পাতা:রামায়ণ - লঙ্কাকাণ্ড (গঙ্গাগোবিন্দ ভট্টাচার্য্য).pdf/৬১০

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o πτίτι" ! ηgr, झ" उब्रांवर करैग़i८झ, ठाकt८ङ ८ष५ रा, ब्रांब नभवन ইছাকে দেখিলেই সাত্তিশয় ভয়াকুল ও ৰাধিত হইয়া র৭ে कण बिग्नl fम*कग्नई *ालtग्नन कfद्रtप । यtद्र ८कन३ वा चैौङ्ग লা হইলে ; রণাঙ্গণে ইহার বিদূৰত মারক বিশfক্ত নেয়ে ও भङ्कना चौद्रम*f निशैकर्न कब्रिtन, भट्नान कथा मूएन থাকুক, লোকপালেরাও যখন সম্মুখে তিষ্ঠিতে ম| পারিশ ক্ষয়ে পরাজয় স্বীকার করেন, তখন লামান্য মসুযোগ কথা উল্লেখ করাই অনুপস্থিত প্রগঙ্গ। এই রাঙ্গসাধিপতি ब्रान" नाङ्बrन म६अिप्रंग छंग्न कब्रिम्न] बिछझण"कौद्र जङ्ङि जि८नाटकद्र वावडीव्र द्रङ्गज्ञांड चारुद्रन गूक्तक सेनcनाग করিতেছেন। রুশবিক্রম ও বীরত্বের বিষয় তুলনা করলে ८षtव शग्र छर्भ टौफ८न हेईाज्ञ डूना यांग्न ८क शंदे नाहे । প্রভুপ রায়ণ সচিবের। এই রূপে মান কথায় প্রঙ্কুর +ो६ग] कब्रिटङ कब्रिLक ठ|ठ्ठान्न मभू मगम कृ"ब्रLङ न1त्रिन । এদিকে ক্ৰোধাকুল রাবণ সমবেগে সেই অশোৰ বন-বালিলী प्रनौन अनकfम्न नtद्र चङियूएनं य3नग्न इ३८ङ छा*ि*ा । gS DDD DDD BBB BDDSttS BBB BBB BB DDS লtয় হইতে তাহকে পুণঃ পুনঃ নিপায়ণ করিতে লাগিল ; किक्ष झुर्वास्त्र काश्I८ङ क+ोङe ना कfब्रद्रा, झ्ञ°ाईौ ; cबादि*ौद्र धकि ¢षगन कब्रॉल ब्राइअं * 4वॉपिक श्ब्र, काक° जगन्नरे भ*ांगद्र ह३८ऊ नfणिन । ५थाcन भ.नंIकतन-वांनिनी, *डिविद्रष्टश् ८बम फेवानेिमौ ब्रोक्रनौ !"-द्रक्रिकु| वनोना नौड़ा पूोन वृनुन विका“मण

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