পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৬০০

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भ१किन्नु औलमैौ * चछावन्नैौर चगशात्र शt«ा भव्डि हहेrनद्र ! उिनि चाकर्षौवनौष्ठ निषिदृtिझम :-- “श्रांश् िभक्षॆौ* ५fझेदाद्व छत्रू शाहक श्राग्न ¢काम कधी यूनिgडझे *ांब्रिजाभ ब! {-•-दड़ठ: भएरँौ८* $ाद्धिं द९मृद्ध दान DB BB DD DDBS BB BttttB BB BB DDDD পারিয়াছেন। শিক্ষ দূরে থাউক, স্বভাষের ভীষণত অধিক °द्रिभाg१ भूक्षि *:झेग्राz$ ! ५झै अकन गfद्र:५ भदधैौ• बा8दाद्भ दिशम् अकालाई अश्ड हडें । श्राष्ट्रि भिङरुरुरुरु९ रूप्ले हेरउ লাগিলাম।" DDD BB BBB BBBttBBB BBBBBB BBB BBB BBBB BB BB BBBB BB BS DDD DDBB DDD BBBB BBBB DDD DBBBB DD DBDSBBBB BB BBBD CBBDD জমিদারীতে চাকুরী করিতেন-চাধুরীর স্থান ছিল মুঙ্গেয় । এ বিষয়ে नर्देौबल्लक अम्लङ्गैौवनौष्ठ अिभिप्लांtछ्न : “বেণীবাৰু মুঙ্গের চট্টতে এইঙ্কণ বাটী আসিয়াছেন, পুনর্ধার मैजङ्गे ग*द्भिदाrश्न उभाग्न बाहेtगन । चाभाद्र श्रम ठेवइ श्रेण, ८रीबाबूद गएक् शुक्त शहेरउल्ले श्हेब्रु।“cक्केबार् भाशय क्ष। শুনিয়া আমার আশা পূর্ণ করিলেন.তিনি { মাত ] মূৰেৰেৰ शङ दाशकद शरब ८वनैदाबूद्र नदिराद्धरश्द ऋक्षा थाक-चाद DDB BDD DBB BDBS BD DBB BBBS BBDDH DBBB BDD DD DBB DDBB BBB DD BBB इहेरठश्व भारत ।“शङ्करददौ धानकाब नहिट जाशtक मूक्द नाiाहेrङ नइड इहेनन । चाश् िनिवृनिरू बिcन cवनैदाबूद नहिङ ३tद्ध कड़ैिलाश *