পাতা:রামায়ণ - লঙ্কাকাণ্ড (গঙ্গাগোবিন্দ ভট্টাচার্য্য).pdf/৩৬৭

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&tы fm 1 Ι এবং বিভ্রাবসানে বুভুক্ষিত হইয় মুখ বাজাৰ পূৰ্ব্বঞ্চ eवगौ* *ांवरकद्र नाब्र देकरङच विकङ्ग१ e धजनकनक चदनौनांकाय उत्रन कब्रिटठ वांकि८व । शरै बनिब्रा निष्ठांगह छ६क८ब cगौमांगनषन कब्रिtतन । স্বাৰ্য্য। ঐ সেই ব্ৰহ্মশাপগ্ৰস্ত বীর কুম্ভকৰ্ণ, সম্প্রতি नञ्चानन कर्पुक वा वाषिङ इरेग्ना जङ्गडगहन बौद्र नििविज्ञ হইতে বহির্গমন করিতেছে। প্রতো। আমাদের বানরী cनना फेश८क cनचिद्रादे ७ठ खे८कf%ष्ठ श्ब्रांप्इ ; शरैराठs *iांtत्र, कांब्रन प्लेशांक निदांब्रन कब्र। बांनाब्रज गांधा नम्र । घठयव चां★नि uकान बांनब्रनिरभद्र निकले हेशझे दाख कक्रम ; cव खेश चाब्र किङ्क३ न८श्, नभत्रैौम८था cद फेब्रङ ७कब्र° cनविट्ठइ, डेश ब्राश्रजी माझांगडूऊ 4कनै गमूबउ वठ्द्रमांद्ध । ध८छ 1 ठांश ऋश्रल इग्नड वांनाव्रब्रां गर्विध1 নির্ভর ও পূর্ববহু প্রকৃতিস্থ হইয়া অৰস্থান কfরবে। कथन बिक्रक्रन ब्रांग बिनौठ बिजौबटलद्र ठानृ*ौ c६ङ्कअर्ड কথা কর্ণগোচর করিয়া কপিকুলকে তত্তৎ কথায় আশ্বস্ত করলেন এবং সেনাপতি নীলকে সম্বোধৰ পূৰ্ব্বক কছিলেন ; কপিবর। তবে এক্ষণে ভূমি যথাবিধি বুছে বিন্যাস ५वर्षक भूर्लव८ नक्राद्र “कर्दचाब्र निळाषार्थ निबूङ रुe, चाँव्र इश्६ इश्६*ाक्र्दछनून, जय, विकन्म eनिनां५७ न६«यक् कब्रिग्ना श्र°ब्रtनव्र =ांथावृणब्र। निर्बन्न cछांमाव्र गबैौcन् चनबन्हन कक्नक ॥ , थरे पनिग्ना बाग दिव्रउ रहन, नैौछिकूणन बौन छनौब्र