णऔझव भी गांश्व-गाश्चिा * ... as , ♛रे नवड श्रण प्राण आवश् दूरडीव्रा भनिव बक्रूि लाजेिण* डांशद्य चानिद्वारे वृषाक्tित्रज्ञ अडि छेनशन भाइच कश्नि, , जtष नाव पड़ शनिग्न पट्टे अफ्रेिञ्च tभल। ऐभक्षण जाक् िकिङ्करें बूकिtछ नlब्रिगाथ भी ; <रूपण चाइकtष शिश्च कद्विशांध kर, पूषाङ्ग #केिइ cभग ॥ *क्विाड़ कक्ष, वृचा प्रश्नं दांडाँ, क्क्रि पूबर्डौद्री ज्वाइ ध्झश्व अन, tनो हिम खान झारिन शदेणr७द्र 'केम 烹尊斯 इtश कँनशश c** श्रेण, मृण्ठाद्ध $रकांत्र भाड़क कईल ? मूबगै गुरूtग शङ षङ्गाक्षब्रि कब्रिव्र! अ६ध्वtइठि cद्रथः क्ढ़िान कद्भिश्चों कैफ़ाईल । ८कपिाठ वफ़ sष९कङ्ग हईल ? मकनकनिदे मध উচ্চ, সকলগুলিই পাথুরে কাল ; সকলেরই ক্ষনাঞ্চ দেৱ । সকলের সেই জমাকৃত ৰক্ষে জালির খুৰধুকি চজকিরণে এক t१ख्दtद्ध अनिद्रा जै*ि*ठtझ् ॥ थांबांच्च शकtणद्र भाषांङ्ग यमनूण, DBB BBBBH DD DDS DDDD DBB BBBS DBB BBBS BB BllHB BBDD DD BBB BDD DDDD করিতেছে। अश्रुथ बूवाद्ध हैfछाहेब्रt, बूदारशङ्घ अकांt७ श्रृंद्मक भरकjनग्नि शृकडी (tथ१ फ९नरब egहै भग्नावश्व ! कृकब्र हैशिड कfब्रtश , बूगीष्मद्र प्रtण नारण बांबिण, अबनि दूषकौरवद्र ¢क्रझ cवभ निइब्रिबt छैfन । बरि cज्ञएइब्र ८कांनाइल अंfरक, छट्रय मृनकैौrsब्र *नश् ८कोजाइन "क्लिब cश्रण, भरब्रहे ठांशंब्रः शृङ, जांद्रछ रृङ्गिणं । खीशश्च नूच चाक्षाणश्च श्रृं नूय ; खड्rिit BB BB HH BBBS DDD BD DB BS BBB BS छै:ण मी । cर cद१i:ब मैंकरेिकांश्लि, cन ¢गईथाप्नई मैंiफ़fद्देशः
পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৬৬
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