পাতা:ভারতী ১৩১৮.djvu/৭০২

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৩eশ বর্ষ, সপ্তম সংখ্যা । , মাণিকলাল নিঃশব্দে তৃপ্তিাদের উঠাইল । उीव्रणब्र cङषनि नि:*८क निtज७ णté हप्ख शंक्रिक्वप्न बाँोत्र प्कि गिब গেল ! भूहू८éब्र मcषा cग५itन ७क छूबूण কোলাহল উঠিল! শুধু চীৎকার, আর লাঠির श्रृंक्र ! কয়েক विनिंt** मtश डारूप्डद्र দল, বেগতিক জেগিয়া, স্বশিক্ষিত সৈঙ্গের রায় সরিয়া পড়িল ! रूिढ डेछद्र ऋणब शाठिंब्रांtन ड५न नश्sाभ বাধিল । যাদবেশ্বর ভাবিলেন –মাণিকলালেরই ७ कठिं । डिनेि ८महे आt८ला कतिब्रण 2ात्र८मृत्र (८र्ष शैक्लिाहेब्र शब्ब१ ऊं:द्धछिठक(% उँइ:ब्र णादिांगविभ८क डे९नाइ मिष्ठ शागि:बन। cगहे ऊंरख्छनाएकाणाश्रण मार्मिकगाग ७बः डाहाब्र क्tणद्र कथा भू:छ विहीन श्हेtड गानिन । भा१िकलांग आग्नবক্ষা করিতে করিতে সহসা এক দারুণ লাঠির আঘাতে ভূশী হইয়া পড়িলেন। তখন সঙ্গ যেন সঙ্গলের নেশা ছুটির গেল— 《邻臀也

बूइटर्ड शां*िब्रांण११ छछिठ इहेश मैंड़िाहेण,भांजिंकणांtणब्र मण हांइ हjग्न कब्रिब्र रॉाधिग्रां कहिल-“बांबूझनब्र ८ष श्रांबां८मग्न मिcष्ट्र এখানে এল, ডাকাতের জাত থেকে ভোদের दैist८ड-जांब्र cडांब्र! किञां डां८कहे भांब्रणि !” बांम८वर्षम छ*न नव दूविt:णन,-मांभिंकणttणब्र कांtछ् दनिश्च कांठब्रकté उiकिtशन মাণিক- 驗 भां*िक बणिण-मांक|बीडt८क छीविड cमश्रिध्र श्tभcवप्रंब्र क्रूछ নিশ্বাস ত্যাগ করিয়া কম্পিতবক্ষের মধ্যে তাহাকে টানিয়া লইলেন,—অশ্ৰুরুদ্ধ কণ্ঠে কহিলেন-মাপ কর ভাই, মাপ কর । बार्षिकगाण काङब्र वृद्धेिप्ड डाशब्र निएक 5ाश्ञ्चिां कश्गि---**ांग्रl-Käätब-श्रांछ «q विछब्रांब्र बिणन ।’ वणि८ठ वणि८ङ बांडांझ ञांजिब्रन बtशा সে মুছিত, নীরব হইয়া পড়িল ! এইরূপে बाक्लश्रद्रव्र वि८ब्रांश-अन्छ दिछब्रॉब्र निtन ७ई শোক ঘটনায় চির মিলনে পৰ্য্যৰসিত হইল । C3 | ওয়ে প্রেম ওৰে সঙ্গোপন, *****ब्र छ:ण cकtषाब्र जाहिण फ़'tण °खि मारक बूस्रोब्र भडन प्रबिtजब जानांठौड १न ! ७ङ गtभं इनड निरबtष *****र्भ इफ़ि चाठिब्र बवृड वाग्नि আশীয় সমুদ্রে পড় এলে অতুলন সৌন্দর্ঘ্যের বেশে । विषं बांटरु द्धिर्मिtदग्न जांझॐां*** नांथञांब cष cडttब्र भूछिइ नांङ्ग অভলের তল মিলে বান্ধ-- अर्द्धी छनृा नtर्षक ठfशंद्र ! , ॐौशिष्ट्रसूनां (नरौौ ।