পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৩৯৮

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थाशकिक इ#थ कtइं। नाथाब्र१८णारक जरषांछ जर्षीं९***ौत्र ও খন্ধীকেই আখ শিল্প নির্দেশ কমি খাঞ্জে, খঞ্জী उश्न उभावनाश इन्दरे जाशांचिकईर्ष ॥ ५३थाशचिक झष इह अकब्र भाāीब ७ यांनन । **ौद्र७ इन"रचcच्ष इंरे | প্রকায়। এই পরিদৃষ্ঠান-হেঞ্চেস্থলছে এবং খুদ্ধি, মন, দশ हेविन 4परं नक उग्राध्बभáॐ चतुर्थ cनररक रञ्चtषर करर। नाबाांबझांब्र मांब श्रजां८ब्रfनी, हेहीई दांtशग्रनिदान, डेशष्यt tवथवा भाँछcगदैcब्राध्नई ●६नखिं एच1 * इछब्रां९ cब्रांनजनिख • cव इ:५ चकृङव ह६, उंदरिकहेचात्रैौच इंtष करह ॥ कांम, cकोर, cणांछ, cबांश् ७ छब्बांचि खछ cव इrथौधकद श्छ, छांशंत्र मांब भाबन झःथ। थॉर्षिरडौलिंक खेजांशिtपर्षिक ●रै दिविष झाथ३ वांर खेनाइनांथा, जांख्ञखन्नैौन खेणीघ्र जाषा मtर। बाहष, *स, नर्थी, कौष्ठ नखब. अङ्कडि कूख्नन्द श्श्रङ ८बझाष नांख्या बाब, कांशत्रु जा-ि cछोडिरू इव करर। इडनबूर चांद्रा अरे इथ वtछे बनिद्रा हेशंब्र मांम जाषिद्दछोडिक हरेब्रादइ 1 वच, ब्रांचनानिइ चांदवन निक्कम cष इव शश, ठाशएक जांश्रेिषविक कार। oाहे जिविष झःtथग्न अडाड र्मिकृखिन्न मांबई यूखि । uरूमाज विादकलांमहे uहे शुःषमिवृख्द्रि छेणांइ । यङ्कडि e शूकरक्द्र cछगलांन जर्षीं९ eयकृछि :७ उ९कॉर्षी वृशांनि इ३tङ गूकब शृथक् uहै. छांप्तहे • विरबकडळांम ! , cधरे दिएवकश्चांएनन्न eधकांनॉर्ष . गांरषपर्नमग्न eथcब्रॉछन 1 . ठक्कौबूौरङ निषिद्ध. जारह--७वः श् िभांजविषtब्रां न जिलांय्छङ,बनेि छुःषनाब बशडि म छां९, नव म बिशनिफ९, जिशनिड१ ब अलकानबूव्हक्र, जनकानभूहदङाष्s cषषा इ:थश निष्ठाস্বাৰ তত্ত্বচ্ছেজোপারাপল্পিজ্ঞানাৰ, শঙ্ক্যসমুচ্ছেদৰেংপি চ শাস্ত্রविवङ्गछछांनछांधूनांब्रचांद्यां धूकब्रtछtनांब्रॉडब्रछ गडाबांचां* ।

(जोश्षाउस्को' ) जॉरक्षाकांक्षनल करणन cष अनंtठ शनि इःष मा थक्ङि, ७वर जग८छ पनि इष षांकिब्रां७ cणां८रू झःथ नब्रिडाण कब्रिाऊ অভিলাষী ন হইত, তাছা হইলে কেহই শাস্ত্র প্রতিপাড় বিষয় जॉनिप्ड कांश्डि जी । बभरङ औवबांब अडि भूहूरड३ झःcषब्र জয়ভৰ কন্থে এবং ভাষাকে প্রতিকুল বলিয়া ভাৰিয়া থাকে ; अिश्वन नाक दिइन, ििन झक्षक निबन्न अहङ्ण बिष्मा काछन । जारथानाज्ञ औदे ७छ्कूण प्लेशांद्र निरर्णन कहिब्रांtइन,

बगिब्रा७हे भोज डिकाशैब्रमिको गवान्छ। : পাৰেন্থখলাশের যে উপায় নির্দিষ্ট হইছে, তাৰ বিশেষ कटेनाषा। ७कमांज विश्वकङगमहे इथनांटनग्न ठेनात्र, देशहे नाजपुढे उभात्र, w३श्राबाहे क्विक जगन चनांकाननाश नाए।'

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शा । ज्ञशन् १eदिशन#tझ्भ-************* कह बरचद्र नग्न आंबंकांनं शंस्थिविाँरी थीख हब १*क्रूि इrष*, मीडिकरब इननअचनिब्र#क्नशैठौन शश्न जबक्ििछ 'दांब्राँ चाषिटलौछिक इtcथग्न अदर बविण्डविड्-नौशtवाचांकिं★विक वक्ष्य इथनिवृडि रहेड नाप्न, उषम चडि:कर्डनांश कान्बाणकिडे বিজ্ঞানে কি প্রকারে গেৰে প্ৰভি ইত্তে পারে। কেন अ । uकैौ daषांश चांtइ- * , , LLLLL BBBB B BB DDDDDGDD BBBS जटक चर्षां९ परब्रव्र cरूtन बर्षि वधू नीडब्र पाब, खांश हरेन बघू भाषकत्र कि जछ cणांक नर्सङ भक्म कब्रिव। ইহায় তাৎপর্ঘ্য এই যে, দৃষ্টশ্বন্ধর উপায় থাকিতে ছক্ষর উপায়ে cकहरे अंबूख इब्र मां । - এই আপত্তি জাপাততঃ রমণীয় বলিয়া বোধ হইতে পারে, কিন্তু বিবেচনা সহকারে দেখিলে সহজেই ইহার অসারতা, প্রতি*ह्म श्च ।। ८शक्षां नःिष्वांश् cष, ११iबेिक्षि वैषशृंगश्वम, बनखिनाः o স্ত্রীও পানভোজনাদির উপযোগ, নিরাপদ স্থানে অবস্থিতি, নীতি শাস্ত্রের অভ্যাস এবং মণিমানির সংগ্ৰহ করিয়াও আধ্যান্ধিকাদি দুঃখের প্রতিকায় করিতে পারা যায় নাই, অতএব ঔষধ cनदनांक् िइ:षमिवृद्धिद्र सेनाब्र श्ग७ फेशं भैकडिक व अवाछिझाङ्गो छेणाङ्ग म८श्। जाब्रख शिवल्ला cष (गै जरुण फेलाग्न অবলম্বন কৰিলে তৎকালে ক্ষণিক স্থঃখেয়ু-নিযুক্তি হইতে পারে वt, किछ कांणाखरब उछाडौह झtषब्र शूनब्रांविडीव हब्र। छहे क्रूरश्च जडिश्ङि हऎजांदइ cष

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- - (সাংখ্যক্ষ ১২৩) चडिग्नि श्रूषां ॰ftेण ०म cखांचन ब्रिां चiएiा बिखि एक, जावांद्र भrन चूषा श्रैष्ठां वॉरक, उबन.७रे वृहैखेनारद्र इभ्रषद्र প্রভাষায় ৰইলেও পরে জাৰায় ছঃখোৰপত্তি হইয় থাকে, এই बछ इश मण शृक्षार्ष। वाशण्ड श्मर्कबिश्य्क्षश्नच् िन रह, इ:५बttvā अष्ट ५रविष ७णॆक्षॆ चत्रणषौघ्नः । शिक्क्लबरे झषनिवृखिता अकबाब $कालिक उपांत्र । थरे | विवक्णन वाइ ७कबांब्र इदावव्र खेtब्दवनाथन एशण शृजत्रांब्र