কচু [ ১৩ ] কচু ४iििक्रल ८कोनरिनिडे ७शनद्वाकांब ; इश कुहू इएनब्र माॉब | जिजfउँौम, कूणग्न छैॉफै। छर्कङांtर्ण झभर्थः ८भां★1 श्छ ? कूरणग्न शश्ब्रिोबग्न५ शृष्णच्न उँझेान्न भक्त गभोन, हेहान्न भएषा कृहे छिनि शैौल ब्रट्नू । 獨 কচু (দেশজ) কশবিশেষ। ইহার সংস্থতপধ্যায় কী, বিভও। ब्राजदल्लउ गाउ हेशंद्र ७१-cछनरू, ७क्र, रु, जांम, बांबू ७ পিত্তকারক এবং পিচ্ছিল । স্থতিশাস্ত্র মতে, ভূর্গোৎসবের নবপত্রিক মধ্যে কচু পরিগণিত। আমাদের বাঙ্গাল দেশে কচু অনেক রকম পাওয়া যায়, তন্মধ্যে মান ( মানক ) কচু, বঁাশপোর বা বtশপোল, শোলা কচু, টেকি-বাশপোল, নারিকেলাকচু, মুখীকচু, চৌমুখীকচু ও ७फ़िकहूहे ( यांहाँग्र भांक थांब्र) aशान । भानकहू-हेश ८माग्रॅग ७ झांग भाषैौtङ चउि छैख्म জন্মে, খিয়ার মাটীতে বাড়েন, পলি মাটীতেও হয়, তবে বড় সুবিধামত হয় না । কচুর ফুল হয়, কিন্তু ফল হয় না, হুতরাং বীজের চার হর না । পুরাতন গাছ উঠাইয়। ফেলিলে মাটীতে cश मरुण शिकए शां८क, ऊांश इ३८उहे कांग्नl छष्मा । शंtछ् মা তুলিলেও চারা হয়, কিন্তু অল্প হয়। এই চারা তুলিয়া লাগাইতে হয় । চৈত্র ও বৈশাখ মাসে বৃষ্টি হইলেই চার बाहिग्न झग्न । शूग्नtऊन भांप्नग्न भूष छाग्नि रुि झग्न हे शि* *ग्निমাণে কাটিয়া লইয়া লাগাইতে পারা যায়। গৃহস্থের বাটতে এইরূপে ছুই চাব্লিট গাছ করিয়া থাকে । মুখকাটা-চারার मांमधून वफ़ इग्न । যাহার মানেয় চাষ করিতে চাহে, তাহাদিগের পক্ষে শিকড়ের চার লাগানই যুক্তি-সঙ্গত। বৈশাখে ও জ্যৈষ্ঠের প্রথমেই চার লাগান কর্তব্য, ইহাই মানকচু রোপণের প্রকৃত সময় । অন্ত সময়েও রোপণ করা যাইতে পারে, কিন্তু সে সময় চারা পাওয়া যায় না, মুথ কাটিয়া লাগাইতে হয় । মাঘমাসের পূৰ্ব্বে কিন্তু মুখ কাটিয়া লাগাইলে চার ভাল হয় না, শীতের প্রবলতা কমিলেই লাগাইতে পারা যায় । মানকচুর ক্ষেত্র গতীয় করিয়া বর্ষণ করিতে হয়, কারণ মৃত্ত নীচে পৰ্য্যস্ত মাটা জালগা থাকিবে, কচু সহজে তত বড় হইবে । ইহাতে शाअण निराiग्न आोराछ क इम्न मl, छtद छांशांब्री कीटर्म7ग्न झूदिशांब्र अछ णानण निब्राहे कांब cनग्न किरु ८कांगांलि दांब्रl cकांन्णाहेब्र निtणहें छांण इग्न । श्वमा वणिग्नांtझन-"cकtनां८ण यांन, ठि८ण हाण ।” गात्रण निब्रां 5दिब्रा या cकtणलtऐग्रl निद्र', भाüौ ७'क्लtहेब्रा ठूर्नव९ रुब्रिग्ना निtछ हद्र, बांग भूष बांहिब्रl cएशिष्ठ श्छ । छांशं ब्र श्रृंग्न भई नेिब्रा शबझण कब्रेिब्र! जहैtङ इग्न । नtत्र इश्कूछे कि cनफ़शtठ अकब्र *क धक ca१ 5ांब्रl - णांणारेटव । अहङाक, कांडात्रेक वरथाe झ३इ* किcयकशांड ुरु झोस्नु उनीदछुक ! * छांब्र cषभमहे इफेक मcरूम ( अछि चूज इहेरण७ ) णांशीऐरङ गांब्रां वांद्र । cभद्ध निबझ भब्रिकांग्र ख प्रां८इब्र cशांफाँ भtषा भcश आणूशी रूब्रिब cन७ब्र कर्डवा । मांमकहूड इोहcग्नब्र जांब्रहे ७धलछ । झोहेtञ्चब्र शांtब्र मांम दाँटङ्ग । भांछकाँश चत्मक श्रण भाभूब्रिग्रा कव्रगा झनिल श्हेब्राह्ह। देशब्र इरे गां८ब्रग्न छनT शाशशांद्ध कब्रिtछ माँहै, काँब्र१ हेझांग्न cङएख भांदइग्न फेनरुग्नि न रहेब्रां च”कांग्न इग्न । रुtई, छू*, जष्ठ, नांउl, ञांबणर्जनl, cशांशग्न c°ांक्लाहेब्रा झाँहे कब्र कéशा । cशॉफ़ीमाँछैौe नांद्र cन सप्ताँ शांहेtड *ांtग्न । कैाछ cशांभद्र श! अना गात्र निष्ण मान यफू श्ब्र शtü, किरू भूथ षtछ, प्रठब्रां५ cन गांब्र ८ ७i cकtम षण श्ा नl । धनं वर्णम-*श्छूबरम नि ছড়াস্ ছাই, খনা বলে তার সংখ্যা নাই।” “ওলে কুট মানে ছাই, এইরূপে কৃবি করগে ভাই ।” নদীর ধারে কচু পুতিলে कठू भूर शश श्ञ-७हेजना गझैौठांटम गूकब्रिगौ ष मानाब थाप्द्र शृश्ःइब्र रुक्नु श्रृङिग्न थाप्क । थन गर्णम-"मनौब्र थाप्द्र श्रृङ्ण कष्ट्र, कष्ट्र श्ब्र डिम शंख बौष्ट्र ।” श्रृश्रश्ब्रो নীজ বাটতে দুই চারিট। কচু পুতিতে ইচ্ছা করিলে, একস্থাত গভীর ও এক হাত বেড় গর্ত করির ছাই ও গুড় মাটীতে গৰ্ত্তটা তরির একটা চারা কি পুরাতন মামের মোখা লাগাইয়া দিবে। এইরূপে যে কয়ট ইচ্ছ। সেই কয়ট গাছ করিতে পার। বায় । মানকচু হুইবৎসর পরে তুলিতে পারা যায়, চারি পাচ বৎসর পয়ে উঠাইলে, বেশ বড় কচু পাওয়া যায়। যশোহরে এক প্রকার মানকচু জন্মে, তাহ প্রায় এক হাতের অধিক और्ष इब्र ना । हेश रुफ शशांझ इब्र, श्रांद्र (भांट भूष थtग्न मां । উক্ত জেলার ইহার আধাদ খুব বেশী হয় । রঙ্গপুর ও ময়মনनिष्इ cजशाब्र यश्झांप्न मानकहूह दिखब्र श्रांबान जारश् । uहे দুই জেলtয় যর করিলে ছয় সাত হাত দীর্ঘ ও তদুপযুক্ত স্থল भामकफू अरश्र । माप्ने cबनै ब्रगाण ७ इब्राविथिछे श्हेप्ण, cगषाप्न मानरूहू गांश्राहे८७ माहे, कांब्र१ cगथानकांन्न भाrन निक्रम मू५ वप्छ। अनाना जगाइ रुष्ट्र भूरु भन्न जप्द्म, काब्र१ हेहाँग्न ऋडझ अॉदांश माहे । যশোহরের মানকচুই কেবল,এক বৎসরে পরিপুষ্ট হয় ও ॐांहेम्ना लहेtठ *tग्नी षां★ । मांनकठूद्र ७१-शबांझ, नैठण, ७क्र, cनांषश्ञ, लेष९ कङ्के । हेर्दा सेवtष° वारुरुङ हछ। बांनकहून जत्मकखणि वाजम चखि प्रचब एन । वरभा
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