স্বাস্ত্ৰ। दिनाथ, चईबाषा, भषा, पूनर्संध्र ७ भूलैंबिाक्लो नक्छ; पनि***ीरहनकरी, वनरी, अंबावज ० भूनिंबा डि,ि ५१ः cधाीि, श्षा ७ क्षनिक्कै बक्रज श्हेप्ण छाभूडप्याण श्द्र । এই ৰোগে ধাত্রা করিলে অচিরে সকল জাভলাধ পূর্ণ হয় । दांब्र, छिथि ७ नक्छ aहे ठिप्नग्न cयtcर्भ दाँशज अथूडद९ इङ, 4हे अछ हेशंद्र मॉम बाभूड¢षणिं श्हे अॅरिझ् । এক একটা মাসের এক একটী তিথি বিশেষ নিশিত, cनहे छिषिtऊ वांछ कब्रिtङ मारें । $ नंकण किर्षिtस बैंान 曹電 亨電歌1 “डौिब्रा मौनश्छ्रशा-कफूौं बुर्षकूख्र्रब्राः । মেঘকর্কটমোঃ বঙ্গ কঙ্কা মিথুনকেইষ্টমী। দশমী বুশ্চিকে লিংৰে দ্বাদশী মকরে তুলে ৷ মেষে দিনেশে স্বযুগে ধতুস্থে যুকে মৃগেঞ্জে ক’লে চ শুক্ল কুলীয়কস্তালিমৃগ মীন-বুষেধু কৃষ্ণাস্তিখগ্নঃ এদণ্ডাঃ ॥ এভিৰ্যাতে ন জীৰেন্ত যদি শ38সমে। তবেৎ । दियाएश् विषय। मात्रौं शाजाद्राश् भब्रपिश् किवप्र !” (नौणिक) বৈশাখ মাসের শুক্লপক্ষের বলি, আধাঢ়ের শুক্লাষ্টমী, জ্ঞান্দ্রের শুক্লাদশমী, কাচিকেয় শুক্লাম্বাদশী, পোষের গুরুপদ্বিতীয়া, शड:र्क শুক্ল চতুর্থী, প্রাধণের কৃষ্ণ যষ্ঠ, মাখিলের কৃষ্ণাষ্টমী, অগ্রহায়ণের কৃষ্ণাদশমী, মাঘের কৃষ্ণান্ধাদশী, চৈত্রের কৃষ্ণদ্বিতীয়া, জ্যৈষ্ঠেয় কৃষ্ণাচতুর্থী, এই সকল ডিধিতে কদাপি যাত্রা कब्रिटङ नाहे, शनि हेछछूर्णा बाडि७ हेशाङ दाका कzब्र, फांश इड्रेटनस ठोठfद्र भुक्ल श्छ । বাত্রায় কেবলমাত্র ভিখিয় ফল এইরূপ অভিহিত হুইয়াছে। কৃষ্ণ প্রতিপদে যাত্রা করিঙ্গে কার্বসিদ্ধি, শুক্লাপ্রতিপদে चलङ, दिउँोक्राङ्ग शाखा छछ, फूठीव्रात्ड दाजा कब्रिट्ण विजङ्ग, झ्जुशैंप्ठ क्ष, वक्रम संc....•ाकोत्ठ अंडौंडे गाड, बछैय्ङ बाषि, नखऔरड अर्थशांड, थ*शैtड अञ्जनैौफ़ा, नवभैौष्ठ ड्रविणाड, ७काननैरठ चtब्रानिडी, बाजनैtठ ज७७, जरद्राDBBB BBBBBS DDDS DDDB S BBBDD DD कब्रिट्ण खत्त छ इश्ब्रा थाटक । SDHHDB BBBBBB BD DDDS BBBBS BBBS कrणाम5खn riठिwiखिथिर्षी न नकधा जिदिक बैौ मियूखग ॥ छिडीब्राब्रt१ छछ: ং জঙ্গী ভৰেং । ৰখৰন্ধনসংক্লেশশ্চকুর্থাং সন্নি সংশয়ঃ ॥ चक बाबौणिङॉर्थः छा९ क♚t**'काथिबूल छ८३९ ।। भधयामर्थशाड: जायडवानञ्चनैकम*** अक्बाॉ५ वृङ्गtrवांनाध भलकर कपछिब ।। शचेयाः कुबिनाछ: छरिकाकडॉक्टझाँक्रडा ॥ XV እግtm { తత తీ 1 -- খায়। दानछांॐ म जरूबा६ #ननिरु #tlाघ्रंगै । 5ंीरं **ंशt* श्रोषमं बि८षर्थं९ ॥“ ( comङिखरंa) एबकि डोब॥ जेरँौ९ अङ्गिाँदडौवाब्र दाजी कfacख माहे, हेशरडं बाजा कैfatण वृङ्गां श्धा पाएरी । १ार्जार्काएण ७ड इहैवtग्न अछ नषिभेण णfणि मजल अtषrब्र कN#अ, आ५११, **न ७ ম্পর্শনে পর পর সমধিক ফল ছদ, অখং কীৰ্ত্তন হুইণ্ডে প্রখণে अंषिक कM, थ११ ईईएर्ड नलtभ अषिक 6 ब*म इंश्रज *t{ चान्न ७ मक्षिक कडा छiमिtव । नषि, इड, चूक, भाड*डgण, शूर्नकूख, निक जब्र, cचङ नर्दन, छन्जन, न*५, भण्ध, मt१न, भ९छ, चूंखिक, cनारब्रiछंम, cभाभंत्र, cभाषूनिं, cर्नवभूरुिं, बैोना, कण, कजानम, गूण, जखम, अगकाम्न, अंज, जाएंज, दान, अँtनन, नब्रायं, क्वज, झग, दjबम्, बल्ल, *ग्र, फूनां ब्र, यजगिङ अग्नि, इर्खौ, शन, कूल, कामब्र, ब्र', शब*, काश', खiश्च, ब्रेण’, ‘cभष, बैष५, म७ ७ नूज्ङञ १न्नब BD DDD DD DDDDBB DD DSLLLSD DDD D LLL D DD हरें ब्रां ॐॉरक ! - বাত্রাঙ্কালে নৃত্যগীত ও বেদধ্বনি বিশেধ প্রশস্ত। ৰাজাকালে पनि काम बाडि नूछ कणनी गहेब्रा नषिरकब्र गश्डि शबम कप्न, यक् कणनौ भूर्व कब्रिब्रा झै बाखि आठााभमम कप्द्र, फुश्; झडेरब्न आर्थिक७ क्लक कार्शा हई ब्रो निर्षिtप्न ििब्रन्न। संitक । জঙ্গার, স্তন্ম, কাঠ, রক্ত, কর্দম, খইল, কার্পাস, তুষ, अकि, वि♚ां, धर्णिम बाङि, cणौह, श्रीब*ना ब्रानि, क्लकथांछ, . গ্ৰপ্তর, কেশ, সর্প, তৈল, গুড়, চপ, ৰস, পুততাও, লবণ, তৃণ, তক্র, শৃঙ্খল, বৃষ্টি ও বায়ু এই সকল ধাত্রীকালে প্রশস্ত मtइ'। वॉणाशकारण ५हें नकल अशा प्रलम कब्रिtणं ज४९छ झके ग्रं थांtक । शभि वांबाँ कब्रिहौं शांनf८ब्रॉइल-काrण *ीन. वणम है, अंर्ष६ दधम *णाब्रम कtब्र, किचं बहिfभमकाँtण पाट#*अडिपेंड इग्न, फाँश शहrण अंजनकडी♛ dवैइtिन विज्ञ हहैं★ाँ थाँटक । बथिवैब्रिषूक, माéाब्र नक, कूcपद्र *ब्र°ब्र विदाम, ७हे नकडॉ दाखीं कीcण'भर्णम कब्रिtण'cनई पाणबtिपर्छ' मनःकडे" इह, uरैक्रभणप*ििभप्रेम कब्रां विtथग्रनtए। रांजौंकारण cधार्षण भक म रोनिक्षा ८कषर्ण अष भनूँम श्रेरण cनरें दाँझोप्क शीकf4) निरुिं हr। किरू शृश्लथcवलकftण नब*** हऐtण मृड्रा जथवा बदरtबांग द । दाबr कीरंग भ४षकविरङ कब्रिएड किकेि९ छज बर्मि'ह*ां९**ाँचtथलं★4 इव, काँही एरेtन चडीडे कारी निस्यि झल्न । अवनकथ्ण प¥िजछि त्रच*; छ*यख७ esऑगावाबैो ७ वधूबडारी भूकंव किrदा मात्रैोजननदष्; छोश दऐश्न कार्ग
পাতা:বিশ্বকোষ পঞ্চদশ খণ্ড.djvu/৬৮৯
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