পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২০২

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हजकूण *क्लिनl tतव ॥“देशब किङ्ग भूर्क इहेडरे ऐबनाक्छcगहे हैं। ***निक गबिकाँहेइ चांद्र दारिद्र झछ म*~वकरे श्रेष्ठ निशांtइ । ७थब dरे इक्रूह नगरस्य ऋश् िबनेिक देखनाथङ्ग बनवम्न ‘नकामन्द' 'क्क्दांगौरफ कांश्इि कझिड *ांब पाइ, छांशं हरेरल ‘दवषागैौ'इ थाइग्न aकिनग्नि झह कश्ञिा यांझिब वाहेर, uरे फ्रांबिब cषांरभक्षकख ॐ श्वृकब्र थांबtछरे द*बारब निग्रा हेअबांद्रषद भद्ध१iनङ्ग इश्रमम । श्ष्मश्७ि *श्वांश्* ििक्ष' शृबश् 'विांशॊ'ा विश्व शृश्नःि । HZBBD DH BBDDD DDD S DD DD SDDDBBB BBB S हेछबद्दिश्वढ़ नृचक हाँनिष्ठ इऎज {••• -- ‘वक्दांशैौद्ध ग्रंथम **ानन्द “शादवां★१” । फांक नक aधोदरे ‘दछयागैौ'rछ हेछमाहवह नक्षमक वॉश्ब्दि हरेष्ठ ॥“रेजबांथ यहकांज थछि'दक्दानौं'फ "श्ञष निषिद्देश्ञ। भाङ्ग वृथम दाईकाक्षङ ♛द९ छक्कब्र कर्षांख्रब्र शीशृङ थांकtब्र थछ **गनच लिंधिrफ পানিতেন মা, তখন মান জনে পঞ্চানৰ লিখিতেন। ইজনাখ মা পঞ্চানন্দ লিখিতেন না। - ऐक्ष्धारंबद्र ब्रशि किश्७निच्न झकी कालाइकश्कि खोजिको रिशश्।ि क्यो-कश अंबउ ऐuग्बौ अकांनकtनcवक्न-नारेम्बहि-नकनिष्ठ मूहिक श्रृंख्काग्नि फजिक श्रैरक श्रृंशैस । * . ? ! ऎवकृढ़े-कांशन् । >* अंद१ s२११ (३ow१०) । ।

        • काराद् वक्ञ आइक्व1 ** *कड़ लिहिण्५ ।। ঞ্জিঞ্জি লোকঃ। ”* - ~.

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