পাতা:ম্যাকবেথ-নাটক.djvu/২৭

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*क्षभ मृथा। ইনভারনেস ম্যাকবেথের দুর্গের কক্ষ। ( পৰন্থকে লেডী ম্যাকৃষেণের প্রবেশ ) cण-याकू । (भज*ां* ) ‘७हे अमृणांtछद्र भिनहे चांश्ि তাহাজের লেখা পাই এবং বিস্তু স্বত্রে অবগত হ’লেম, তাহার মানবাতীত শক্তিসম্পন্ন। যখন আমার অধিক জানিবার জন্য eवग छूक छग्रिण, ठ१न cशन श७द्राग्न नद्रौग्न शंsप्रांप्न भिशाझेशी ५भग ; अमि दिब्रु गश् ! कन गया ब्रांबांब निकः इहरू भूठ चांगिग्नां मायांtरू ‘कमङ्ग-भडि' दगिब्र गडावन कब्रिल । ঐ বিকট ভগিনীজ, আমাকে পূর্কে ঐ নামে সম্বোধন করিয়াश्णि थदः खारॊ ब्राजा बगिब्रा थछिदामब कtद्र । कूमि श्रामाद्र ऎक्लभंtiङ्ग भनिनैौ, cठांभांग्न ७ ग५षांम न मिग्र निकिख ह३८उ পরিলাম মা। আমার আনন্সে তোমার যে অংশ, তাহাতে cश्न फूबि न बडि श्७ । आयाङ्ग भक्-टूक्लिष्ठ cडाबाख्न सिक्दू,ि छूविs थाशन शक् अवश्रउ र७ ५दर छविया९-दांगैरङ डूषि cय नम् चर्षिकांब्रिमै, ®रै गाङ्ग tउीयांश छांनाहेणाभ । निछ त्ररु:कब्रt* এ কথা গোপন স্থাধিৰে। ইতি— प्रामिन कनङ्ग-छि श्tब्रह ७धन, ह'tब *tङ्ग तtनह भी उशिषा९ षोमै ; किरु छब्रि जांबि वङॉर cऊायांब्र, श्रृंग्निभूर्भ शिाचांगांरह कबूगष कब्र चयप्रणा। • फेकभक हैह उद, फेफ़ जांच नश् छ दिशैन ? কিন্তু মি পাপে সাধিৰাৱে চাৰ প্রয়োজন।