো কৈতে আছে। স্বৰ্ধ পণ্ডিতের পুত্ৰ হৈল মাম বিভাষ্কর। লঞ্চৰত্ৰ জিলিয়৷ পণ্ডিত ঘাপেয় সোসয় ॥ স্বধ্যপুত্ৰ নিশাপতি নড় ঠাকুয়াল। नहथग१५jक cणांक बोtब्रr७ जाशग्न ॥ রাজা গৌড়েশ্বর দিল প্রসাদী এক ঘোড় । পাত্ৰ মিত্ৰ সকলে ছিলেন খালী জোড় । cभक्मिा जग्न जानिङा #ाकूद्र पश्चाब्र। दिवjां*छि ब्रह सक ॐांश्tग्न ८कtéब्र ॥ रेखडदछछ भज”iठि बफ़ #ाकूग्नांण । बॉब्लt**ौ *र्षाख कीर्डि cषांषड जीइब्र ॥ মুখটা বংশের পদ্ম শাস্ত্ৰে অৰতlয় । শ্ৰীক্ষণ লজনে শিখে জাহার আচtয় । ফুলে শীলে ঠাকুয়ালে ব্ৰহ্মচৰ্য্য গুণে । भूर्शी दttनग्न षण अभrछ वांषांटम ॥ जोषिक-चाब्र ****ी भूर्न जाष बान । खथि भएष अन्न ज३णांव कृखिदान ॥ उडच:१श्रड श्रेष्ठ भक्लिन्न फूडtण । डखम कछ विन्न निक जांभा रेलला ८कोरल । कचिव पॉईंtछ *िछांबाइब्र खेब्रॉन । कृखिषांन घणि बांब कब्रिजl.aधकांत्र ? • चांनििशीं७॥ चश॥ १छ्षीनि *षिरं क्षेश्वं भष्ठिता ची्
- निछ पनबीजी वांछ cबवकांछ छैवtङ्ग । अच जचित्र क्लचिदान इछ जश्tबद्दछ । श्लष्य छं चनख खश्॥ं । निकांबन कुसिषांन इत्र नरशांबद्ध ह*