গালিকা-নেজী w * कमांक १ गवरक विगर्दष्ट कxवक्र ब। इछद्रां गदांखिका नेिकके चावड़ा बिंइछदे पांवा दकेिच । गवांथ ५ गिांtष थाबराक बिकके कथंबई भाषा हरेरकन अ ! cणषकइ मेिक? नबोtबढ़ जङऋनं कांशाउ अtश्व ; किक ऐश कांग ७ **ौक-जांtनच । भ*** जीवद्र ७कथाबि बॉनिक *बिक यहांइ कहिtछ छेड़छ हरेंat दांशtछ श्रृंt¢कनंtवंइ दिल्लङि च *४क्षब भी इड, aविषtइ कोौ इहेtटहि* चावइ ५ङ्गनं जघैौकांद्र व अञांनी कवि मां, ८द जाबाrरङ्ग ऐङि बिइडरे चांश्याश्रूद्र हरेरक । क्रुि जांधाrश्इ छद्रन ुरै, चाषारङ्गझ बिा, बाब ७ मौलिङ्गं चणि॥१ झट्ठिं हश्म स्नुिषं इहेक् म । आश्व्वा दारु/छिाण शिक्ष छ सोह्रौं ििक९नाइ अष्ट्रक ब्र१ कब्रिष। जाशरश्ब्र «मचरक मांब इन थांकिtष, देश कथम श्, अश्च लिखे, श्न शशt॥ शान्तःि । जक्षयः॥ लशt॥ षषूङ्ग ॰। इख्७ि इहेरु नाप्द्र। किच्च जायग्न गर्थात ७ कृतिक भषा ditन गंधम ¢गtकtण ४सtछ* डाइ काँ* अकॉर्न क*ि* भी ! थांयांtष्टङ्ग रागमा ७हे, दाशी ¢क्षं, कांग ४ भांtबद्ध चदिगदाशै, ठशहे यल्लाड़ कब्लिक् । वृङिसिtभंtश्ड़ व जस्थशाङ्ग-दिानtरङ्ग नंक्र नमर्दन दीं थeन कब्र अग्रिांटकद्ध ऐकञ्च मइ । किक क्षम वञ्चिবিশেষের বা সম্প্রদায়ুৰিশেষের কার্ধ্য সমাজকে স্পর্শ করিখে তখন यूकछार जरनषम कवि मा । ¢कांब ब्राजनूनश्द्र कूरणी वा ४१iष्ट्रकाश किंवा ब्रांश्चTHानज नन्नकैौद्र कृजिक विशtइब्र नषांtणांछम ** *tद्ध ऋाम •ाहेश्वक माँ । किक झाबऔङिङ्ग ॐब्रष्टि की चबरौनष्ठांब्र दर्नर्मश्रण चटौउ पोनाइ छाइ बर्डशन दृीाउ७ क्लूिरु श्रेरक। cकोब नश्वानैद्र नात्र चाधारकग्न थठिश्वविठी भाँहै, ठरव शक् िमठरलक पर, नक्बिरा, जरूभाई ७ ~डेलिशtन वाङ कतिरछ नब्बाकूव हऐव बl *
পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২০
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।