পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৭৪৫

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छ्छदांन - t ase - گتکالٹکلاباما تکس शङइन * {*? • cचच्रिशङ णधादशि नक्बइनिश: जह इ३cड**वदध्नि *बच्छाविद्र विद बना पाब, अहेबछ देशरक प्रउहान कtए। cजाभिव थरे प्रउशरन६ किषद विक्ज़न ० বিচার লিখিত আছে, বাহুগীজনে খাছা এটশ্বগে লিখিত হুইল नl, ग{क्ॐिउicव इण इण छरै छब्रिटैौबीज निषिच् इहेण । ७हे कश्च्हाइनcषcच्षण भूजकछात्र पिछांद्र कब्रिरङ रण, छाश मप्र, नूज, क्छि, भूकं, मडगी, ॐणब्रिनैौ ऐकाक्ङ्गि ७ऐश्रण विsांत्र कत्रिणख रई ? थरे रखशप्नः७छबर ७षश् छ्डशिनजिक्षश् छल अक्इ श्रेष्ण श्नडान अत्रिा थारू । देशब्र गिोरउ क्रणब्र ऐवनईोडा इई । बचणध, छछ ७ दृश्यडि देशक्टिभग्न नकम ७ अबबांविनखिन्न पञ्च चर्षी२ °कब*डिब्र इक्षांश अदम-छिद्र काड़टबं की मंदनत्रखिन्न पथांद्र *कमनस्छि जसृtग्न नखांन जग्न इहेब पांद्रक । शs"डि णtइब्र षिडीौरा किरद। छूडीब्र हान অবস্থান কদিলে প্রথম গর্তে পুত্ৰ, লগ্নপতি চক্ষুধে খাঞ্চিলে দ্বিতীয় य इंडीौब भté भूख इद्र । - • सक, मंजण ७ ॐव uहै ख्रिमअर शांकरू ब्रांनिष्ठ थॉकिरण अथाब नूज ●द१' लेख ठिनजर ७कज वइब्रानिtऊ षांकिरण cबांtछेहे भूजगडान श्द्र मl । शङशप्न बउसणि अरश्न दृष्टि षारक, ठउखणि गडान श्छ, उग्रएषा १७tश्च डिtङ गूज ७षः ोअरु चर्थी९ ध्त्र ७ सप्कन्न दृष्टि:ख क्छ। श्हेब्र थोप्क । शङडांव लङ्ग बी छrजब्र दर्श, जर्षद एक व ध्ठतृडे व पूङ ३हेरण कछ इब्र । शृब्रव&र नक्षबार्षि*ठि शहेब्रां शृ१&tश्ब्र গৃহে বা সবাংশে অবস্থিতি করিলে পুত্র হইয়া থাকে।

    • वशrन ७ङअश् वा भै रांप्न लङअंcश्ब्र नृeि, नक्षत्राषिপত্তি ও শুভগ্রহ এবং ঐ অধিপতি গুভভাবে অবস্থিত ইয়৷ उङआश्कईक श्डे व उब्यश्पूङ श्रेष्ठा थारक, उशि श्रण এই জন্তভাৰ সম্পূর্ণরূপে গুপ্ত হইৰে। ৰে পরিমাণ পাপগ্রহের cषण व डि इहेव, cनहे नबिमान ज७ड श्रेष्व। oहे प्रख्शन

क३८ड जाँङtरूब्र यथtब कछ व शूज ७वर कब्रüी नृखकछ1 इ३८व अवः छाशब्र बtश कब्रटिी औविष्ठ षांख्रिब, जगूजरूरवां★, बद्धकभूजरवाण अङ्कलि गबलहे ७३ शठशन रहेrङ जांना बारेव । इङडाँवविकरिब uहे नक्ण क्ण दारिद्र रहेष्व । इङइएन ऐछ ७ क्जिशृशशिय् आरब ४ि षोंकिप्ग बडरीन उड नैौs ७वर भजशृश्शङ अप्रब्र मृडtङ शङडाrवब्र जलड कन श्हेछ धारक । थे प्रउशरमब्र नवारण गरषक जषश बै शान ষে সকল বগৰা গুড়গ্রহে কৃষ্ট থাকে, তাহার দ্বিগুণ সন্তান, इडशप्न नानअरब cशश्न वा इडिङ गडान झ्न ७ कs, उडाउछमिव अत्रत्र cषण व पृडtठ बिव जर्षां९ मशक्षि गडान इन । प्रडशप्न बङ गरषक अtरब ५{ै, उड गाशक नखान, बगवान्, 'अप्रत्न श्लेप्च् श्रृंज, चनवान् धीअत्याभूुच् कछ श्छ । नरंजनछि, अधभछि ७ नक्षवणछि देशक्tिणब क्चों ● जखर्कनॉन्न ७षर हैशंप्क्¥ गश्छि c१ भकण &ltरुद्र नसंक शहेबांग्रह चांशष्वङ्ग वन ७ ‘भडर्दनात्र नूजकछान्न छका इङ्ग ७पर देशप्रब खडोज्ड थछ गउभिङ्ग गैछाक नखानमाण इहेका क्षेत्क । ब्रवि अकृछि अश् छ्डहांtन षांकिरण cष ●ए उछ, cनहे अशषारण उज्क्ग, c१ अंश् जउछ cनरे अरtशtण* अज्छ,' नक्ष"छि कवि जलङsई शहैद्रां ● छाशक निtखब्र थtछ बाँ फेछहांप्म थाटक, लाश हऐरण क्रिनष छछ श्रेष्ठ थांtक । जांब्र बर्षि ज७खsए मैौफ़ द भजश्रृंtइ छeहाप्न षीरक खाश इहेtन छ्ठ नषएक विtनव जलड इब्र । (गाब्रांनब्र, जांख्रूरकौबूौअ' ) স্থতছিবুকযোগ (পুং ) ৰিছোক্ত ৰোগৰণেৰ। ষিাৎকালে गt॥ दक् ि८काम cवाद परिक ७वः पक् िऋडश्बूिकरवाण एण, wiश श्रेष्ण cन३ जेकण cषांव विनहै इहेब्र छड हऐब्र थाtरू । इउब्रांर विषांश्करण शङश्बूिकरवाश cक्ष विभक जांक्छक । विवाह नमग्न जर्षt९ ८ष णtध विवार हहेtब, cनरे जबtब्र अ८ध, 4द१ ज♛ इहेप्च् छफूर्ष, नक्ष्म, मद4 ७ वनएम दूर-गठि किश्व एज थाकिरण छ्फश्बूिकtषाण रद।’ ऐशrङ गरइब्र गबख cनाव मांच e ऋषबूकि एब्र । “জতন্থিযুদ্ধৰিয়দৰিলয়ধর্ণে शमब्र●ङ्ग ईभि प्रांनबाठिंtङl यां । বাগুভমুপযাতি গুছুচং স্যাৎ শুভমতিবৃদ্ধিমুপৈত্তি তৎপ্রভাৰাৎ ॥ লয়ে তৎপঞ্চমে ভূর্ঘ্যে নৰমে দশৰে গুৰ।। ●क्रडूखव1 cनावाज्ञां विषादश् वर्षtठ छड१॥"(cबIाडिउप) विकाश् श्ष्ण श्डबूिक (वाण cबषिब्र। क्नि श्त्रि कब्र। जाद♚क । शठश्दूिक cषांश मा इहेण cनहे णtध विषाश् विद् िन। । স্থত (স্ত্রী) হয়তে র বা ই-ক, চাপ, স্থাপত্য, পুত্ৰী, কঙ্কা । नर्षांङ्ग-श्रांचज, उनब्र! । (उब्रड ) २ cवङष्ट्रर्षी । ७ झब्राजङ| । ( *च5') { tव*थ ) ● एब ।। शङाङ्गण (१९) शङगा रडाबाद आचणः । • ८चोझ द। দৌহিত্র, পুত্র বা কঙ্কায় পুত্র । - হতামুট, শিৰাদাগার একটা পরগণা। মোগলশালমাৰিकाहब्रू ब्राब cफ्रांप्लब्रभन्न दर्थन cवांजणनाबांtजाच्च ब्रांजवनिॐांद्रणार्थ अप्रैौ*अमीवनौ कtब्रन, उषन *ब्रभt१ प्रकांहणैग्न मांब ७ ब्रॉअच नि६ॉब्रिड इहेब्राहिण ।। ७९नtद्र १५म हेरब्रांजवनिकृण१ रूनिकांडांश वानिबार्ष आनिद्रा उनश्डि एन, उषन एउहले •कर्णनाक बॉक्षा" जॉनिब्राएँ ७fशब्रां अषप्य वांन कब्रिब्राहिंरणम ।