७५५ ,ि जर्श्वेष ग१५T। । अल्लक्र१ *८ब्र कूर्च्छcब्रब्र बांब्र छैtग्रांकन कब्रिञ्चl छिद् शौtब शैrब्र वांश्ब्रि श्ब्रl cशन । उांशब अक्ञ्चक औ१ इहे८ङ किौ•उब्र श्हेब्र क्ल:म बांडtरण भिलाहेब्रl cशरण, डांशंब्र भाडl ५lरूछि लीं निशंश उitशं कत्रिश्च।। ८5झॉंवत्र १if॥ ঢলিয়া পড়িল । সেই নিশ্বাসের সঙ্গে যেন তাড়ার সমস্ত আকাঙ্ক্ষা সে বিসর্জন দিল। ডিকের পদশষ্কের সঙ্গে সঙ্গে যেম এ জগতের भझिङ उहाँब्र गरुण वकन झिझ इश्लेब्र csण । निtछन्न छछ ८कtन उद्र, cरूiन उॉबना श्राब्र তাছার রছিল না, সে সম্পূর্ণ নির্লিপ্ত হইয়া মৃত্যুর প্রতীক্ষা করিতে লাগিল। 穆 擎 尊 प्टेम् 8 छानि क्षन श्रृं८श् धज्राशयन रुब्रिका, उ१न ब्रांखि १ॉडौब्र । छेम अडिग्निद्ध अश्रुश्रृंtन कविब्रांछ्त्रि, गुरङब्रां९ डांझtब्र ८मछछि बड़हे ग्रन्क्र झहेब्राहिण । शृंह थcब* कब्रिग्र १jझ् अझ कांब cमथिब्रl cन कौ९कांद्र कब्रिग्न फेलि,-cवजीब्र श्रककtब्र ! बाहिरब्र बाहेबांब्र পূৰ্ব্বে বান্তিতে একটু বেণী তেল দিয়া গেলে কি দোষ হুইত ?” স্তান্সি বলিল,—“চুপ-চুপ আস্তে কথা বল, একটা দিয়tশালাই জাও এখনই २डि शब्राहेब्र! लिए।उहि ।” बाडि डेञ्जण इहेब्र डेठिं८ठहे जाान्निब्र দৃষ্টি চেয়ারোপবিষ্ট বৃদ্ধার উপয় পড়িল, সে একটু দুঃখিতভাবে বলিল,— "अtश ! मारक .विहांनाञ्च क्ब्रि शाहेरड ইলিয়া গিয়াছিলাম, বেচারী সেই অবধি চেম্বাবে বসিয়া আছে।”
- १** श्दूह९ शहे छूनिद्रा वणिज, *** Stरू विहांनाब,-डांबनब्र जांभारक
5ब्रन-जकिंड शम । kbre किङ्ग थाहेrछ मां७ । कांण गरूizणहे फणिब्रां बांहेष्ठ एहेcण हांtठ अtनक कांछ स्त्रीदृछ् ॥* ठूक झहै हरछ वरक्र 5ोनिबl थब्रिब्रां निथिङ हहेंब्रां श्रृंक्लिब्रां८छ् । ठांझांब्र कtझ छ्छां★१ि कब्रिम्नां अट्-क्रjक्लड cकांभलश्टब्र नाiन्नि বলিল,—
- म ! ७á-उहेtउ शाहे८ष कण । श्रृंब्रক্ষণেই সপাছতের স্থায় চমকিত হইয়। বলিয়া উঠিল,—“টম্–টম্। এ যে মৃতদেহ ।”
টম্ নিকটে আলিয়া মাতার স্থির মুখের প্রতি চাছিল। একি ! মুখে বাৰ্দ্ধক্যের চিন্তু সব মিলাইয়া গিয়া একটি শান্ত সৌন্দর্য্য कृछिद्रा खैर्टिब्रां८छ् ॥ ७ यूष cष श्रांननडब्रा ! छैम बणिल,-नाiकिन ! यांह झग्न खांशब्र खनाझे इग्न । ७षन श्रांब्र ७झे श्रर्ष बांभांग्र छूौ कक्रिड श्:व न, Gशं ५१न नाiब्रख्: जांभांब्रहे । श्रांभिहे उांशं ब्र ठेख्द्रांश्रुिकtद्रौ ।” छेम शृंझ् *ाब्र झहेब्रा घक्लिब्र निरक अ3नष हर्हेण । गश्ग यूङ्काम्न निखकड उत्र कब्रिम्न उँौष१ চীৎকার ধ্বনি উখিত হইল,—ন্যান্সি— ন্যান্সি—সৰ্ব্বনাশ হইয়াছে সমস্ত অর্থ চুরী *िंi८च् ॥* "চুরী ?” ন্যান্সি বলিল,—“চুরী ! তবেই टैिक झहेब्रt८छ् ! cछांब cनषिब्रां ङग्न *ाहेब्राहे ७श्। श्हेप्ण मोच्च शृङ्का हरेबाप्छ ।” श्राभैो८ङ স্ত্রীতে মিলিয় অর্থের জন্য বিলাপ করিতে লাগিল। কিন্তু সেই অর্থের বাস্তব সংবাদ नर्विहांन ७ गर्फकtrणब्र छांऑ९ अखर्षीtबौ প্রহরী ও একটি প্রাণভরে তীত পলাতক • छांगांभैौ छिद्र ८कहहे अॉनेिण नt ।