ਜੋ 灣神 भकिनग्निन ७ छैद्धज़ाँग्न• । अर्थाँ९थंiग* श्रेष्ठ cतोषमांग *ईiख् गूर्वी छैखब्रtब्रथा इट्रे८ठ प्रक्रि*८ङ्ग१ांद्र श्रृंघन क८ब्रन ! : ईझांद्र मांभ नक्रिभांग्रन qद९ भांषभांग" श्रेष्ठ श्रावांक्लमांन *ीर्षीख ठूपैंr मकि१८ब्रषt श्हे८ठ छेद्ध व्रtब्रथा श्रर्षrरु शंभन करब्रन, डांशद्र नाथ फेख्ब्राह१। $रे श्रेशे जीवाब भश शृदिशैब्र ८ष अt* नउिठ श्य, उांशंद्र मांभ भ११७ । uहे थt७ * २ ब्राँ*ि ७ ठांशंद्र अक्षर्भङ • •२४ौ नक्रब cनथि८ङ भां७ब्राँ • दtा ।। ११iमष७८चनि भक्षार्थं ७ब्र ऎGखtनि ८५ ष१* खांश्i८क्षः ऐंख्ग्र१७ बर्ग । তাহার মধ্যে ৩৪ রাশি অর্থাৎ পুঞ্জ ও उमढर्शङ •8५७ नक्रय अवशिङि कtब्र । हेश यूबtनैौब्र cछाडिएर्रुखांद्रां निt#* कब्रिग्न थt८कन । धै भ१r१८७ ८य नमूनम्न अध्ण नक्ल्न, श्राप्झ्, उहाtिभग्न कऊकसगि कब्रिप्रl ७क ७की आकृङि निर्किंडे कब्रिग्र शूर्तिकारण জ্যোতিৰ্ব্বিদ পণ্ডিতগণ দ্বাদশভাগে রাশিচক্র নামে সীমা हूिहिड कब्रिप्रांरश्न । भै रामभद्वै ब्रॉनिब नाम-८भष, दूष, भिक्षून, क्र्क, निईर, कछ, फूलl, बिश, थन्न, मकब्र, ठूड७ोन। ८भय ब्राभिग्न थशंभांश८*हे झांख्रिश्रृंtङ झ्छ । ८ष छूरें निन ए{ी बै ८ब्रथां★ थां८क, cगहे शूरे नेिन निदा ७ ब्रांजियांन गभाँन झग्न । ' विबूवtब्रथांब्र छैख्द्रनिक ४ौ ब्रांनि अर्थt९ ८भष, वृष, মিথুন, কৰ্কট, সিংহ, কন্যা ও দক্ষিণদিকে আর eটা রাশি अ५९ छूग, दिइ, पश, मकब्र, कूष्ठ ७ मैौन ठिरीक्डाप्त फादश्ठि श्रो८छ् । शृशिदौ चौञ्चकम जग१ कब्रिtऊ कब्रिट्ठ ६वश्रां५भांटन यथग भौन ७ ८भरुग्नांलिग्न भ५, इ८ण श्रांनिम्न ७*हिउ श्ब्र অর্থাৎ যে অংশে রাশিচক্রের সহিত বিষ্ণুরেথার মিলন হইয়াছে, সেই অংশের সহিত তখন স্বর্ঘ্যের, সমন্বত্রপাত रह 4दर औन s &वशनि कि ऋषीव्र गजूषवडौं रह । এই সময়ে পৃথিবীর নিরক্ষবৃত্ত্বের উপর স্বৰ্য্যরশ্মি ঠিক সোজা হইয়া পড়ে। এজন্ত পৃথিবীর সকল স্থলেই সেই गभग्न दिा ७ ब्राजिमीन नयान रछ। अर्ष९ि षषन স্বৰ্য্য বিষুবরেখাতে অবস্থান করে, তখন তাহার ক্রাস্তিপূন্ত এবং তখন একমের হইতে অপর মেরু অবধি গোলকাদ্ধ আলোকময় হয়। হুর্য্যের উত্তরকাস্তি যত বৃদ্ধি श्हेtङ शाक, छठहे छेड़ब्रtभक्र अठिक्कम . शहेब्रां ए८érङ्ग श्रttगांक दिशाद्रिङ इहे८ष्ठ थांएक ७ अभिगरमद्र बां८णांक. বিহীন হয় এবং স্বৰ্য্যের যত দক্ষিপঞ্জাস্তি বৃদ্ধি হইতে থাকে, उठरे मक्रिभtभक्र श्रडिङ्गम कद्विग्नां राईझ.प्रांtनांक विखl ब्रिङ, शब, उंख्द्ररमक्र श्राद्गाकर्नूछ श्रेषा धारक । रवींद्र
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[ २०8 ] जांखिंद्र श्रृंब्रिभांन २७* २४। ६ब*ाषयां८ग प्रर्षी ८मर्ष প্রবেশ করিয়া মিত্য এক অংশের কিছু নুন গমH R জ্যৈষ্ঠমাসে বৃষ রাশিতে প্রবেশ করে মে ৯ रुिक्षि९ नक्रिभ ७ श्रेष९ खेखtब दूषब्रांनि भवश्डि। ११ निडा ५रु बttभङ्ग नून १षन कनिघ्। ’बाशीतः মিথুন রাশিতে প্রবেশ করে। মিথুন রাশি বৃষ রাR कि डेडवभक्रिय रिक अश्डि। श्री नििश्मशः उँठौ4 श्रेब बादर्षमात्न रुढ़ी ब्राभित्र्ड अत्यन्त कम যে স্থানে রাশিচক্রের সহিষ্ঠ উত্তরক্রাস্তি রেখায় । रहेबांटाइ, cनरेशन भै क्विप्न कि श्रीब्र गर्श्वरः रुग्न । देशांद्र श्रृंद्र यांब्र श्रीं ॐखब्रनिरक श्रृंमन कtaन ७हेछछ फै जभग्नएक अग्रनास्त्रकोण कप्रु। ऋर्ष ७३ बाथि ७०* अर्डिजम कब्रिब डॉजभांtन जिtश् ब्राणिn প্রবেশ করে । এই রাশি কর্কট রাশির দক্ষিণপশ্চি छांtशं भवहिउ । हेशांग्र *ब्र एर्षी श्रांश्विनभांtग रुद्र রাশিতে প্রবেশ করিয়া থাকে। মেষ রাশিতে স্থাি cग्न थांब नश्डि ब्रां*ि5८ङ्गद्र ग१८षांश्री जॉ८झ, ८गहेछ তুলারশিতে ও সংযোগ জানিবে। মেঘরাশি তুলারাশি াৈ १v०* जूझ ।। ७३ कांब्रt१ ८भषानि ७गै ब्राणि ब्रॉनिsाङ অর্ধেকভাগ এবং ভুলাদি ও রাশি ঐ চক্রের অপরাপ্ত অংশ হুৰ্য্য কীৰ্ত্তিকমাসে ভূল রাশিতে প্রবেশ করিয়া থাকে हेहांग्न *ग्न वृणिक कब्रांलि, रर्षी ५हे ब्रांनिरङ श्रशशाङ्ग१ मा: প্রবেশ করে । তৎপরে সুর্থ ধমুরাশিতে পৌষমাসে । माघमान मकब्र ब्रानिरङ अध्वन करब ।। ८ष आए রাশিচক্রুের সহিত দক্ষিণক্রাস্তিরেখার মিলন, ইষ্টা थै अश्* मै निद्रक श्रीब्र कि नयूषवन्नैौं इछ ५१ ७हे श्न रुहेरठ रहf ग्रांद्र मक्रिभनिएक शंभन°कtद्र न taहै जश 4हे नभन्न भकिभाग्ननांखकांश ।। ५ई ब्रांनिग्न भंग फू রাশি, ফাঙ্কনমkস স্থৰ্য্য এই রাশিতে প্রবেশ করে। ইং পর সূর্য চৈত্রমাসে মীন রাশিতে প্রবেশ করেন। ७३क्रz* शूनब्रांब्र ६दभांधभांtन शृश्रीि शैन । ८भवद्रांनिग्न भशाश्tग आनिब्रl, फेनंश्ठि श्छ । बिंदूवti* गश्रृि ८ च:+ ब्रानिष्प्लङ्ग शिगन श्रैरिहः (* अ१* श्रárभ७८णद्र नषू५बउँौं इsप्रांग्र नर्सब निब ७ ऑवि" नमान श्छ। अङ्गउनष्क एर्दाई cय ५क ब्रॉनिररे" অঙ্গ রাশিতে পূৰ্ব্বোঞ্চৰূপে ভ্রমণ করি থাকে এমন । जsग *मांरर्ष श्रदङ्ठि इहेब्र! भ5ग नमांcर्थन इहैभाऊ कब्रिहण १. भवांश्धंद्र अउिल्लभ रत्र । শেই ঐ বশতই ঐক্ষপ দেখা। ফলে পৃধিনী રૂત્તાનના J . ... -- *