झाउाण < پر جب جبليتيتيتيتيتيجع ब्रtछ जर्सीषाक्र । अथानब्रट* ब्रांज बांश८कब्र दम, डाँइॉब्र वाःaतुि *{ख ब्रभ*ांtवक्रनै कब्रिट्वन । प्रांज अां*ौब्र प्रधtनब्र भtषr बाँशंtक•cषांश, विरवठन कब्रिरबन, कांहाँब्र $शृङ्ग थ्ञथंtखं-यrयहाँग्न यॉणt कम जकण छाँग्न जश्नf१ कग्नि(रन। डिनैि वागत्कब्र ७ अंश अवश्रभाषा भन्जिबाब ब्रि ७iजाहिाँगन निमिस अांदर्छक इहेtग अथवा भमिवांबी कांधी निर्लीश् नियिख cवक्रश्नं श्वब्रक्रांब्रि श्रावधक हरेtद, छिनि ¢नहेद्भ* रिबन ७व१ भै बॉणक वावशंग्र ७lांशं श्हेcण ठांशं८क उशब* क्विप्प्रब्र.श्राद्र बाब्र'डॉन ७ वृदिब्र निकां* निरङ रहेर ७वः पनि डिनि “कान बन कडि कब्रिव थाrदून, उहाँ श्रेष्ग कृश्ब्र भउिभूमण• कङ्गिएउ श्रेष्व । বঙ্গদেশে পুত্রবান পুরুষ পৈতামহ ৰ থোপার্জিত স্থ{ৰয়া, शरद्र विषत्र भूयरबब नबलि दिन नानबिज५,अफूडि पथ हेरु रुबिएड श्राप्बन। थनौ निय बृब्रध्याखब्र पथम बिज्रख् त्रेबाब निश्म (अर्ष९ फेरेन) कब्रिग्न शीरेन्ड भरब्रम । प्राग्नमनिtशब्र भ८५/ $ट्रक वा अप्नरक गाँषtब्र१ विषtग्न | निछ giश्रृंj अ१* मांनाँनेि कब्रिट्ज उठांश् १वश्व 8 निक । DDBB DDD BBDD DDDD DDD DD LLK DS रु ऐंग्राहे, विनश् श्रांवथक कांtसf विक्लब्रांशिरश्छ नन्द्रठि निtण তাহা সিদ্ধ হইবে। ८ग श्tग नम नब्रांtघब्रl rांसं दारुशंब्रांमि rबूख गचछि झांtन जमश्र, अर्थळ अशू"श्ठि नहरू, cन ए८ग फेख कांब्र*t. দিতে দানাদি কৃত ছইলেও তৎসিদ্ধি নিমিত্ত তাহদের সন্মতি আগুৰু २jवहाँtग्न मांम निकिब्र निमिद्ध नांछांग्न क्रमठt १ उकोन, डाशइ खिश्इिक्रोच्न उ९फर्रक क्लङ्ग श्७द्राब्र প্রমাণ মাত্র প্রয়োজন । बन ग५ ७ वाका चाब्र रहेब षष्क ! अशैड अश्न न कtिश'तुछझान श्राप्छ नष्ठु दछुएङ झोउन्न श्ष क्रश्न छ्द्र न| । शिन निश्शभूझि ििग्न वै निश्रम धुगिड न श्रॆंग म|७|म प्रश् शङ्गि ना 4द१ atशैङांद्र8 वफ एम्र मf । ' पार्न थाक्ष बनिद्रा झरेछटन ७क बडग्न ७ोथै रहेप्ण७ करीब्र अभूत् भूर्लकांग्र उॉरु-वाङ न रहेण शंश* फूडि **ü श्ब्र, उॉइब्रिहे भषिकtब्र । क्रूि कांश्ब्र8 जांशंभ *र्सकन ?मां५ ईंट्ज खांशद्र जूङि नां वाकिरण७ ८गरे *षिकांग्रैौ ।। ८ष*८य विवब्र निरि, बिग्लग्न ७ क्झक ुछिएउ cनहे बिब्रम ५६ो ।
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s' oto זיtשאrfש श्रृङ्ख्यानि थाकिए७ जक्ष नाम ७व१ भोल्लमजङ कोच्न५ विनाशाब्रव क्षिप्रम्ल निव जश्न नामानि निक, रुिरु णश्च । नखक, नूज कब्रगॉर्ष शूजनांन, "ब्रिजम बTाख विनंत्र लब्रिअन viांलनांथ aव१ माँय$क थच{कर्त्रीध चदिखपङ रिवरवद्र चकौत्र अश्वाजिबिख 3 विलङ वगैश्च गभूमारबब्र ७ झैंौ५८नब्र झांमांमेिं गिक अथछ ५ई । * c দেয় প্রকরণ।--উত্তমরূপে পরিবার প্রভূতির প্রতিপালন रहेब बांश अङिब्रिड इज, ८नरे शबड अंशावत्र श्वप्नद्र দানাদি সিদ্ধ এবং অধৰ্ম্মযুক্ত নহে। পরিবার পালনের ব্যাঘাতে স্বেচ্ছাপূর্বক স্থৰ কাষ্য ५ई काममांइ क्लख् ८य भांनjनि डांश निरु श्हेtण९ ५ई नरह । কিন্তু যদি সৰ্ব্বশ্বৰিক্ৰাদি নি ৰিপন্থ হইতে জা, পরিৱার *ागन, श्रषद जब७ ५ई कई निघ्नानन न श्छ, ठांश हऐcन विtषष्ठना अश्नांtद्र यांश,क्लड इहेtव, उiशहे निरु श्रद । ब्रक*ांटवभएन अलङडानि छप्लाकtब्रtण कनि cकtन जौ তাৎকাল্লুিক মুখ্য দায়াকে স্বাধিকৃত সংক্রান্ত ধন দেয়, ठाँझाँ श्हेएन ५हे गाँम गिक ए३८व । ब्राजा श्रविष्ठांबा, ८षtशा • शहेरन ८णा#हे ब्राजjांषिकtजौ, ८लाई चाबामा श्हेदण अछ जाड गाहेप्त । • দত্তপ্রকরণ-ভূতি, দ্রব্যের মূলা, বা গুপ্তরূপে অর্থাৎ विदांप्र, फूडेcङ ग! अङ्गा”कtब्रव्रt”, cषप्र, श्रश्अप्र, बाँ अंक जरु कांदब्र यांश नख, छtश1 अsष्ठrांशांपैi । छूङिरष्ठ व भङाढ दrांकूनष्ठां मयूख अछाषिक थन निरङ पौझठ श्रे:ग उfश नाकबा मछ । बसङः श्रूश्मांशक्डि ४ ५:जब्र রোগাদিতে কেহ যদি ভ্রাতাকে সৰ্ব্বস্ব দ্বিতে স্বীকার করে, उाह रुहेप्ण उ५यौकाङ्ग अणिरु ! किस्त्र উপকারাগারেঅধিক দেওয়া উচিত । অত্যন্ত অধিক ধন দিতে প্রতিশ্রুত रहेtन डांश नउ न श्रेrग व अडाश्रीि नख श्रेण७ फेन রোক্ত যুক্তিতে পুনগ্রহণীয় । অদত্ত্ব প্রকরণ।--ভয়স্বিত, ক্রোধাম্বিত, কামান্ধ, মোৰ aसूस, फेब्रख, आर्ड द म यकृङि'विश्व्र, अथर फे९८कोछ. রূপে, পরিহাসে, ক্রীড়ায়, ভ্ৰমে বা প্রতারণায়, কিংৰ কালক অশ্বজ্ঞ বা অপবৰ্জিত कर्दुक अक्षरां প্ৰতিলাভেচ্ছায় किश्व! त्रश्वांजtक गाबिटवांरक्ष अथवां अडि ब्लूक, अछि दछांकून, नि:नचक, ब अफि झडे कईक कि९व नtगकtई यांशं मख, डांश भनखाई । बखड: cनाक्र्यूड गांन भनिक, किरु कब्रिगम्णक मान निक । जांटर्सब्र झउ ५ ईर्ष मान निरु । बांगक कईक प्रख ধৰ্ম্মীথ দীন দক্ষিণাদি লিঙ্ক । नग्निसां* नक्क यांश cणष शरैग, ५९न दउँमाँम श्राहेनe