अङ्कज्ञा चाहकि विवाब्र गमञ्च eदकोcछ cददम्लांकिट्टनञ्च ४१व१ cनां*ाप्न जानमबाजावरइप्नब उडाकाव्ये हिनन ! cववदाच | जरब रेर जानिरड भाबित्र हरू रहेब आशइ चित्रप्चव कtबन। बिचिबा डाभ१ हिरणन दनिशा इव बचरङागारण निe { श्न । नटद्र cयवफादिप्नद्र नाशरश ॐ गानtरू छाद्रि छाप्त्र ! बिच्ड कब्रिइ, उडिर, डी, वण ९ श्रृषिेप्ड निप्क्णभूक्षक बचश्डाणाण श्रेष्छ यूङ श्ञ । cनई चक्क डेढिन्। इस्टच् मिर्वान, जैौ श्हेप्रु ब्रख, बज श्श्प्ड ८कम ७ पृथिवी श्रेरङ चात्रवृडिका (नाबिबाs) उष्णब श्रेन। श्ख गान श्रप्च् | যুক্ত হইলেও তাহাৰ আৰু একটা ৰিপৰ উপস্থিত হইল।। चडे चूबनिषtन इ:षिड रहडा जनञ्च पणि* भूबनारछद्र क्लष्कtन नूरद्ध*िaाल कब्रिह्मा बुब मारब चनैौब नब्राङबभाजैौ । नूब जाछ करङ्गन । बुद्ध जरव हेखरक नद्वांछव कब्रिड्रा DBDB BBBBB BBB BBBBS DD DDBBD रहेब छछूद्रानप्नब डेनरवरच बिकूच भद्रपानब्र श्न । नत्रमाछ । नश्वाचरक बौहि जूनिद्रचहिरङ कबाइव निचीन कबिद्रा दूरबग्न नदिछ दूक कहिरङ चोटवन करव्रज । हेख लेख केनारद्र वृजएक वथ भद्भिरङ नबर्थ एहेइििहरणन । बूरब बांधनर थीकाइ हेअ ड्क्रश्छrीनांtन श्रूयर्कांग्न निख दहेब्रn बशकडे श्रृंiहेरछ गात्रिश्नब ; निकगाब हेव उषन चर्मछात्र कब्रिडा गृषिबैौप्छ জাগষনপূর্বক পদকণিকার মধ্যে লুপ্তারিত হন। শাসনকর্তা चकांtब प्रदर्भद्र चब्रांजकडा cनषिब्रा cदचत्रन वृश्च्णछिब्र नब्रनाभङ हहरण खिनि गूक चनबाष वार्थना कब्रिडा देtछब्र जस्क्वए१ बहिनींड श्न । कुश्श्वखि छैशाक •ञ्चदान cवथिएड नाहेब गाणक्रबब्र अछ फूष्णाटक डीवनशध्न कब्रिtङ भारबन Cछन । डममडङ्ग छैौर्ष*६iछेम, ब*न ७ जॉन कब्रिtछ कब्रिाफ ক্রমে কল্যাণপুরের সকিট कवधक्रम सबॉनिद्रा c*ीझ्दिाबांख ব্ৰহ্মহত্য পাপ তাছাকে পশ্ৰিত্যাগ করে। ইঞ্জ পাপभूङिब्र कोब्रन चकत्रल रहेबांद्र बांमरण कवचक्म, अरबयन করিতে করিতে এক জনাদিলিঙ্গ দেখিতে পাইলেম ; বিশ্বकई८क आहयान कब्रिङ्ग फेड लिएघब्र के°ब्र मबिम्र निद्रीभ कब्राश्नन । निरजब नाव प्रचब ब्राषिद्रा वृरणछि दात्रा zवविक क्रड ॐाशव्र शूबा कब्राहेरणन । छीशब्र गूजांब्र गरुहे रहेही ऋचब्रणिन छैदांटक aफाच cवथा विष्णन, इंवs गाडेाrन अभिनाङनू#क छद कब्रिग्रा ‘eछाद छैiशtर्क शूजां कब्रिप्ठ गाम’ ७ऐब्रन &वार्थना करब्रन । बहार्बय जोरश्ष कcइन cव, दtनै अप्मक मि श्रे८ख अञ्चोजকত ইয়াছে, পূজা করিবার নিষিদ্ধ রাজ্য ভ্যাগ কৰিয়া *थाप्न थाकि वांद्र चांदछकछ नfई ; व९णब्रारख ४षणांपौgनिं [ es ] षश्च। वाप्ड चर्थ रहेप्च् अनिद्रा भूवा कप्णि नव९नाबद्ध यूबाक्ण लांछ हदेदव, aपब वज्ञांtबा ♚डिहबन कछ । ब्रहरणच ऐखरक ५देकन चारबन कfaब्रः चलरिंछ हदेहण, देख wक नयछिदriइ८िछ चरर्भ ग्रंग्रब कह्छम ॥ अलगववि ऐश्च थरनबाटख हेक्नाचैौ नूनिंबारळ कवचक्रन चागिबा भशश्वद श्टावक्रझ श्याः शक्तःि। श्रेय ; ४ंशब्दनं चर्चश क्षिम काठेझ cत्रण । कवचषtअछ निकtछे कणग्नष५हन्न कूनरनषद्भ भाचाब्रारबद्ध ब्राचषकाप्न षननकद काटन काम बलिकू नषबरब ¥थिएड पूँजिप्च् मक्काइ अाक्कोप्ण रूक्ववप्न थूरक्षारू ধৰিৱন্ধ লিৰ ৰেখিতে পা, ভাৱ ঘৰিণাপন করি পর क्किन cगरेँ गइदाद ब्राखीएक स्रोणम कप्छ ; छाब फेखक श्रम ब्रांबवामी हानब ७ बराणिरबङ्ग नूषा-रुङि वर्डप्रणारक ●यकाइ कदृब्रज ? श्वविज्ञान बशरषद cनहे ब्रांखिtछ ब्रांखाट्क अपञारवश्व कटछत्र, ब्राजा बघल का?ाईद्धा उचाइ ब्राबदाबैो मिश्वाणनूर्कक cवषाणcदद्र नरकात्र ककिरणन । कानॆ दरrड कfस्क् थाबाश्च यशणिप्त्रद्र नूबाद निइव कfबद्दा विप्नन । ब्राजवाबैोइ जाब कि ब्रांथिरबम मtब बरम देश छादिtख्tइज, थहे मबाइ मशष्टबाद यरूश्च श्ब्रl नूडब नूद्रैोरङ जानन मछकfह७ जबुछ इकांहेद cवन, छश्नंप्म हाथ बाबषानैौइ नाम मधूबाशूद्रो द्वाथिएनन। ७३क्ररन ब्रांची कुणप्नषन्न कईक इचब्रणिtब छ। পূজা মর্ত্যলোকে প্রচাস্থিত, মথুৰাপুৰী নিশ্বিন্ত এবং তাছা नाerबांबविtनष्ठ ब्राथषानैौब्रtन *बिनच् एरेन ॥ ३श ८कान् जबरद्र मरपक्रेछ श्हेब्रक्लिन, छाए। हिब्र रूबिदाम्र छेत्रोच्च अङ्गदे । ऋणभूद्रारणञ्च बरख वषन चरवाशाभङि बांचद्रषि ●बाबsछ* निकृनङानाणबांच छछूईन ब९नज्ञ थरब चाप्नन अदर क्षम जड़ांदिनखि ब्रायन **<tौवरब गैौछारक जनदङ्ग१ करब्र, डथन ब्रांबछछ कूरdौरवव्र गहिख विखछ कबिहाँ मैौखाइ चरचष4 कब्रिtड कब्रिtछ पभिलाखियूएष लकांग्र खेरचरन यानिपाद्र मथरा जनका बूविद्र थाप्ननांछ्नाय्द्र यथूबां★ोरङ जानिब॥ चचब्रप्वरक्ब्र गूबा ७ जाडाषमा कबिबाहिरणन। -* अरे गमप्इ ब्राजt चमडख**७ मदूबातूदीरस्य बाबच कtब्रम ; इंमि कूणtनषद्र रहेदछ >> ५नक बच्चत्र श्रिणम। चठ७ष श्गन्ञाष्वत्र वrड मधूबानूढौ cजकाभून हानिख अञ्च । भू#श् किङ श्वाप्इ cष, ब्राचा कूणtनषद्ध भूही निचीन कब्रिद्रा काने एरेcङ बाक१ जानब्रनगू#क इकछप्रदरब्र गूबांब वाचदछ कक्छि cगम १ इक्षtछ ऋमएक अङ्कमाम काङ्गम વં, कूणtषषब्र' *ाerब्रांजाब्र जबरद्र नचिकटवएन रेषविक बांकन हिटणम मl, अँदांबद्दे शत्रtब्र चां*iांदउँ इऐéख बोक्त १ क्रांनिद्या দক্ষিপবেশে উপনিবেশ স্থাপন করেন।
পাতা:বিশ্বকোষ চতুর্দশ খণ্ড.djvu/৫৬
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