স্কৃষ্ণু • बणि८ङ हद्र । ऋषि मांcजहे वणिग्रl थtएकन, ‘बाब्र१ इखि न झङ्कर ७' अञ्च) कोइोcकe मोहब्रम अ। ७९९ क्लिनि मि८छ ७ मरब्रन मl । यूङ्का मांप्य ८कांन वडङ्ग •नांर्ष मारे। डरब लैइँ भुङ्का भक कोशब्र सेनब्र फे•isब्रिज्र श्हेब्र वाष्क ? उtव किक्रन पछेनाब छ"ब्र वृङ्गा लएचब्र बादशब्र रहेइ थाएक ? ठाशाब्र विष* ५क जारणा5ना कब्रिब्रt cमष बाड़ेरु । कङक९गि फू१, काडे स ब्रच्छ, *ङ्गडि बबद्रद ७कण कब्रिब्र ७क्छौ अवश्यो (श्रृंशानि) निtt५ कब्रिप्ण, जण, बाग्नु ७ बृखिक। अश्झ१ कब्रिब्रा अछ ७को अक्ब्रयौ (शौनि) यज्रङ कब्रिtन, क्रिफि, जण ७ बैौछ uकद्ध शहेण, फांश श्हेष्ठ अबूब्र अश्विण, डांइ श्रेष्ठ *iष *iझबांमेिं छे९”iग्न श्ण, বলা হইল, বৃক্ষ জন্সিয়াছে। কিছুদিন পরে সে সকলের गरुण अ१ब्रक विष्ट्रिप्टे श्रेण, अर्थव cण गकण अवग्र८रुङ्ग गए.५% दिक्ष्वङ इहेग, बणl श्ग कि नt, शृंश् छ♛ श्हे ब्रांtइ, घt ५वश इहैब्रttछ् ५lद३ वृष्प भब्रिब्रा शिंद्रांप्इ · ५ीय८१ ७क दि८*षরূপে চিন্তা করিয়া দেখিলে দেখিতে পাওয়া যায় যে, কিরূপ पछेमांद्र से”ब आमब्रां छद्म, श्वश्ग ७ मृडू नक वादशद्र कब्रिब्र থাকি । অৰয়বের শৈখিলা, বিকার, অথবা সংযোগধ্বংস, ই হার উপরই উহা ৰশ্বিন্ধত হইয়াছিল । বাস্তবিক পক্ষে তাছী ইলে এক্ষণে উছা নির্জীব পদার্থ হইতে সজীব পদার্থের উপর উঠাইয়ু জানিলে বুঝিতে পারা যাইবে, জীবন্ত পদার্থের মরণ কি ? জন্ম মরণ আর কিছুই নহে, অৰয়বের অপুৰ্ব্ব সংধোগভাব জন্ম এবং তাহার বিয়োগভাব মৃত্যু । মরণ ও আত্যপ্তিক ৰিস্থতি একই কথা, যে কারণাবলী জীবকে দেহে আবদ্ধ রাখিয়াছিল, সেই কারণসমূহ বা সংযোগৰিশেষ বিনষ্ট হইলে অভ্যস্ত বিস্মরণ বা মহাবিস্মরণ नामक वृङ्गा श् । श्रृङ्क रहेप्ण cमशमग्न भन्न अकाब्र ৰিকার উপস্থিত হয়। অতএব অবয়ব সকলের অপুৰ্ব্ব गशrया८भन्त्र नाभ छद्म ७द१ विध्व्रा'बि८°tबग्न नाम श्रृङ्ख्या । थश्रवृङ्काद्र गऋ१ हेशहे अवशब्रिड रछ । “अशूलैমেছেজিয়াদিসংঘাতবিশেষেণ সংযোগশ্চ বিয়োগশ্চ - বাছার अवब्रक अाप्झ, ठाशब्र३ मृङ्क, श्हेब्र थाप्रु, याशब्र अबब्रन ' नाइँ, ठाशइ शृङ्ख ७ नाहे । आफ्ना निब्रदब्रद, ७हे अन्न তাহার জন্ম মৃত্যু কিছুই নাই। নিতান্ত স্বশ্ব ও নিরবয়ব हेब्रिइभt५ब्र७ वृङ्क माहे । . भाच्च बtब्र न, ऐविद्र नtब्र नl, oहे गिकांढ शनि गडा হয়, তাছা হইলে "অমুক মরিয়াছে’ ‘আমি মরিব এরূপ না ৰলিৰ দেহ মরিয়াছে, দেহ মৰিৰে এইরূপ বলাই উচিত, ৰিৰ ৰৈ,কেৰই তো লেঙ্কণ ৰগে না, ন বলিৰাম কারণ [ ৩৫১ ] মৃত্যু ক্ষত্ৰন্ত্ৰে - कि ! ७रूप्ले डि कझिरणई हेश्ान्न कोब्र१ निवौख श्झ । • cगtएक ७हे मृथ्रमाम ग१षारकच्च श्रर्षी९ ८गए, देखिन्न, ७at१, बन ७हे गकरणग्न नयिणनडाष्वङ्ग क्जिt* जभ; कब्रिग्राहे शृङ्गा नच eथरबांभ कद्विब्र! शांटक । किड़ oथ**नtट्वांरशब्र क्षश्गरे फेख नएचब्र थषांन जन्ना । अt१शानाद्र निवृद्धि बा श्हेप्ण अछ नक्रकब्र निर्ूखि श्इ न । बौवन ७ मब्र१ वा वृङ्का और ७ भू षाडू रहेrडहे निशघ्र श्हेब्राप्छ्, हेश्ाग्न थाङद अर्थ •१ोप्णाझन। कब्रिप्ण फेख चर्थहे ●धउँौठि श्ञ, औद थांडूव्र अषं यांभषान्न१ ७वt यू षाडूब जर्ष eया५ गबिज्राश्न, श्डब्रा बूक्ष बाहेरफtइ cष, ७यान श्डचण cशप्रक्षिब्रणश्षाप्ड विणिज्र थाएक, उच्चश्वरे फाशब्र औक्म, ५११ फांशां★ दिएब्रुन हे शृङ्गा । श्रफबां५ वणिtष्ठ इ३८ष, मब्रt१ च्याँझांडू विमां★ ह्छ मl । ८ण८हब्र महिङ ठाइब्र विप्झन श्इ भाल्ल । अमि मणिाभ ७ अशूक मब्रिण ७ जरुल श्रृंtशम्र अर्थ 8१5iब्रिक । अग्रांब्र अषjांज थांकां८ङहे cमशनि ग१शांज्र अह१७rखाङ्गशंबj श्ञ ५बt cगहें कांग्नt१ cनएँ cनई oधकारग्नब्र सै”sाग्निरु trtब्रtर्ण इदेब्र। ५ां८क । क्रूि ७धt१ण१ध्याप्शद्ध क्ष१णइँ पृथार्थ मग्न५ । [ अग्रण भक ८नथ ] बांशtबग्न गृङ्गा अवशखांधी-फाशtनग्न निtप्रांस णक्र१गभूह डेनश्ठि श्ब्र, झे गफ्ण गभ१ *ब्रिगृहे शहेtण, ठांश ब्र चाङ्ग किङ्गुष्ठ३ ब्रक नाहे। श्यएरु श्रृङ्कङ्ग श्रृीगण५ ७हे রূপ ৰর্ণিত হইয়াছে,— श्रृौgब्रम्न ८ष अत्र वछोयछ: cय ७ोकाच्न झ्हेब्र! थोप्रु, তাছার অন্যথা হইলে মৃত্যুর লক্ষণ বলা যায়। যথা গুরুবর্ণের কৃষ্ণতা, কৃষ্ণবর্ণের শুক্লন্ত, রক্ত প্রভৃতি বর্ণের অন্স প্রকায় বর্ণ হওয়া, স্থিল্পের অস্থিরতা, অস্থিরের স্থিরতা, স্কুলের কৃশতা, কুশের স্থূলতা, ধীর্থের হ্রস্বত্ব বা হ্রাস্বর দীর্ঘত, অথবা কোন অঙ্গ হঠাৎ শীতল, উষ্ণ, স্নিগ্ধ, রুক্ষ, বিবর্ণ বা অবসর হওয়া, শরীরের সম্বন্ধে এই সকল প্রকার ঘটনাকে স্বভাবের বিপরীত वणा एाग्न । **ौtब्रङ्ग ¢कॉन अक्रमः'शंभ इहेtऊ अश्रचणिद्ध, উৎক্ষিপ্ত, অৰক্ষিগু, পত্তিত, নির্গত, অন্তর্গত, গুরু ৰ লঘু হওয়া ও স্বভাবের বিপরীত ।
- न्नैौ८ब्र अकशां९ थराiशय°{वि*िटे यान्न ( ठीक 5 क। দাগ) বিশেষ জন্মান, ললাটের শিল্পী সকল দৃষ্ট হওয়া, মালাদ৩ে পিড়ক উৎপত্তি, প্রভাতকালে ললাটে ঘৰ্ম্মনিঃসরণ, মেরোগ না থাকিলেও অশ্রধারাপতন, মস্তকে গোময়-চুর্ণের জ্ঞার ধুলিझ¥न अक्षय भराप्क कt"ोठ कक्ष aफूरुि गर्भोग्न गठम, cछाअन মা করিলেও মলমুরের বৃদ্ধি বা ভোজন কৰিলে মলমূত্রের ' जडार, एनर्ण षरा व वनrरण cवयन, कुन चप्लब
κΥ *