পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৩৯৭

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कलहं९}न ख१ किsि* - ( नरश्रकू* &ios ) יאt{שהס चअब o ભાષાશમિ તથા ભાર આભાર મારા સત્ત. சிகி ஆ. . ه« " : "", মাখনৰেপৰা ভিন পৰা প্রত্যক্ষ, দালা ও শৰ, श्रै-मि क्षश्च [*श्चांशं श्रींश्चाङ्गि लिखिं शा.शतःि वा । উৎকৃষ্ণইৰণা কৰা এজন গা इ:लन कनरे ॐाशव निकि इबन, cत्र राग अडान पात्र # इव मा,खभक कहान exाण कब्रिएच् रए, क्चि चश्मान (णां*******४) cफनि पखन गश्छि यदि प्रमछ <काम वडग्न निखा गषक षांधक, डाश श्वेcन ७की cऋषिtण जीब्र uकणैब्र जङ्गबांन इहेब्रा थांधक । * निजा गचक द शांखिई ●कवीज अष्ट्रभांदमब्र कांब्र१, cष ऋण धहै जषक नाई, cणहे इtण *गांधीडब्र चकृबिछ हरेहरू स्था८ङ्ग मा। अचत्रक बन्नप्ड क्रिनब्र गखि भेदरबग्न बिडा नषष जांश् cष, खांश शहेtछ बैचब्राइयांम कब्र शहेष्ठ गांtब, हेशcख वांश्शकांब वरणम, किडूबरे गप्न सप्र। कृष्टौत्र ययान नग, जात वाकाटकहे भच अथान रूtश्, cवमई चांtर्षोंगप्वन, cवप्न बेचtब्रव्र cकान वगन नाहे, दब्र६ cवप्न देशहे ७यस्त्र"ाङि श्रेst८ह ८१ ऋष्टि अङ्कठिब्रहे. क्लिब भेद अङ्कङ म८श्। “শ্রভিয়পি প্রধানকাৰ্য্যত্বস্ত" ( সাংখ্যথ" s॥১২ ) क्रुि८क्रिक्cद नेचाबच्न अझष cबथिएउ श्रा७द्र बाब, छाश सूडोDD BBB D BDD DBBBBS DDD BB BBD DD L भेषंद्र निरु ह्म ना । मेथcबन्न जखिरबब्र बमान ना३, wदेकcन ङिनि ●थछि°ामन कब्रिब्रां८झ्न, ●प५ चेत्रह्ञङ्ग जजछिन्हणचळक क्लेख कन अमाणविद्रांtझन वद बेकहब्रज्ञ जक्रन क्रि ? किबि ऋ*कठी बां पां★भूरगाच्च क्न विषाङ, ङिनि वक व भूख ? शक् ियूङ पण, अंशश्रेण अशंद्रग*ि शष्क्ष अशुड शरेष्ठ गांब न, दक् ि। বল স্বৰ, ভাই হইলে আছর পক্ষে ৰনস্থ জ্ঞান এ শক্তি হুইজে गtप्न मा ॥ बड७द थकमनcव ऋ*िकर्छ जाश्व, कॆव! मनछव t *वृकदष्टकब्जज्झणराज ड* निरुः ***ण्ण्वाश्रनष्कबर " ( ودمجهstun) .. . . . वशि बन धेत्रह थांनह्नल्ल नsदिवाक५, ब्रोक कलेरक डांशप्क } DBB DD DD DBB BBBS BBSBDD K & 'غ'د ، 蚤亨 बर्मिकांशgकिर्ली भिनं कब्रिसौहे क्याक्षिांकt. इन, रु.िएेन श्*च विाच शृण, न, च निष्काझि जछ चांकांङ्ग कश्चब्र केनsघेभद्रबारनद्र थरतांबन कि ? देछानि ब्रt१ बिक्रैौचंद्रषदे अखि*ांक्छि हदेब्रहंtरू। थेचक्रकृत्कब्र काबिकाइ cष भेषज जमैक्लफ इमः बाहे, केश मिीनरसंह क्रप्न वन बाहेGछ वांछ । बांस्थाश्ज कक्व नक्रिल७ ८बाक् श्इ ८र अिग्ने काकि चक्गक्न कहिबारे किलामडिकू प्रक्किांश्न कब ●कन कब्रिब्रांश्न । बैचब्रहरकइ गीरथकांकिकं{, cभौड़ऋषांठांसंकड वारवादपब्रिकाडांका, वांछन्भठि विव इड नारशडककोइरी, क्जिनजिकून्ड गाथा अचा •रः फक्षड गांश्षागांत्र अङ्गडिगाश १ीrजबक्किर आनानिक aइ। बांछन्नंखि बिट्वं ऋबर पनिद्यांप्इन ८१ ५३ ना१शकjब्लिकfहे जांरथाश्वाड, ऐश डिब्र जछ cकाँम नॉरथा लांश विद्यमाम हिल अ1 ।। श्रृंकब्राछांर्षी खेक्कमांकांदी भक ख६भूविज्ञै वांशिक भ७िखणण ७हे क¢ब्रिकारकहे जारथाणांङ्ग पलिङ्गां निद्रकैन कब्रिड्रांटझन । शशtरू ७चर१ नोरथानर्शन व नारपथक्छन षण बाद, चूहकई ८कह छसब्र जानत्रक कtब्रन नांदे । घडब्रां* गांरभाकर्षम चांtणाध्ना कब्रिटड इहेrण बाध्णछि विध्वद्र ७ विलीन छिकूब मङ खेडग्रहे जॉरणांठमा कब्र श्रांपर्छक । " . . a জগতে দেখা যায় প্রয়োজন ব্যতীত কেহ কোলু কাৰ্য্যে अबूख श्न मा । जङaप aहे cष दर्चमभाज विशुड श्हेब्रार्इ, ५aहे कर्णनलीcङ्गश्च eqcब्राजन कि ? नकल प4ब मांcद्रब्रहे «यरब्राधने মুক্তি, স্বতরাং এই দর্শনশাস্ত্রের প্রয়োজনৰে মুক্তি ভাং বনাই निष्थंदबाजन । औष नषी बिडांप्* दए इर्दे८डरह, फांदे कनिण बीएस अङि पs *श्वन श्रेश wाशप्रह कडि* उगात्र निर्मन , कब्रिब्रt८झन ! ७झे जड uहे घर्षरत्रज्ञ e4६म प्रब.taहेक्कन-- मिड़ेि देब्राप्छ ! . “चष बिक्षिझषांडाखनिवृखिक्ञख*क्षार्षta" (गारबाइब***) नशाक्लुप्क्रिङ्ग मारू झुक्काज स्रअन्तङ्किलित, मान अब्रवणूकदार्ष, केशव्र विकूबिहे भूङि ॥ ६. १ङ्गाक्ड़ कलांबम कि ?'ला बृकि, बिक्थि क्लtथत एक झोएड. प्लाख ७ फस्छाख निदूडि । दीश८फ अब्र cकन कीड़न७ क#***छिल्लkकहtङ नाहं★, डांदांज्ञछे”tा अवगतनः॥ श्t१ क्लिब#क्राब, श्रदाचिक, BBBBB B BBBBBS BB BBBB BiDD Dttt विष्णं श्, चोचन्नैश् चयाप्तः न , ग्रश्च इग्. अशरश्नः