পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৪৬০

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बाशैश्यः ७ क्ष्णिा-मणि। भयैत्र कथाकमादद काँचाइक थर्थन } कॉन्न हॉक" cनदे कछ कञ्चिदक कश्चन ?-•• विथ चयनांथ aाइ ? भिषाक-थाकश्च थबकि अमजब्राणि, अश्ध किह१, *ालिबांtष, पिबक्रिछ क्रांच कrअपछ, बूद्ध छङ्गब्राविथिएछ सर्व-नि९श्ाजम । थध्छि ज्वर्ष ६मtक हृझैौण प्रिभत्र ৰাপিছে উপরে , बौद्दष्ट बाट्छि ब्रक्केि, झरि दृश् कलकरण वथ अशैब५, कश्चन प्रष*अर्द्रौ भक छब्रकिने, শোভিছে একটি জুৰি পশ্চিম গঙ্গণে, छभिद्रक्ष अकध छथि बfश्कै-औक८थ !••• पछ चाना इशकिनि ! cछायाञ्च बांद्यांश ब्रूड यांवरवञ्च बभ, बूक जिङ्गवथ ! झुण-बाबक्-क्रवाभथिt cडाथाछ कवि ण शथिल दिवि । ब्रfछ ! अहचव नश् िविज्ञाभिरछ पृथि पनि cन भथिाब्र : cत्राक, छ:थ, कक्ष, अिन, विधान-धनक, छिछाद्य चठिछ) चश्च, नॉनिक, अभिtw ששיfשזדה" ו ושחיtu cזיfהזהסף היc चकिéाडौं लमचरणकै दग्निच थांचाण , श्ां गांश्च चाश् झणि क्रिकं ।