পাতা:বিশ্বকোষ চতুর্থ খণ্ড.djvu/৫৯২

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কোলিক্ষয়

  • श्fiं धनं धश्-ि-ौम्, षड्, शॆिभ्श्णं, *न्निष्ट, बिम्॥ ७ दांबजौरनर्ण अङ्गफि नानांकाम श्रेष्ठ बनिtकब्र ७षांटन बांगेिथा भद्विष्ण आनिtछन । भूझैद्र मदमभकांशैण्ड रेन्णांव-क्ष्णद्रींदगईौ क4कश्चम बणिक ७१iळम वांछि; कब्रिट्टङ जां८णन । छैiशांtनम्न छे"ब्र ५षtभकांच्च प्रांज cछब्रमांन-cशक्रभांtणङ्ग ७ङश्डे 'ाtछ । अरे ब्राजा फूर्किइएनब्र ब्राणकछोएक क्विाश् कद्भिवाब्र श्रालाग्र भूनणबान ५क/अश्न कब्रिग्रा जाद्रव अङिमूथ बांखाँ कtब्रम । अंशांश ५ऐक्ल”-धांठ:कांtन ७थानकांब्र डानिमभिद्र श्रेष्ठ षडगूह कूडूtफेब्र क्षनि सन भिद्राहिण, फज़? हाम छिनि बनविक्लभ जांभन्नैौएक (५) निब्र! बॉन ! डनषथि বহুদিন সামী-রাজগণ এখানে স্বাধীনভাবে রাজত্ব করিতেন । ১৯৮৬ খৃষ্টাম্বে পর্তুগীজ-পরিব্রাজক কোবিলহাম যুরোপীয় निgrrग्न भएषा नकई७aथभ ५थांटम मfभबम क८ब्रन । पठ९*रद्र ১৪৯৮ খৃষ্টাব্দে স্থপ্রসিদ্ধ কাস্কো-ডি-গামা কালিকটে উপস্থিত श्न । डषमकां★ गावऔब्राण अषभ भ6गैच cगाडाशक्ररू ७थांटम कू*ि निर्ऋ१ कब्रिष्ठ cनन मारें, cणtष बांश इहेब्रा ১৫১৩ খৃষ্টাৰে পৰ্ব্ব দিগকে কুঠি নিৰ্ম্মাণের অধিকার नेिट्नम । रेशद्र *ब्र १४०७ शूडेitश दे१ब्रांश्च ८काव्यतीनि, ५१२२ धृष्टैदिक कब्रांनैौ ७ ४१४२ धूठेiएक निष्मभाएङ्गद्र! ५षाएम কুঠি স্থাপন করেন।

४७** पूंछेt८क हैं६ब्रांखागमांमांहक कांग्लुन किछ ¢हे नशम्र नू*ा कtब्रम ।। ०१७७ १४ाष्क शग्रमब्रश्राणैौ भणयांद्र चाजम१ कब्रिtण गामठौब्रास्त्र ब्राजख्क्ष्म भा७म निद्रा न"ब्रिवरिम भूम्लिङ्ग! भtइन ।। ०११७ ७ ४१vv धृहेोष्क मश्-ि ऋग्रन्न नष्टशन 4हे नशद्र जाकमण कब्रिड्रा रेशत्र षष्थहे भडि कtब्रन । ५१२० शृहेitक भूप्रैौलtजभा श्रांजिब्रा वनाग्नौ भ५ण कप्रिव्रा बहनन । »ws* धृहेtश कब्रांज्ञैौमिश्रीcफ 4हे भशब्र हाफिज cन७मा इङ्ग । बर्सभाम नश्वरङ्ग ८कोनिक्ष्ट्र हेश्व्राज*द*(६भt*द्र अषिकाcब्र थांकिtण७ हेशव्र अcशा मध्षा ८कांन ८कॉम इॉन कद्रागैौश्लेिष्ञब्र श्रशिकाएग्न अॉtइ । बश्श्रेिन ह्हेtड ५ोहे हान ‘कानिएका' मांबक झ्छेि कांशृहम्लग्न अछ यनिक, फिस्नु ७षम अग्र क्लाश अञ्चङ इङ्ग मा । ज्रएक काणिकहे.८कक माrब नांनायकाग्र शिक्ने रुभफ अचउ श्छ । সামী-রাজগণ এখন বৃটিশ গৰগঁমেন্টর বৃত্তিত্তোগী। কোলিकइ उागूर कब्र ऋषा जांबद्री-ब्राजशc*ब्र श्रएबक कौद्धि आtझ् । { *** } cकोसििद्ध बéदॉन कॉलिकों मत्राग्र गांभर्द्रौ-ब्राजवांभांग ४ fछांबि* शचित्र ॐtञथ cशां★छ ? * , गांबद्रौ-द्राजवष्tण दिवाइथथ मारें । नभtब ब्रांजकूनॉर्द्रीদিগের তালিবন্ধন হয়, পরে বয়স্থ হইলে তাহারা গুগদোষ, काँइन' नचक्र (२) स्त्रि कब्रिध्ना ८कांन ¢कन्नै भडूद्धिर्द्रौ डांभtगग्न সহিত সহবাস কয়েম। তাহাঙ্গের গর্ভজাত পুত্র বাল্যকালে मां कुछषरम शैौषट्न थऊिनाणिउ श्ब्र ! •8 बर्ष शट्रेरण शूल মাতৃগৃহ পরিত্যাগ করির স্বতন্ত্র বাটতে পুরুষগৃহে বাস করিতে थाएक। हौषप्महे डाशद्र उग्नगाभायण मिक्षींश् इङ्ग, किरु कूबाईौমহলে আর আসিতে পারে না । ফুমারীর দেবালয় দর্শন ভিন্ন অল্প সময়ে বর্হিভাগে অাসেন না । অনেকেই মুশিক্ষিতা, dकश् cकङ् ज१ुठ७ छाश खोट्मन । रेइएनङ्ग भएक्षा बाङ्गोজ্যেষ্ঠ রমণীই "রাণী” পদ প্রাপ্ত হন। তিনিই রাজকুমারদিগের ভরণপোষণের বৃত্তি দিয়া থাকেন। রাণী এক হইলেও ७थन ठिम ब्रागैयक्ष श्रेबाप्इ–‘न्डन ८कोविणदानौं श्रृंगिब्रा', পশ্চিম কোবিলবাসী পতি হয়ী, এবং পূর্ব কোবিলৰালী কৗশকী ? এই তিন রাণীবংশ হইত্তে সৰ্ব্বজ্যেষ্ঠ কুমার মিনষিক্রম সামী-প্রাসাদে শাস্ত্রোক্ত বিধি অনুসারে সামরী( जांभमैौ ) *रण अछिक्खि श्हेब्रां ॐftरुन । কোলিত, ১ জাতিবিশেষ । ( কোলিত তাপ, ওভূতাসা । ) ছোটনাগপুরের করদরাজ্যের দক্ষিণভাগে ইহাদের বাস । कशिष्ठ श्रांरक्ल ब्रॉमष्stआङ्ग नमग्न भिशिणां श्हे८ऊ ¢¢ã¢ण एषां*भिन हनि ।। ऎश्ाग्नि। ८गोब्रवं ।। ऎश्ोंद्रि *ेन ७ भङ्गिङि পরিপাট । ইহাদের কম্যাগণের বেীৰনাৰস্থার পূৰ্ব্বে বিবাহ झ्द्र मा । हेक्षाद्र कृषिकार्य कब्रिग्न छैौविकानिर्रोह क्रद्र । ইহারা তাসা বলিয়া জাপলাদিগের পরিচয় দেয় । ‘তাস’ শব্দ আমাদের চালা শঞ্চের অপভ্রংশ । ২ আসামের একটী জাতি ; কায়স্থ ৰলিয়াও পরিচয় দেয়। ইহাদিগকে কুলতাও বলিয়া খাঞ্চে । ইছারা এককালে विtअरु छैग्नड़िशांछ कग्निब्रांझ्णि ! ठांशष्ठ taजिब्रांश्व८७ हेक्ष्एलङ्ग भमक्क अछि अझ cब्रोकहे झ्न् ि। (Asiatic Reaearches, Vol. XVI, ) ujî xtà* *tw** wtnty বিশেষ সমৃদ্ধিশালী ছিলেন। * (४) नाबद्रीनप्चा जनडशन ५ब्रागैtशह विकई बtबम् ि(zamorin) बाथ इश्चाप्इ । ‘नायूजौ' (भकूडनछि ) मध्चद्र मलहाजन्थाकांब कडाएष छायाचिहि व ‘काबूर इव।। ०र कानूशी व गायूजी रश्च नादूी वा 'वांबईौ' मांग हरेशाद्वह । (२) ¢कद्वगभtइt* जष्मक इitम 4ई ‘११tषषिकtब्रव' नरक ¢हनिल आtझ् । कछ पद्रइ श्रेण श्रृंरचाविनैौद्र थकूभडि नश्ब्रt (कॉन बrमइथल भूझषक मिरग्राध कहिरड गttब्र, किच कर्णौ बालाब नश्ङि नब्राबर्न कब्रिज cकान मधूचिी बाधान चषक चबडौद्र क९**षरrनत ८कन दूवात्र नदिछ तच् जt६ नवच हिs करञ्चम, कछt७ काशtछ मछ cझ्द्रः। 4ऍह* बचtछद्र साथ ‘छ१ोकांवकाइद' * [ नो६ध करण क्ङ्गिळ दिक्इ१ *** {};