পাতা:বিশ্বকোষ নবম খণ্ড.djvu/১৯৫

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♔ ধৰ্ম্ম शॐ (झौ) दन्नछि बिश्यक वl६-ज (१श्रौ"ठौच् ि। ॐ अ***} * श्रुर । १ जकू ।। ०१{। (जि) 8 वाहक । “षज*निविवर इश् वक्रकनि वक्षत्र ” (शक्रदङ्क" st५४) 'cर क”ांण ज्र भज६ ধারাশি (বোনীপ ) ধৰ্ম্ম পুং স্ট্রী) ধরতি দোকান্ জিতে গুণাস্থিাভিরিডি বা ৰুম (अठिंडहविडि । ॐ१५४७०) ७डांश्8, रत, cवन, श्कड । 'धभिनि झख भैौभt:गर्भि:मन् वधूंषि *च१ttखं शृं. अिछांना” अ४९ १ई भैौभांश्गाँहे नैौभारमगि*नङ्ग बूण, अझ* णिविज्र आtझ । १र्फी कि ! ठाश्ग्न गजगद्दे खाँ कि ? कि श्tdr ofङ्गtण ५* श्॥ १५९ fo शश् िचश्ळैtनं द्विाणि शृं इग्न ना ? देशं निरर्षभ कब्रिtड इश्tन यथrम थc****कन्नै शक्रण कब्र थtब्रांछन । षषॆजिखांनी जर्षी९ १#अनिवाग्न ऐश्वा । व# छांनिवाग्न अॉय9rकिछ कि ५ष९ थtभईै कि केि नां५न ? कि षट्स eनिक ७ कि अथनिशं ? ●कबन अक#* १tर्श्वग्न जक्र१ निरर्षभं करङ्गन, अॉइ ७कअन श्रीब्र थोक यकां★ कणिब्र! श्राहकन ।। ७३ मकरणम्र बैौबारगं भग्निर्जा अनिनि *csानम|লক্ষণেt২খে ধৰ্ম্মঃ’ এইরূপ স্বত্র নির্দেশ করিয়াছেন । ক্রিয়ার প্রবর্তক বচনের নাম চোদমা অর্থাৎ আচার্ক८७धब्रिड झ्हें★ ८श शंश्नानि कङ्ग शांब्र, छाइएकहे १* कtश् । श्रांठारéाब्र $नtनक्षांहूनांtग्न धश्चक्ब्रि नामहे थाई । cष कांपैं शृङ्गtष* भणरणब्र अछ श्छ, अर्षt९ cष कई) भन्नईांन कङ्गिरण भनण इक, ठाशां★ नाभहे शनई ७ष९ यांशष्ठ छूङ, छ१ि१९, वéमांम ७व१ एहदादश्ठि ७ विथङ्कटे भर्ष अष*उ श्हेcछ नमर्ष इ७ब्रां बांझ, छहाँग्न नाम षभ{, १ांश किङ्ग ८थब्रझग्न, अ६f९ भक्रणछनक उtशाँग्न नांम १* । “१ ५६ ८eवंप्रकब्र ग এব ধৰ্ম্ম:শৰোনেচ্যতে" ( মীমাংলা ১২ গুজভাস্থ্য" ) यांश वनश्रेण, देश uक दिलनब्रtन श्रांtणां5मा कब्र षtसे द । कथा रहेण sडे, c१ कांग्रँग्न अछूईॉम कब्रिtण शूद्रtसब्र भणण झन्न, छांशॉब्र मांम १* ।। 4भन कॉर्पी कब्रl अtवष्टप, शांझाँग्न झण भजण खि# जनजल इग्न मl, वन्द्वैॉकू*ान ह३८७८झ, काङ्ग" भन्नन इऐएउtइ, उहाँच्न कार्य छाम्नन¥न७ ध्रुष ९ झु:tभन्न शक८५ णिविज्र आएझ् । १र्षअछ श्रृश्व ७ अक्षर्षी. अछ झु:५ श्हेग्न थाहरु । शृं शब्रिणि उtश्tङ्ग एण श्रूथ् ज१७े श्रॆ८९ ७५१ श्मश्रु |' कब्रिट्ण झु:५ अनिषार्थ, ८कङ्हे थलन रुब्रिएउ •ोप्न न । अरे भरच्ष रहेण cष, याशtड श५ इत्र फरुिद्र माम ष* ७ब* शांशांtछ छू:१ श्झ खांशाँग्न नांभ अ५{ । भीमब्रां छांज मना tरु ८कांन औईरे कांtबैं★ जश्छेॉन कब्रि नl cफर्म, उजक्छ थांमॉtनङ्ग अंकणै नईकञ्च जाग्र, cन्हे नश्छांद्गरै कांtण ५छ| ز هادة ]

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- सड कन अबान कब्रिह वाटरू । ॐ गरकॉरब्रव्र अङ्गडे यांनना हेष्ठादि भांभाँक्षि गरख निर्किडे एहेब्रttइ । ६६ इलेक मारüग्न भाषीका हूिद्दे जाइन क्इ म ! cक्क्र”, बौब cब्राणिक श्रेन शूच ७ कणानि हरेद्रा थांप्क, cनश्क्रण वांगन वा नरकांब्र पांtण *दूक हरैब्रः जांशग्न कन्न संथनांन कब्रिहब, ठांश ८कए मियांङ्ग* कब्रिtठ णमर्थ एऐ८६ नt ।। ७fहाँ शनि श३ण, cयं cष** कन्{ाँ कब्रिह्म, कणe cगदेङ्ग* इहे८ष । ● जगंtड निकई हदेब्र ८कहरे थांकिtड नाcग्न ब! ? छांण श्छेक पl बना ह*ष कन कब्रिtड हऐtरु ४११ cनहे कtभईब्र cफांtनं तु खांसीख एखां★७ अवsखाँदैौ ।। ५ईहे शनि श्रt५ब्र कfङ्ग१ मिर्किंडे श्रेण, टाइ! इहेtण ८कtन कई कब्रिहण १‘वै श्छ, खांशरै क्रिषष्ठी । cयङ्ग* कङरू७णि कार्षी भांtइ, ठांशंद्र जश्न कब्रिtगरे गtण गtण कण णांक इङ्ग ५६६ कडक खणि कtई जt८ह, उtङ्ग्न झड caउjचक ई ब्र मी । दप्ति ८कह छक्लनं अनिद्धि दरब्रम cर, cरु कttर्षीब्र कर्ण क्षम ¢ष्ठाभ श्क भां, उsांश थकई कि अश्व"{ किंक्ररणं निर#ि* कब्र शाहेररु । ऐझांt४. ४हेमtद्ध दखायr, cव पदिशंण दांही बणिग्नां८छ्न ७द१ शृंह cदनcषांषिउ इहेब्रtरह, ठाँशहे धकभांछ गडा ७दर वन । ८कान याङि १" जानिtङ नॉरम, हेबांग्न फेडरङ्ग cषनांख्छां८षा लिथिङ अtछ् । -

  • ঙ্গাধ ধৰ্ম্মোপদেশঞ্চ বেদশাস্ত্রবিরোধিন । सूखtर्कमांडूनझ८ढ नश*९ ८षण cमठग्नः ॥"

( cदनांखन° अंकग्नऊां*) भषि** थऋविश्वग्न cष मकश छै*tननं निब्रां८इम, cनई नकाश cवलभांtछन्न नहिउ अवि८ब्रांशौ ऊर्कइtब्र शांशग्न अङ्कगकांन कrब्रन, छाइब्राहे ५¥८क जरनम । अङ्गे cकङ् अनिएफ *{tब्र न । देशtड 4हेब्र* निकांछ इरेण, कैदिभं१ शीश८क ६% दणिब्र! निt#* कब्रिब्रt८छ् ७व६ cव८ल यांइ डऊ श्रेब्रांtइ, ऊाशहे १ई । यtशंiणि द्भिग्राहे ५*, पांश्tब्राँ कt#iनेि अछूईॉन कtब्रम्, ऊांशांब्रारे ५iन्द्रिक । कांग्र१ वीर्थानि जिब्रांब्र चन्नईॉन कब्रिtण ७डाहुडे जान्न अिश्९ मै ७डाहुदै अछ क्णe Jछ श्रेङ्ग। थार्क । “विश्ठिजिब्रांनांश): १*ः भूtrनां ७८१मछ; } धष्ठिनिकक्रिब्रांनtशा: ग७r१t९५क/ Gशण्ड ॥ * , ধৰ্ম্মশ্রেশ্নঃ যমুদিষ্টং শ্রেশ্নোংক্ষুদিরসাধমং।” (मैौमाश्गांभ**२ रजङांक) वैिश्छिं अिब्रt खांब्र! भथिा ८५ शूभtवग्न ४१ छाहौब्र नाय १ई * *ांग्रज्ञ cय नकण क्रिब्रॉब्र वेिषांन कांtझ, cणऎ नकण विषनाश्गर फालोइन करिम पञ्चाश्न रङ्ग रे । नाप्य ¢रणरूण कर्ष निश्*ि श्रेशtद, चांशज मांब फसt?